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किसानों की कड़ी मेहनत पर कोरोना ने फेरा पानी, प्याज की फसल से नहीं निकल रही लागत

लॉकडाउन के चलते किसानों की हालत खराब है. प्याच की खेती करने वालों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल रही है. पढ़िए पूरी खबर..

Loss to farmers
किसानों को हुआ नुकसान
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Published : May 16, 2020, 7:37 PM IST

Updated : May 16, 2020, 7:57 PM IST

रतलाम। कोरोना महामारी ने कई लोगों के घर उजाड़ दिए हैं. जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, तब से किसान और मजदूर वर्ग काफी परेशानी झेल रहा है. महामारी की वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा. प्याज के किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. जहां लॉक डाउन के पहले प्याज की कीमत 15 रुपए थी, वहीं अब उसकी कीमत डेढ़ रुपए प्रति किलो रह गई है. जिससे अब प्याज उत्पादक किसानों की आर्थिक हालत खराब हो गई है.

किसानों को हुआ नुकसान

प्याज की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में किसानों ने प्याज की फसल का बंपर उत्पादन किया है, लेकिन अब प्याज की कीमतों में भारी गिरावट के चलते प्याज उत्पादक किसानों की हालत खराब हो गई है. मंडियों में किसानों की फसल की नीलामी में प्याज की कीमत एक से 2 रुपए प्रतिकिलो ही मिल पा रही है.

जावरा मंडी में प्याज की उपज लेकर पहुंचे किसानों को एक ट्रॉली बेचने के बाद भी उतने दाम नहीं मिल पा रहे हैं कि वे ट्रैक्टर, ट्रॉली का किराया भी दे पाएं. रतलाम के मेहंदी गांव के किसान संग्राम सिंह की फसल नीलामी की पर्ची इन दिनों सोशल मीडिया पर खासी वायरल हो रही है. जिसमें उनकी अच्छी गुणवत्ता वाली प्याज की कीमत महज डेढ़ रुपए प्रतिकिलो लगाई गई है. प्याज भंडारण के लिए भी किसानों के पास में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से उन्हे अपनी फसल मजबूरी में बेचनी पड़ रही है.

किसान संग्राम सिंह ने कहा कि एक ट्रॉली प्याज बेच कर उन्हें 3500 रुपए मिले थे. जबकि 30 क्विंटल प्याज के उत्पादन में उन्हें करीब 16 हजार की लागत आई थी. उन्होंने कहा कि फसल की सही कीमत नही मिलने पर उन्हें प्याज को मंडी में बेचने के बजाय फेंकने मे फायदा है.

रतलाम। कोरोना महामारी ने कई लोगों के घर उजाड़ दिए हैं. जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, तब से किसान और मजदूर वर्ग काफी परेशानी झेल रहा है. महामारी की वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा. प्याज के किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. जहां लॉक डाउन के पहले प्याज की कीमत 15 रुपए थी, वहीं अब उसकी कीमत डेढ़ रुपए प्रति किलो रह गई है. जिससे अब प्याज उत्पादक किसानों की आर्थिक हालत खराब हो गई है.

किसानों को हुआ नुकसान

प्याज की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में किसानों ने प्याज की फसल का बंपर उत्पादन किया है, लेकिन अब प्याज की कीमतों में भारी गिरावट के चलते प्याज उत्पादक किसानों की हालत खराब हो गई है. मंडियों में किसानों की फसल की नीलामी में प्याज की कीमत एक से 2 रुपए प्रतिकिलो ही मिल पा रही है.

जावरा मंडी में प्याज की उपज लेकर पहुंचे किसानों को एक ट्रॉली बेचने के बाद भी उतने दाम नहीं मिल पा रहे हैं कि वे ट्रैक्टर, ट्रॉली का किराया भी दे पाएं. रतलाम के मेहंदी गांव के किसान संग्राम सिंह की फसल नीलामी की पर्ची इन दिनों सोशल मीडिया पर खासी वायरल हो रही है. जिसमें उनकी अच्छी गुणवत्ता वाली प्याज की कीमत महज डेढ़ रुपए प्रतिकिलो लगाई गई है. प्याज भंडारण के लिए भी किसानों के पास में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से उन्हे अपनी फसल मजबूरी में बेचनी पड़ रही है.

किसान संग्राम सिंह ने कहा कि एक ट्रॉली प्याज बेच कर उन्हें 3500 रुपए मिले थे. जबकि 30 क्विंटल प्याज के उत्पादन में उन्हें करीब 16 हजार की लागत आई थी. उन्होंने कहा कि फसल की सही कीमत नही मिलने पर उन्हें प्याज को मंडी में बेचने के बजाय फेंकने मे फायदा है.

Last Updated : May 16, 2020, 7:57 PM IST
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