रतलाम। कीचड़ युक्त सड़क, चारों तरफ फैली गंदगी, टूटे-फूटे कच्चे मकान, पानी के लिए परेशान ग्रामीण. ये हालात उस गांव के हैं जिसे प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी, 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के तहत केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने पांच साल पहले गोद लिया था. उस वक्त यहां के बाशिदों ने सपने संजोय थे कि अब गांव की सूरत बदलेगी, लेकिन गांव के हालात में जरा भी फर्क नहीं दिखता. विकास से महरूम रतलाम जिले की आलोट तहसील के आदर्श गांव बरखेड़ा के बाशिंदों को सांसद थावरचंद गहलोत से कई गिले- शिकवे हैं. गांव में नज-जल योजना के तहत पाइप लाइन तो बिछाई गयी, लेकिन लोगों को पानी नसीब नहीं होता. साथ ही शौचालय की निकासी के लिए नाली नहीं होने से लोग परेशान हैं.
गांव में गंदगी का अंबार लगा है, ग्रामीण बताते हैं कि गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया, लेकिन गांव में अब भी कुछ घर ऐसे हैं, जिनमें शौचालय नहीं है. गांव में 393 प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण तो हुआ, लेकिन अब भी कुछ लोगों को पक्की छतों का इंतजार है. विकास के नाम पर आदर्श गांव को जिस सीसी रोड के जरिये जिला मख्यालय से जोड़ा गया है, वह उखड़ने लगी है. कहने को तो गांव में स्कूल और अस्पताल बनाए गए हैं, लेकिन स्टाफ के बिना वे सफेद हाथी ही साबित हो रहे हैं.
आदर्श ग्राम होने के बावजूद बरखेड़ा गांव के बाशिंदे मूलभूत सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं. विकास से कोसों दूर ये गांव सरकार के झूठे दावों की पोल तो खोलता ही है, साथ ही सांसद थावरचंद गहलोत के काम की हकीकत भी उजागर करता है.