रीवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को रीवा नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी ठेंगा दिखा रहे हैं. वर्ष 2016-17 में स्वाच्छता सर्वेक्षण के तहत शहर में रखे गए यूरिनल बॉक्स अब गायब हो चुके हैं. शहर के किसी भी कोने में अगर यूरिनल बॉक्स रखे भी हैं, तो उसके अंदर फैली गंदगी के कारण उसका इस्तेमाल कोई नहीं करता. लोग यूरिनल बॉक्स के बाहर ही शौच करते दिखाई देते हैं. जिसको लेकर अब कांग्रेस के नेता भी एक्शन मोड़ है. कांग्रेस ने महापौर पर स्वच्छता के नाम पर लूट करने के आरोप लगाए है.
स्वच्छ भारत मिशन को ठेंगा दिखाता रीवा नगर निगम
नगरीय निकाय चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया संपन्न होने के बाद नेताओं ने अपनी कमर कस ली है. स्थानीय मुद्दों को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं. एक ओर जहां कांग्रेस लगातार भारतीय जनता पार्टी और सरकार पर तंज कस रही है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी लगातार विकास मॉडल के दावें कर रही हैं. रीवा में भाजपा के विकास मॉडल की एक अनोखी तस्वीर सामने आ रही है. जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान की खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही हैं.
दरअसल वर्ष 2016-17 में स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर रीवा शहर के अधिकांश कोनों में यूरिनल बॉक्स लगाए गए थे, लेकिन अब वह बॉक्स शहर से विलुप्त होने की कगार पर हैं. जो बॉक्स बचे भी हैं तो उनकी स्थिति किसी कबाड़ से कम नहीं दिखाई देती है. ऐसे में लोगों को मजबूरन यूरिनल बॉक्स के बाहर ही शौच करना पड़ रहा है. इसी को लेकर अब कांग्रेस पार्टी भी मुखर हो गई है. निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दों को भुनाने के प्रयास में जुट गई है. जिसके तहत अब कांग्रेस पार्टी ने महापौर और बीजेपी पर स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप लगाए हैं.
महापौर ने खुद के कार्यकाल को बताया दुर्भाग्य पूर्ण
कांग्रेस का कहना है कि स्वच्छता तो दूर भारतीय जनता पार्टी तथा सरकार ने लगातार अन्य कई विषयों पर भी घोटाले किए हैं. ऐसे में शहर को स्वच्छ रखने की बात करना मुनासिब नहीं होगा. वही भारतीय जनता पार्टी की निवर्तमान महापौर ने भी मामले को लेकर अपनी स्थिति साफ कर दी है. निवर्तमान महापौर ने खुद नगर निगम पर निशाना साधते हुए कहा कि यह स्थिती दुर्भाग्यपूर्ण है. अधिकारियों ने साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा. जिसके कारण आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
खुले में शौच करने को मजबूर हैं लोग
बताया जा रहा है की पार्षदों ने शहरवासियों के उपयोग के लिए स्थाई व्यवस्था बनाने के मांग रखी थी. इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारियों ने अस्थाई प्लास्टिक के यूरिनल बॉक्स पूरे शहर में रखवा दिए. इन शौचालयों में पानी व साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण गंदगी का अंबार लगता गया. गंदगी के चलते इनका उपयोग धीरे-धीरे बंद हो गया. जिसके बाद वह गायब होते चले गए. इन यूरिनल बॉक्स को सफाई गोदाम में डंप कर कबाड़ के साथ रख दिया है. इस तरह से नगर निगम के लाखों रुपये बर्बाद हों गए. वहीं चलित शौचालय की बात की जाए तो साफ सफाई के अभाव में वह भी कबाड़ होते जा रहे है. उसका इस्तेमाल लोग न के बराबर कर रहे है.
शहर में लगाए गए यूरिनल बॉक्स लापता
दरअसल वर्ष 2016-17 में स्वाच्छता सर्वेक्षण के दौरान रीवा नगर निगम ने शहरवासियों को सार्वजनिक स्थानों में शौच के लिए अस्थाई यूरिनल बॉक्स लगवाए थे. जिसकी संख्या 65 के आसपास थी. प्रति यूरिनल बॉक्स की कीमत 80 हजार रुपए से ऊपर थी. 3 साल के अंदर ही शहर के कई हिस्सों से यूरिनल बॉक्स लापता हो गए. यूरिनल बॉक्स गायब होने के बाद उन स्थानों पर शौच की कोई व्यवस्था नहीं बनाई. जिससे लोग अब सार्वजनिक स्थान और खुले में शौच करते दिखाई दे रहे है.
यूरिनल बॉक्स की आवश्यकता नहीं
इस बारे में नगर निगम के कार्यपालन यंत्री एसके चतुर्वेदी का कहना है कि वर्ष 2016-17 के दौरान शहर के कई स्थानों में यूरिनल बॉक्स लगाए गए थे. पुराने होने के कारण हो सकता है कि टूट गए हो. शहर में 45 सामुदायिक सुलभ शौचालय हर 500 मीटर के दायरे में बने हुए है. लोग बड़ी आसानी से वहां तक पहुंच सकते है. जिससे अब उन्हें नहीं लगता की शहर में यूरिनल बॉक्स की आवश्यकता है.