ETV Bharat / state

विश्व विकलांग दिवस: CM के वादे की अधिकारियों ने की अनदेखी, मदद की आस में होनहार दिव्यांग छात्र

रीवा के मऊगंज में रहने वाले कृष्ण कुमार केवट जन्म से ही दिव्यांग हैं. इसके बावजूद उसने हौसले चट्टान की तरह मजबूत हैं. हाथ नहीं होने के बावजूद कृष्ण कुमार ने पैरों से लिखकर 12वीं की परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक हासिल किए. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया था, और कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. लेकिन सीएम के वादे को अधिकारियों ने आज तक अमल नहीं किया.

Design photo
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Dec 3, 2020, 3:53 PM IST

रीवा। दिव्यांगता को हमारे समाज में एक कलंक की तरह देखा जाता था. दिव्यांगों को समाज में मान सम्मान दिलाने के लिए सरकार कई तरह की योजना चलाने का दावा करती है ,लेकिन इसका लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा. जिले के मऊगंज क्षेत्र अंतर्गत हरजई मुड़हान गांव में रहने वाले कृष्ण कुमार केवट दिव्यांग हैं, पर उनके हौसले बुलंद हैं. वह अपने हाथों से काम करने में असमर्थ है, जिसके चलते उन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने अपने पैरों को ही हथियार बनाया, और अपने पैरों में कलम थामी, कृष्ण कुमार केवट ने 12वीं की परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया था, और कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. लेकिन मुख्यमंत्री के वादे के बावजूद आज भी वह दिव्यांग सुविधाओं का मोहताज है. शासन और प्रशासन की ओर से भी अब तक उसे किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं की गई है.

विश्व विकलांग दिवस

शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम लोगों को समाज में सम्मानित स्थान और आत्मनिर्भर भविष्य देने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है. दिव्यांगों के लिए शासन और प्रशासन के द्वारा भी कई तहर की कोशिशें की जा रही हैं. बावजूद रीवा जिले के मऊगंज जनपद पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत हरजई मुड़हान गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार केवट प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं.

सीएम के वादे की अधिकारियों ने की अनदेखी

कृष्ण कुमार केवट ने साल 2019-20 की परीक्षा में कला संकाय के कक्षा 12वीं विषय में 82 प्रतिशत अंक अर्जित किए थे और रीवा जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया था. जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हुए उसे कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. वहीं सीएम शिवराज ने कमिश्नर रीवा को निर्देशित करते हुए कृष्ण कुमार को प्रशासनिक सुविधाएं दिए जाने का आश्वासन दिया था. मगर मुख्यमंत्री के वादे के बाद जैसे मानों प्रशासन ने इस दिव्यांग बालक को भुला दिया हो, और उसकी सफलता को कागज तक समेट कर रख दिया हो. कृष्ण कुमार की मानें तो आज भी वह प्रशासन की सुविधाओं से वंचित है. उसके घर वालों को ना तो प्रधानमंत्री आवास की सहायता मिल सकी और न ही उसके पढ़ाई का खर्च उठाने वाले वादे का कोई भरोसा मिल सका.

जन्म से ही दिव्यांग हैं कृष्ण कुमार

कृष्ण कुमार के दोनों हाथ मां की कोख में ही गल गए थे, बढ़ती उम्र के साथ कृष्ण ने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया और 12वीं की परीक्षा पैरों से लिख कर 82 प्रतिशत अंक अर्जित कर सबको चकित कर दिया. मऊगंज तहसील के हरजई मुड़हान गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि से पूरा परिवार काफी खुश था, दरअसल कृष्ण कुमार के दोनों हाथ जन्म से ही नहीं थे. अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच न केवल चलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी मन लगाया बचपन से ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद ही विकसित किया और मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से वह मुकाम हासिल किया. कृष्ण कुमार ने कक्षा 1 से 12वीं तक की परीक्षा पैरों से ही लिखकर उत्तीर्ण की. पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले कृष्ण कुमार ने शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज में कला संकाय में तीसरा स्थान हासिल किया था. उन्होंने 500 में से 414 नंबर प्राप्त था, जबकि ओवराल में वे विद्यालय में दूसरे नंबर पर थे.

