राजगढ़। कृषि कानून बिल को लेकर लगातार किसान आंदोलन कर रहे हैं और इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी कल फैसला दिया है. सोमवार को कोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि वह कानून के अमल पर रोक लगाएगा और मसले के हल के लिए कमेटी बना दी गई है. जहां कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है और कहा है कि कृषि कानूनों पर सरकार रोक लगाएगी या हम रोक लगाएं.
वहीं आज राजगढ़ जिले के दौरे पर संघ के प्रमुख नेता सुरेश सोनी की माता को श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बारे में कहा कि 'कृषि सुधार बिलों से संबंधित विषय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए इस समय उस पर टिप्पणी करने की आवश्यकता मुझे प्रतीत नहीं होती है. हम सब जानते हैं कि हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च संस्था है और हमारी प्रतिबद्धता उच्चतम न्यायालय के प्रति है. जब तक किसान आंदोलन की बात है किसान आंदोलन के परिणाम स्वरूप जो कुछ सरकार के लिए करने योग्य था वह सभी सरकार ने चर्चा के माध्यम से भी किया है, और किसानों की बात सुनकर जो आवश्यक सुधार किए जा सकते हैं उन सब पर विचार करके सरकार ने उनका प्रस्ताव किसान यूनियन के समक्ष रखा है.'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 'किसान यूनियन के मन में है कि कानून वापस लिया जाए वहीं हमने किसान यूनियन से बार-बार आग्रह किया है कि आपको जिस प्रावधान पर आपत्ति है उस पर आप चर्चा करिए, आप उस पर आपत्ति बताइए, हम उस पर चर्चा करने के लिए पूरी तरह ओपन है. 15 तारीख को वार्ता का अगला दौर है मुझे उम्मीद है कि किसान यूनियन के लोग चर्चा को आगे बढ़ाएंगे और संभवत हम रास्ता निकालने में सफल हो सकेंगे.'
केंद्र सरकार के रुख पर अदालत की सख्ती
न्यायालय ने किसानों के साथ बातचीत का अभी तक कोई हल नहीं निकलने पर केंद्र को आड़े हाथ लिया था और सारी स्थिति पर घोर निराशा व्यक्त की थी. उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है. साथ ही किसानों के साथ बातचीत करने के लिए चार सदस्यीय एक समिति गठित की है. इस समिति में अर्थशास्त्री के अलावा किसान यूनियन नेता और इंटरनेशनल पॉलिसी हेड भी शामिल हैं.
न्यायालय ने इस गतिरोध का सर्वमान्य समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार को और समय देने से इनकार करते हुए कहा था कि पहले ही उसे काफी वक्त दिया जा चुका है.