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सालों पहले खो दी थी आखों की रोशनी, अब शिक्षक बनकर छात्रों का जीवन कर रहे हैं रोशन

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Published : Sep 5, 2019, 12:04 AM IST

जिंदगी में अंधेरा होने के बावजूद दूसरों के भविष्य को रोशन करने वाले शिक्षक राजेश परमार जैसे लोग कम ही होते हैं, जो न केवल समाज से अज्ञानता को दूर कर रहे है, बल्कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए भी एक मिसाल पेश कर रहे.

शिक्षकः राजेश परमार

रतलाम। मन में जज्बा और हौसले बुलंद हो तो हर राह आसान हो जाती है, इसी पंक्ति को सार्थक बनाया है जिले के शिवगढ़ में पदस्थ एक शिक्षक राजेश परमार ने, जो दृष्टिहीन होने के बावजूद अपने विद्यार्थियों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी फैला रहे हैं.

आंखें नहीं होने के बावजूद छात्राओं को पढ़ाते हैं राजेश परमार

जिले के शिवगढ़ कन्या हाई स्कूल में पदस्थ शिक्षक राजेश परमार समाज के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं. जो दृष्टिहीन होने के बावजूद एक सामान्य शिक्षक की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राजेश 1995 में पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए थे.

बावजूद इसके राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और दृष्टिहीन विद्यालयों से अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्ष 2003 से वे शिवगढ़ के कन्या हाई स्कूल में पदस्थ हैं. इस स्कूल का रिजल्ट हमेशा शत-प्रतिशत रहा है.
स्कूल की छात्राएं भी मानती है कि उनके शिक्षक राजेश परमार असाधारण प्रतिभा के धनी हैं. छात्राओं का कहना है कि परमार सर को देखकर नहीं लगता, कि वह देख नहीं सकते. वह बड़ी ही आसानी से पढ़ाते हैं.

रतलाम। मन में जज्बा और हौसले बुलंद हो तो हर राह आसान हो जाती है, इसी पंक्ति को सार्थक बनाया है जिले के शिवगढ़ में पदस्थ एक शिक्षक राजेश परमार ने, जो दृष्टिहीन होने के बावजूद अपने विद्यार्थियों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी फैला रहे हैं.

आंखें नहीं होने के बावजूद छात्राओं को पढ़ाते हैं राजेश परमार

जिले के शिवगढ़ कन्या हाई स्कूल में पदस्थ शिक्षक राजेश परमार समाज के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं. जो दृष्टिहीन होने के बावजूद एक सामान्य शिक्षक की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राजेश 1995 में पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए थे.

बावजूद इसके राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और दृष्टिहीन विद्यालयों से अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्ष 2003 से वे शिवगढ़ के कन्या हाई स्कूल में पदस्थ हैं. इस स्कूल का रिजल्ट हमेशा शत-प्रतिशत रहा है.
स्कूल की छात्राएं भी मानती है कि उनके शिक्षक राजेश परमार असाधारण प्रतिभा के धनी हैं. छात्राओं का कहना है कि परमार सर को देखकर नहीं लगता, कि वह देख नहीं सकते. वह बड़ी ही आसानी से पढ़ाते हैं.

Intro:मन में जज्बा और हौसले बुलंद हो तो हर राह आसान हो जाती है ऐसा ही कुछ कर रहे हैं ..रतलाम जिले के शिवगढ़ में पदस्थ एक शिक्षक, जो दृष्टिहीन होने के बावजूद अपने विद्यार्थियों की जिंदगी में शिक्षा का प्रकाश फैला रहे हैं। रतलाम के शिवगढ़ कन्या हाई स्कूल में पदस्थ शिक्षक राजेश परमार समाज के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं जो दृष्टिहीन होने के बावजूद एक सामान्य शिक्षक की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ।राजेश 1995 में पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए थे ।बावजूद इसके राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और दृष्टिहीन विद्यालयों से अपनी पढ़ाई पूरी की। वर्ष 2003 से वे शिवगढ़ के कन्या हाई स्कूल में पदस्थ हैं जहां इनका रिजल्ट हमेशा शत-प्रतिशत रहा है। पूरी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद शिक्षक राजेश परमार बच्चों को वैसे ही पढ़ाते हैं जैसे कोई आम शिक्षक पढ़ाता है। स्कूल की छात्राएं भी मानती है कि उनके शिक्षक असाधारण प्रतिभा के मालिक हैं इनका कहना है कि परमार सर को देखकर नहीं लगता कि वह देख नहीं सकते हैं और वह बड़ी आसानी से अध्ययन करवाते हैं।


Body:बदलते वक्त के साथ गुरु और शिष्य की परंपरा भले ही बदल गई है लेकिन समाज में आज भी ऐसे शिक्षक मौजूद हैं। जो दूसरों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। रतलाम के शिवगढ़ कन्या हाई स्कूल के शिक्षक राजेश परमार इसका जीता जागता उदाहरण है। जो दृष्टिहीन होने के बावजूद एक शिक्षक की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। राजेश 1995 में पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए थे लेकिन राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और दृष्टिहीन विद्यालयों से अपनी पढ़ाई पूरी की।वर्ष 2003 से वे शिवगढ़ के कन्या हाई स्कूल में बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ाते हैं। जहां इनका रिजल्ट हमेशा शत-प्रतिशत रहा है। पूरी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद शिक्षक राजेश परमार बच्चों को वैसे ही पढ़ाते हैं जैसे कोई आम शिक्षक पढ़ाता है। स्कूल की छात्राएं भी मानती है कि उनके शिक्षक असाधारण प्रतिभा के मालिक हैं इनका कहना है कि परमार सर को देखकर नहीं लगता कि वह देख नहीं सकते हैं और वह बड़ी आसानी से अध्ययन करवाते हैं। वही सहयोगी शिक्षक भी राजेश परमार के हौसले की तारीफ करते नहीं थकते हैं इनके अनुसार राजेश अन्य शिक्षकों के मुकाबले ज्यादा मेहनत करते हैं और अच्छा रिजल्ट देते हैं।


Conclusion:अपनी जिंदगी में अंधेरा होने के बावजूद दूसरों के भविष्य को रोशन करने वाले ऐसे शख्स कम ही होते हैं जो न केवल इस समाज से अज्ञानता को दूर कर रहे हैं बल्कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं मगर जरूरत है इस मिसाल को उचित सम्मान देने की जो अब तक इस शिक्षक को नहीं मिला है।

वन टू वन_ दृष्टिहीन शिक्षक एवं छात्राओं से
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