मदद की आस में दिव्यांग

कृष्ण कुमार का गांव हरजई मुड़हान मऊगंज तहसील से 5 किलोमीटर दूर है. जहां से वह पैदल चलकर विद्यालय जाया करते थे. पढ़ाई के प्रति लगन इतनी थी, कि रास्ते में ही बैठकर पैरों से अपना होमवर्क करने लगते थे. इस मेघावी छात्र की ख्वाहिशें भी बड़ी हैं. कृष्ण कुमार के केवट अब आगे की पढ़ाई के बाद कलेक्टर बन कर परिवार और समाज की मदद करना चाहते हैं, लेकिन शासन और प्रशासन की अनदेखी की वजह से दिव्यांग छात्र को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

रीवा। दिव्यांगता को हमारे समाज में एक कलंक की तरह देखा जाता था. दिव्यांगों को समाज में मान सम्मान दिलाने के लिए सरकार कई तरह की योजना चलाने का दावा करती है ,लेकिन इसका लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा. जिले के मऊगंज क्षेत्र अंतर्गत हरजई मुड़हान गांव में रहने वाले कृष्ण कुमार केवट दिव्यांग हैं, पर उनके हौसले बुलंद हैं. वह अपने हाथों से काम करने में असमर्थ है, जिसके चलते उन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने अपने पैरों को ही हथियार बनाया, और अपने पैरों में कलम थामी, कृष्ण कुमार केवट ने 12वीं की परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया था, और कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. लेकिन मुख्यमंत्री के वादे के बावजूद आज भी वह दिव्यांग सुविधाओं का मोहताज है. शासन और प्रशासन की ओर से भी अब तक उसे किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं की गई है.

विश्व विकलांग दिवस

शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम लोगों को समाज में सम्मानित स्थान और आत्मनिर्भर भविष्य देने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है. दिव्यांगों के लिए शासन और प्रशासन के द्वारा भी कई तहर की कोशिशें की जा रही हैं. बावजूद रीवा जिले के मऊगंज जनपद पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत हरजई मुड़हान गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार केवट प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं.

सीएम के वादे की अधिकारियों ने की अनदेखी

कृष्ण कुमार केवट ने साल 2019-20 की परीक्षा में कला संकाय के कक्षा 12वीं विषय में 82 प्रतिशत अंक अर्जित किए थे और रीवा जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया था. जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हुए उसे कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. वहीं सीएम शिवराज ने कमिश्नर रीवा को निर्देशित करते हुए कृष्ण कुमार को प्रशासनिक सुविधाएं दिए जाने का आश्वासन दिया था. मगर मुख्यमंत्री के वादे के बाद जैसे मानों प्रशासन ने इस दिव्यांग बालक को भुला दिया हो, और उसकी सफलता को कागज तक समेट कर रख दिया हो. कृष्ण कुमार की मानें तो आज भी वह प्रशासन की सुविधाओं से वंचित है. उसके घर वालों को ना तो प्रधानमंत्री आवास की सहायता मिल सकी और न ही उसके पढ़ाई का खर्च उठाने वाले वादे का कोई भरोसा मिल सका.

जन्म से ही दिव्यांग हैं कृष्ण कुमार

कृष्ण कुमार के दोनों हाथ मां की कोख में ही गल गए थे, बढ़ती उम्र के साथ कृष्ण ने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया और 12वीं की परीक्षा पैरों से लिख कर 82 प्रतिशत अंक अर्जित कर सबको चकित कर दिया. मऊगंज तहसील के हरजई मुड़हान गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि से पूरा परिवार काफी खुश था, दरअसल कृष्ण कुमार के दोनों हाथ जन्म से ही नहीं थे. अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच न केवल चलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी मन लगाया बचपन से ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद ही विकसित किया और मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से वह मुकाम हासिल किया. कृष्ण कुमार ने कक्षा 1 से 12वीं तक की परीक्षा पैरों से ही लिखकर उत्तीर्ण की. पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले कृष्ण कुमार ने शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज में कला संकाय में तीसरा स्थान हासिल किया था. उन्होंने 500 में से 414 नंबर प्राप्त था, जबकि ओवराल में वे विद्यालय में दूसरे नंबर पर थे.

मदद की आस में दिव्यांग

कृष्ण कुमार का गांव हरजई मुड़हान मऊगंज तहसील से 5 किलोमीटर दूर है. जहां से वह पैदल चलकर विद्यालय जाया करते थे. पढ़ाई के प्रति लगन इतनी थी, कि रास्ते में ही बैठकर पैरों से अपना होमवर्क करने लगते थे. इस मेघावी छात्र की ख्वाहिशें भी बड़ी हैं. कृष्ण कुमार के केवट अब आगे की पढ़ाई के बाद कलेक्टर बन कर परिवार और समाज की मदद करना चाहते हैं, लेकिन शासन और प्रशासन की अनदेखी की वजह से दिव्यांग छात्र को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.