रीवा। समान थाना क्षेत्र अंतर्गत संजय नगर में स्थित शासकीय जमीन पर किए गए अतिक्रमण को आज जिला प्रशासन मुक्त कराने पहुंचा था. इस दौरान अतिक्रमण हटाने गए प्रशासनिक अमले को विरोध का सामना करना पड़ गया. अतिक्रमणकारी के पक्ष में भाजपा नेता व पूर्व महापौर भी वहां पहुच गए और सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेता ने कार्रवाई करने से मना कर दिया. जिसके बाद कुछ घंटे के लिए प्राशनिक अमले की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई. हालांकि स्थानीय लोगों के विरोध के बाद निगम प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ गई और घंटों की मशक्कत के बाद शासकीय जमीन को अतिक्रमण मुक्त करा दिया गया.
अतिक्रमण हटाने पहुंचा प्रशासनिक दस्ता
सामान थाना क्षेत्र अंतर्गत संजयनगर में स्थित योगेंद्र सिंह पटेल के द्वारा शासकीय जमीन में अवैध कब्जा कर लिया गया था. जिसका विरोध सोसायटी की लोगों ने कई बार किया. कब्जाधारी योगेंद्र पटेल ने वर्ष 2013 से शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करना शुरू किया था. आम रास्ते को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन दबंगई के चलते अतिक्रमण करने वाले पर कोई कार्रवाई नही हो पाई. जिसका विरोध करते हुए पिछले वर्ष सोसाइटी के लोग 7 दिनों तक धरने पर बैठे रहे और दबंगई व रसूखदारी के चलते अतिक्रमणकारी योगेंद्र सिंह पटेल शासकीय भूमि सहित सोसायटी के आम रास्ते पर लगातार अवैध निर्माण कराता चला गया.
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भाजपा नेता व पूर्व महापौर ने रोकी कार्रवाई
रीवा नगर निगम प्रशासन ने विगत दिनों योगेंद्र सिंह पटेल को शासकीय भूमि में किये गए अवैध कब्जे को खुद से हटाए जाने के लिए नोटिस जारी किया था. जिसके बावजूद भी उनके द्वारा अतिक्रमण को नही हटाया गया. आज जैसे ही प्रशासनिक अमले के साथ नगर निगम का दस्ता शासकीय भूमि से अवैध कब्जे को हटाने पहुंचा तो अतिक्रमणकारी योगेंद्र सिंह पटेल के परिजनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और कुछ ही देर बाद योगेंद्र सिंह पटेल के साथ भाजपा के पूर्व महापौर शिवेंद्र सिंह पटेल भी वहां पहुच गए. और प्रशासनिक अमले को कार्रवाई करने से मना कर दिया. कार्रवाई के दौरान पहुंचे भाजपा नेता ने कहा की पहले पूरे रीवा का अतिक्रमण हटाओ इसके बाद यहां कार्रवाई करो. हालांकि की घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद प्रशासनिक अमले ने शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया और कराए गए अवैध निर्माण को जेसीबी से तोड़ दिया गया.
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कड़ी मशक्कत के बाद हटा अतिक्रमण
कार्रवाई के दौरान कुछ घंटों के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की बोलती बंद हो गई. हालाकी की घंटों की कड़ी मशक्कत और स्थानीय लोगों द्वारा किए गए विरोध के बाद शासकीय भूमि पर कराए गए अवैध निर्माण को ढहा दिया गया. इस दौरान सत्ताधारी नेता का गुरूर धरा का धरा राह गया.