रतलाम। भाई बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा. 3 अगस्त सावन मास का आखिरी सोमवार भी है, जिसकी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती हैं, इसके साथ ही भाई की दीर्घायु और खुशहाली की कामना भी करती हैं. रक्षाबंधन के लिए बहनों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं, लेकिन इस बार की तैयारी थोड़ी अलग है. क्योंकि इस बार राखी पर चीन की रंग बिरंगी राखी का इस्तमाल नहीं होगा. ना ही बहनें चाइनीज राखियां खरीदेगी और ना ही दुकानदार चाइना राखियां बेच रहे हैं. इस रक्षाबंधन पर चाइना की राखियों का बायकॉट कर देसी राखियों के साथ भाई बहन का त्योहार मनाया जाएगा.
दरअसल लद्दाख की गलवान घाटी में चीन से झपड़ में भारत के करीब 20 सैनिक शहीद हुए थे. जिसके बाद देशभर में गुस्से का माहौल है और चीनी उत्पादों के बहिष्कार का एक सोशल आंदोलन पूरे देश में जारी है.
जिसके बाद लोग छोटे से लेकर बड़े सामान की खरीदारी में चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. रक्षाबंधन के अवसर पर पिछले कुछ सालों से चाइना में बनी हुई और चाइनीज कच्चे माल से निर्मित राखियों का चलन भारत देश में तेजी से बढ़ा है, लेकिन इस बार गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत से देश गुस्से में है. जिसका असर रक्षाबंधन के त्योहार पर चाइनीस राखियों और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की बिक्री पर भी पड़ रहा है.
रतलाम में भी रक्षाबंधन के लिए राखी खरीदने पहुंची बहनों ने केवल मेड इन इंडिया राखियों की मांग की. वहीं राखी विक्रेताओं ने भी चाइना से आयात की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक और बच्चों की फैंसी राखियों का ऑर्डर इस बार नहीं दिया है.
दुकानदारों का कहना है कि रक्षाबंधन की ग्राहकी शुरू हो चुकी है, लेकिन चीन के बने उत्पादों और राखियों की मांग अब नहीं के बराबर है. ग्राहकों और विक्रेताओं ने चाइना की राखियों का बायकॉट करने का निर्णय लिया है.