रीवा। प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब को छत देने का वादा किया हो, लेकिन ये वादा हकीकत में बदलता नजर नहीं आ रहा है. कुछ ऐसी ही स्थिति रीवा में प्रधानमंत्री आवास योजना की है. यहां योजना के तहत बने आवासों में सामने आई गड़बड़ियों के कारण अब हितग्राहियों को रजिस्ट्रेशन कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही हितग्राही जमा कराया हुआ अपना पैसा, सरकारी खजाने से वापस लेने को मजबूर हो गए हैं.
रीवा में शासन प्रशासन की लापरवाही के कारण अभी भी 70 फीसदी ऐसे हितग्राही हैं, जो दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. हितग्राहियों को अधिकारियों ने गुमराह किया जिसके कारण लोगों को ये पता नहीं चला कि नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी जिस एक आवास की कीमत 2 लाख रुपए बताकर उनका पंजीयन किए थे वो वास्तव में 4 लाख 75 हजार रुपए का है.
कई लोगों ने ब्याज में पैसे लेकर नगर निगम में जमा किए थे. उम्मीदों को झटका तब लगा, जब आवास की सही कीमत का पता लगा. पीएम आवास की असली कीमत सामने आने के बाद सैकड़ों हितग्राहियों के सपने टूट गए. बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने एडवांस राशि जमा करने के लिए कर्ज लिया था.
फिलहाल हितग्राही मायूस होकर अपने जमा किए हुए बीस हजार रुपए लेने के लिए नगर निगम पहुंच रहे हैं. हालांकि अब नगर निगम आयुक्त ने लोगों की शिकायतों को सुनते हुए उनके निराकरण की बात की है.