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Raksha Bandhan 2020: स्वदेशी डोर से मजबूत होगा प्रेम का बंधन, चाइनीज राखियों का बायकॉट - Indigenous Rakhi Sisters

इस रक्षाबंधन बहनों ने चाइनीज राखियों का बायकॉट किया है. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर मेड इन इंडिया राखी बांधकर लंबी उम्र, सुख समृद्धि की कामना करेंगी.

Boycott of chinese rakhi
चाइनीस राखियों का बायकॉट
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Published : Aug 1, 2020, 12:12 PM IST

रतलाम। भाई बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा. 3 अगस्त सावन मास का आखिरी सोमवार भी है, जिसकी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती हैं, इसके साथ ही भाई की दीर्घायु और खुशहाली की कामना भी करती हैं. रक्षाबंधन के लिए बहनों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं, लेकिन इस बार की तैयारी थोड़ी अलग है. क्योंकि इस बार राखी पर चीन की रंग बिरंगी राखी का इस्तमाल नहीं होगा. ना ही बहनें चाइनीज राखियां खरीदेगी और ना ही दुकानदार चाइना राखियां बेच रहे हैं. इस रक्षाबंधन पर चाइना की राखियों का बायकॉट कर देसी राखियों के साथ भाई बहन का त्योहार मनाया जाएगा.

भाइयों की कलाई पर बहनें बांधेंगी देसी राखी

दरअसल लद्दाख की गलवान घाटी में चीन से झपड़ में भारत के करीब 20 सैनिक शहीद हुए थे. जिसके बाद देशभर में गुस्से का माहौल है और चीनी उत्पादों के बहिष्कार का एक सोशल आंदोलन पूरे देश में जारी है.

Made in India Rakhi increased demand
मेड इन इंडिया राखी की बढ़ी डिमांड

जिसके बाद लोग छोटे से लेकर बड़े सामान की खरीदारी में चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. रक्षाबंधन के अवसर पर पिछले कुछ सालों से चाइना में बनी हुई और चाइनीज कच्चे माल से निर्मित राखियों का चलन भारत देश में तेजी से बढ़ा है, लेकिन इस बार गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत से देश गुस्से में है. जिसका असर रक्षाबंधन के त्योहार पर चाइनीस राखियों और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की बिक्री पर भी पड़ रहा है.

Boycott of chinese rakhi
चाइनीज राखियों का बायकॉट

रतलाम में भी रक्षाबंधन के लिए राखी खरीदने पहुंची बहनों ने केवल मेड इन इंडिया राखियों की मांग की. वहीं राखी विक्रेताओं ने भी चाइना से आयात की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक और बच्चों की फैंसी राखियों का ऑर्डर इस बार नहीं दिया है.

दुकानदारों का कहना है कि रक्षाबंधन की ग्राहकी शुरू हो चुकी है, लेकिन चीन के बने उत्पादों और राखियों की मांग अब नहीं के बराबर है. ग्राहकों और विक्रेताओं ने चाइना की राखियों का बायकॉट करने का निर्णय लिया है.

रतलाम। भाई बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा. 3 अगस्त सावन मास का आखिरी सोमवार भी है, जिसकी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती हैं, इसके साथ ही भाई की दीर्घायु और खुशहाली की कामना भी करती हैं. रक्षाबंधन के लिए बहनों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं, लेकिन इस बार की तैयारी थोड़ी अलग है. क्योंकि इस बार राखी पर चीन की रंग बिरंगी राखी का इस्तमाल नहीं होगा. ना ही बहनें चाइनीज राखियां खरीदेगी और ना ही दुकानदार चाइना राखियां बेच रहे हैं. इस रक्षाबंधन पर चाइना की राखियों का बायकॉट कर देसी राखियों के साथ भाई बहन का त्योहार मनाया जाएगा.

भाइयों की कलाई पर बहनें बांधेंगी देसी राखी

दरअसल लद्दाख की गलवान घाटी में चीन से झपड़ में भारत के करीब 20 सैनिक शहीद हुए थे. जिसके बाद देशभर में गुस्से का माहौल है और चीनी उत्पादों के बहिष्कार का एक सोशल आंदोलन पूरे देश में जारी है.

Made in India Rakhi increased demand
मेड इन इंडिया राखी की बढ़ी डिमांड

जिसके बाद लोग छोटे से लेकर बड़े सामान की खरीदारी में चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. रक्षाबंधन के अवसर पर पिछले कुछ सालों से चाइना में बनी हुई और चाइनीज कच्चे माल से निर्मित राखियों का चलन भारत देश में तेजी से बढ़ा है, लेकिन इस बार गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत से देश गुस्से में है. जिसका असर रक्षाबंधन के त्योहार पर चाइनीस राखियों और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की बिक्री पर भी पड़ रहा है.

Boycott of chinese rakhi
चाइनीज राखियों का बायकॉट

रतलाम में भी रक्षाबंधन के लिए राखी खरीदने पहुंची बहनों ने केवल मेड इन इंडिया राखियों की मांग की. वहीं राखी विक्रेताओं ने भी चाइना से आयात की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक और बच्चों की फैंसी राखियों का ऑर्डर इस बार नहीं दिया है.

दुकानदारों का कहना है कि रक्षाबंधन की ग्राहकी शुरू हो चुकी है, लेकिन चीन के बने उत्पादों और राखियों की मांग अब नहीं के बराबर है. ग्राहकों और विक्रेताओं ने चाइना की राखियों का बायकॉट करने का निर्णय लिया है.

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