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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: यहां विराजे हैं नटखट द्वारकाधीश, चमत्कार की कई किंवदंतियां हैं मशहूर

रतलाम के सर्राफा बाजार में पालीवाल परिवार द्वारा स्थापित 300 साल पुराना द्वारकाधीश मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर पूजा- पाठ किया गया. इस मंदिर के कई चमत्कारी किस्से जुड़े हैं.

God of Dwarkadhish
द्वारकाधीश भगवान
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Published : Aug 12, 2020, 12:03 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 12:57 PM IST

रतलाम। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन भक्त श्रीकृष्ण को बाल रुप में पूजते है. कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण के हर रूप में उनकी अद्भुत लीलाएं हैं. श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं की हजारों किवदंतियां पौराणिक कथाओं और पुस्तकों में पढ़ने-सुनने को मिलती हैं. रतलाम में भी एक ऐसा ही एक भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण द्वारकाधीश के रुप में विराजमान हैं, उनकी लीलाओं के कई किस्से सुनने को मिलते हैं.

पढ़ें : 100 करोड़ के आभूषणों से होगा कन्हैया और राधाजी का श्रृंगार, इस बार ऑनलाइन होंगे दर्शन

स्थापना के बाद गायब हो गई थी मूर्ति

रतलाम के सर्राफा बाजार स्थित सराफा गली में पालीवाल परिवार द्वारा स्थापित 300 साल पुराना द्वारकाधीश मंदिर है. जहां भगवान श्री कृष्ण की चमत्कारी किस्से सुनने को मिलते है. द्वारकाधीश मंदिर की स्थापना करीब 300 वर्ष पूर्व काशीराम पालीवाल ने की थी. वर्तमान में मंदिर की देखरेख करने वाली कांता पालीवाल बताती है कि, मंदिर में स्थापना के लिए भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति एक संत से लाई गई थी. मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के बाद अचानक मूर्ति गायब हो गई और उसी संत के पास वापस चली गई, जिनसें मूर्ति लाई गई थी. भगवान को मंदिर में ही रोकने के लिए सोने की अभिमंत्रित कील को मूर्ति के पैरों में लगाया गया था. जिसके बाद से भगवान द्वारकाधीश कि यह चमत्कारिक मूर्ति इसी मंदिर में मौजूद है. यही नहीं भगवान द्वारकाधीश से जुड़ी हुई कई किंवदंतियां और किस्से श्रद्धालु यहां सुनाते हैं.

God of Dwarkadhish
द्वारकाधीश भगवान

ये भी पढ़ें: कहीं भाग न जाएं बैय्यो बाई के कान्हा इसलिए रस्सी से बांधकर निकलती है शोभा यात्रा

मिठाई खाने हलवाई की दुकान पहुंच गए थे द्वारकाधीश

भगवान श्री कृष्ण का शहर के प्रसिद्ध हलवाई की दुकान पर पहुंच जाने का किस्सा भी खासा मशहूर है. मंदिर में सेवा देने वाले पालीवाल परिवार के सदस्य बताते हैं कि, एक दिन भगवान द्वारकाधीश को पुजारी शाम का भोग लगाना भूल गए थे, जिसके बाद द्वारकाधीश खुद हलवाई की दुकान पर मिठाई लेने पहुंच गए. भगवान ने मूर्ति के सोने के कड़े हलवाई की दुकान पर देकर पेड़े का भोग लिया था. अगले दिन सुबह भगवान ने पुजारी को स्वप्न देकर मूर्ति के सोने के कड़े हलवाई की दुकान से वापस ले आने को कहा. हलवाई ने श्वेत वस्त्रों में किसी दिव्य पुरुष द्वारा मिठाई ले जाने की पुष्टि की थी. जिसके बाद भगवान द्वारकाधीश के मंदिर में प्रत्येक एकादशी पर हलवाई स्वयं मावे के पेड़े का भोग लगाने आते थे. भगवान द्वारकाधीश की इस अद्भुत और चमत्कारी मूर्ति के दिव्य दर्शन पाकर श्रद्धालुओं की हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है.

