रतलाम। सोयाबीन के उत्पादन के लिए मशहूर मध्यप्रदेश के मालवा में इस बार किसानों का रुझान मक्का की बुवाई में ज्यादा दिखाई दे रहा है. वजह है साल दर साल सोयाबीन की घटती उत्पादन क्षमता और इस साल अच्छी गुणवत्ता के बीज की उपलब्धता में कमी. खास बात यह है कि जिले के प्रगतिशील किसानों ने इस बार सोयाबीन की फसल की बुवाई के बजाय मक्का की फसल को लगाने का निर्णय लिया है. जिससे किसानों को फसल चक्र अपनाने और अधिक मुनाफा कमाने का अवसर मिल रहा है. गौरतलब है कि रतलाम जिले में बहुतायत के तौर पर सर्वाधिक रकबे में सोयाबीन की फसल की बुवाई की जाती है और समय के साथ इस क्षेत्र में मक्का की फसल का रकबा न के बराबर रह गया था. लेकिन एक बार फिर जिले के किसानों का रुझान मक्का के उन्नत खेती की ओर देखा जा रहा है.
दरअसल स्टेट के नाम से पहचाने जाने वाले मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सर्वाधिक रकबे में सोयाबीन की फसल की बुवाई की जाती है. लेकिन फसल चक्र नहीं अपनाने और बार-बार सोयाबीन की फसल बुवाई करने से अब सोयाबीन की उत्पादन क्षमता में कमी आ गई है. इसके बाद अब किसानों ने सोयाबीन के विकल्प के तौर पर नई तकनीक से मक्का की खेती शुरू कर दी है.
रतलाम में सोयाबीन की पैदावार
रतलाम जिले की बात करें तो सोयाबीन का रकबा 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर से घटकर 2 लाख 30 हजार हेक्टेयर होने की संभावना है. जबकि इस वर्ष मक्का की बुआई का रकबा 40 हजार हेक्टेयर होने का अनुमान है. मक्का की बुवाई करने वाले किसानों का कहना है कि सोयाबीन की खेती में अब लागत अधिक और उत्पादन कम प्राप्त हो रहा है. वहीं उन्नत तकनीक से मक्के की खेती करने पर कम लागत में मक्का का अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है. किसानों को पशु चारे के लिए पर्याप्त क्रॉप वेस्ट और फसल चक्र अपनाने का भी मौका मिल रहा है.
मक्के की खेती में लाभ की ज्यादा संभावना
कृषि विभाग के उपसंचालक जीएस मोहनिया ने बताया कि सोयाबीन की अपेक्षा मक्का की खेती में किसानों को अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है. एक हेक्टेयर कृषि भूमि के पैमाने पर सोयाबीन और मक्के की खेती की तुलना की जाए तो सोयाबीन का औसत उत्पादन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही प्राप्त हो रहा है.
वहीं एक हेक्टेयर में मक्का का औसत उत्पादन 60 से 80 क्विंटल तक प्राप्त हो सकता है. वहीं अब मक्का के बाजार भाव भी बेहतर मिलने लगे हैं. इसके साथ ही मक्का की खेती में सोयाबीन की अपेक्षा बीज, खाद और कीटनाशक की खपत भी कम होती है. जिससे आप किसानों का रुझान मक्का की खेती की ओर अधिक दिखाई दे रहा है.
बहरहाल रतलाम में सोयाबीन अब भी सर्वाधिक रकबे में बोया जा रहा है. लेकिन मक्का बुवाई का रकबा इस वर्ष करीब 2 गुना होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं. इसकी वजह किसानों के मक्के की खेती के प्रति पुनः आकर्षित होना है.