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ग्राहक नहीं आने से फीकी पड़ी सराफा बाजार की रंगत, बंगाली कारीगरों के पलायन से ठप हुआ व्यापार - व्यापारी निराश

लॉकडाउन में बंद हुआ रतलाम का फेमस सराफा बाजार अब खुलने लगा है. लेकिन इस बाजार में पहले की तरह ग्राहक नहीं आने से व्यापारयों में निराशा है. व्यापारियों का कहना है कि कारखानों में काम करने वाले बंगाली कारीगर लॉकडाउन की वजह से गांव चले गए हैं, जिसकी वजह से व्यापार ठप पड़ा हुआ है.

Bullion market
सराफा बाजार
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Published : May 26, 2020, 12:41 AM IST

Updated : May 26, 2020, 3:48 PM IST

रतलाम। कहते हैं नई नवेली दुल्हन के लिए गहनें पहनना जरूरी होता है. गहने के बिना दुल्हन का श्रंगार अधूरा माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि आभूषण दुल्हन के सुहाग की निशानी होते हैं. किसी भी त्योहार में गहने पहनना महिलाओं के लिए शुभ होता है. कानों में कुंडल और हाथों में बाजूबंद वीरता के गुण को विकसित करते हैं. गहनों का प्रभाव तन और मन दोनों पर पड़ता है. फिलहाल लॉकडाउन की वजह से इन गहनों की सराफा दुकानों पर गहरा प्रभाव पड़ा है.

सराफा बाजार

दरअसल रतलाम सराफा बाजार सोने की शुद्धता और कारीगरी के लिए पूरे देश में फेमस है. कारीगरी के लिए मशहूर रतलाम का सराफा बाजार लॉकडाउन के दो महिने बाद अब खुलने तो लगा है, लेकिन बाजार की रंगत और रौनक दोनों गायब हैं. कभी ग्राहकों से गुलजार रहने वाले रतलाम के सराफा बाजार अब गिने-चुने लोग ही खरीददारी करते दिखते हैं. वहीं सोने की कारीगरी करने वाले बंगाली कारीगर भी कोरोना वायरस के डर से अपने गांव की ओर पलायन कर गए हैं, जिसकी वजह से स्वर्ण कारखानों में सन्नाटा पसरा हुआ है. सोने की कारीगरी के लिए करीब 2 हजार बंगाली कारीगर स्वर्ण वर्कशॉप में काम करते थे.

Stalled business
ठप हुआ व्यापार

गौरतलब है कि सराफा व्यापार लॉकडाउन के पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रहे था. लॉकडाउन के बाद इन दुकानों में काम करने वाले बंगाली कारीगरों के पलायन करने से सराफा व्यापार को बड़ा झटका लगा है. ये बंगाली कारीगर तीन शिफ्टों में यहां काम करते थे, जो अब नजर नहीं आ रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उनका शादियों का सीजन तबाह हो गया है. इसके बाद कारीगरों के पलायन की वजह से सोने की नक्काशी और कारीगरी का काम भी ठप पढ़ चुका है. वहीं व्यापारियों को अब दीपावली के बाद बंगाली कारीगरों के लौटने और व्यापार में सुधार की उम्मीद है.

Halted construction
रुका निर्माण कार्य

रतलाम। कहते हैं नई नवेली दुल्हन के लिए गहनें पहनना जरूरी होता है. गहने के बिना दुल्हन का श्रंगार अधूरा माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि आभूषण दुल्हन के सुहाग की निशानी होते हैं. किसी भी त्योहार में गहने पहनना महिलाओं के लिए शुभ होता है. कानों में कुंडल और हाथों में बाजूबंद वीरता के गुण को विकसित करते हैं. गहनों का प्रभाव तन और मन दोनों पर पड़ता है. फिलहाल लॉकडाउन की वजह से इन गहनों की सराफा दुकानों पर गहरा प्रभाव पड़ा है.

सराफा बाजार

दरअसल रतलाम सराफा बाजार सोने की शुद्धता और कारीगरी के लिए पूरे देश में फेमस है. कारीगरी के लिए मशहूर रतलाम का सराफा बाजार लॉकडाउन के दो महिने बाद अब खुलने तो लगा है, लेकिन बाजार की रंगत और रौनक दोनों गायब हैं. कभी ग्राहकों से गुलजार रहने वाले रतलाम के सराफा बाजार अब गिने-चुने लोग ही खरीददारी करते दिखते हैं. वहीं सोने की कारीगरी करने वाले बंगाली कारीगर भी कोरोना वायरस के डर से अपने गांव की ओर पलायन कर गए हैं, जिसकी वजह से स्वर्ण कारखानों में सन्नाटा पसरा हुआ है. सोने की कारीगरी के लिए करीब 2 हजार बंगाली कारीगर स्वर्ण वर्कशॉप में काम करते थे.

Stalled business
ठप हुआ व्यापार

गौरतलब है कि सराफा व्यापार लॉकडाउन के पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रहे था. लॉकडाउन के बाद इन दुकानों में काम करने वाले बंगाली कारीगरों के पलायन करने से सराफा व्यापार को बड़ा झटका लगा है. ये बंगाली कारीगर तीन शिफ्टों में यहां काम करते थे, जो अब नजर नहीं आ रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उनका शादियों का सीजन तबाह हो गया है. इसके बाद कारीगरों के पलायन की वजह से सोने की नक्काशी और कारीगरी का काम भी ठप पढ़ चुका है. वहीं व्यापारियों को अब दीपावली के बाद बंगाली कारीगरों के लौटने और व्यापार में सुधार की उम्मीद है.

Halted construction
रुका निर्माण कार्य
Last Updated : May 26, 2020, 3:48 PM IST
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