Sri Krishna Janmashtami
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्री कृष्ण के इन्हीं चमत्कारों की वजह से लोगों के मन में भगवान द्वारकाधीश के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास है. श्रद्धालु भगवान द्वारकाधीश के इस मंदिर को ही साक्षात द्वारका धाम मानते हैं. जो लोग गुजरात के द्वारकाधीश दर्शन करने नहीं जा पाते हैं, वो यहां पहुंचकर भगवान द्वारकाधीश की इस अद्भुत मूर्ति के दर्शनकर द्वारकाधाम में होने का अनुभव महसूस करते हैं.

रतलाम। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन भक्त श्रीकृष्ण को बाल रुप में पूजते है. कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण के हर रूप में उनकी अद्भुत लीलाएं हैं. श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं की हजारों किवदंतियां पौराणिक कथाओं और पुस्तकों में पढ़ने-सुनने को मिलती हैं. रतलाम में भी एक ऐसा ही एक भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण द्वारकाधीश के रुप में विराजमान हैं, उनकी लीलाओं के कई किस्से सुनने को मिलते हैं.

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स्थापना के बाद गायब हो गई थी मूर्ति

रतलाम के सर्राफा बाजार स्थित सराफा गली में पालीवाल परिवार द्वारा स्थापित 300 साल पुराना द्वारकाधीश मंदिर है. जहां भगवान श्री कृष्ण की चमत्कारी किस्से सुनने को मिलते है. द्वारकाधीश मंदिर की स्थापना करीब 300 वर्ष पूर्व काशीराम पालीवाल ने की थी. वर्तमान में मंदिर की देखरेख करने वाली कांता पालीवाल बताती है कि, मंदिर में स्थापना के लिए भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति एक संत से लाई गई थी. मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के बाद अचानक मूर्ति गायब हो गई और उसी संत के पास वापस चली गई, जिनसें मूर्ति लाई गई थी. भगवान को मंदिर में ही रोकने के लिए सोने की अभिमंत्रित कील को मूर्ति के पैरों में लगाया गया था. जिसके बाद से भगवान द्वारकाधीश कि यह चमत्कारिक मूर्ति इसी मंदिर में मौजूद है. यही नहीं भगवान द्वारकाधीश से जुड़ी हुई कई किंवदंतियां और किस्से श्रद्धालु यहां सुनाते हैं.

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द्वारकाधीश भगवान

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मिठाई खाने हलवाई की दुकान पहुंच गए थे द्वारकाधीश

भगवान श्री कृष्ण का शहर के प्रसिद्ध हलवाई की दुकान पर पहुंच जाने का किस्सा भी खासा मशहूर है. मंदिर में सेवा देने वाले पालीवाल परिवार के सदस्य बताते हैं कि, एक दिन भगवान द्वारकाधीश को पुजारी शाम का भोग लगाना भूल गए थे, जिसके बाद द्वारकाधीश खुद हलवाई की दुकान पर मिठाई लेने पहुंच गए. भगवान ने मूर्ति के सोने के कड़े हलवाई की दुकान पर देकर पेड़े का भोग लिया था. अगले दिन सुबह भगवान ने पुजारी को स्वप्न देकर मूर्ति के सोने के कड़े हलवाई की दुकान से वापस ले आने को कहा. हलवाई ने श्वेत वस्त्रों में किसी दिव्य पुरुष द्वारा मिठाई ले जाने की पुष्टि की थी. जिसके बाद भगवान द्वारकाधीश के मंदिर में प्रत्येक एकादशी पर हलवाई स्वयं मावे के पेड़े का भोग लगाने आते थे. भगवान द्वारकाधीश की इस अद्भुत और चमत्कारी मूर्ति के दिव्य दर्शन पाकर श्रद्धालुओं की हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है.

Sri Krishna Janmashtami
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्री कृष्ण के इन्हीं चमत्कारों की वजह से लोगों के मन में भगवान द्वारकाधीश के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास है. श्रद्धालु भगवान द्वारकाधीश के इस मंदिर को ही साक्षात द्वारका धाम मानते हैं. जो लोग गुजरात के द्वारकाधीश दर्शन करने नहीं जा पाते हैं, वो यहां पहुंचकर भगवान द्वारकाधीश की इस अद्भुत मूर्ति के दर्शनकर द्वारकाधाम में होने का अनुभव महसूस करते हैं.

Last Updated : Aug 12, 2020, 12:57 PM IST
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