राजगढ़। पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. वहीं राजगढ़ जिले के लसुड़लिया गांव के माध्यमिक शाला में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने अपने शासकीय माध्यमिक विद्यालय का कायाकल्प करने के साथ-साथ छात्रों के जीवन की परिस्थितियों के अनुसार उनको शिक्षा देने के लिए काफी बदलाव किया है.
इस स्कूल में टेक्नोलॉजी के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए भी संघर्ष किया जाता है. आज के समय में जहां हर कोई अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भर्ती करवाना चाहता है और चाहता है कि उसका बच्चा प्राइवेट स्कूल में अच्छे से पढ़कर कुछ अच्छा काम करें, लेकिन इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट से भी अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी उठाई है.
साथ ही स्कूल में लगातार बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है और गांव के 98 फीसदी बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते हैं. वहीं इन सब कार्यों के लिए इस स्कूल के प्रधानाचार्य नरेंद्र राठौर को गांव वालों का भी साथ मिला है. उनके द्वारा किए गए कार्यों को अब राज्य सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है और उनको शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्यपाल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाएगा.
प्राइवेट स्कूल भी होते हैं इस स्कूल के आगे फेल
आमतौर पर जहां वर्तमान में हर परिजन अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहता है, क्योंकि वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर वातावरण बच्चों को काफी अनुकूल लगता है. लेकिन राजगढ़ जिले के लसुड़लिया गांव में ठीक इसके विपरीत हो रहा है.
यहां समस्त ग्रामीण अपने बच्चों को शासकीय स्कूल में पढ़ने भेज रहे हैं, क्योंकि यहां पर बच्चों को प्राइवेट स्कूल से भी अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और वातावरण मिल रहा है. यहां पर बच्चों को स्मार्ट क्लास के साथ-साथ पर्यावरण को समझने के लिए 500 से अधिक पौधे लगाए गए हैं.
ग्रामीणों की जागरूकता और उनकी मदद से कर रहे स्कूल का निर्माण
किसी भी स्कूल में सिर्फ शिक्षकों का ही महत्व नहीं होता, बल्कि बच्चों के पालकों का भी स्थान काफी महत्वपूर्ण होता है. यहां के शिक्षकों ने यहां के पालकों के साथ मिलकर स्कूल परिसर में काफी कुछ बदलाव किए हैं और जनभागीदारी से न सिर्फ स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया, बल्कि स्कूल में काफी कुछ बदलाव भी किए हैं और स्कूल की निगरानी रखने के लिए समितियों का निर्माण भी किया गया है.
यहां पर प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने मिलकर बच्चों को लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध करवाई है और इस लाइब्रेरी की खासियत ये है कि इसका संचालन भी बच्चे ही करते हैं, ताकि उनके अंदर पढ़ने के लिए रुचि बढ़ सके, इसको लेकर वहां पर तकरीबन हजारों पुस्तकें उपलब्ध हैं, जो बच्चों को कहानियों से लेकर विज्ञान समझने तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
स्कूल में कई तरह की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. वहीं बच्चों को सेल्फ-डिफेंस से लेकर और भी अन्य बातों का ध्यान रखते हुए, शिक्षक खुद अपने कोर्स का भी डेवलपमेंट कर रहे हैं. जिसमें बच्चों की हैंडराइटिंग, बच्चों का ज्ञान बढ़ाने और मैथ के सॉल्यूशन वो आसानी से सॉल्व कर सकें, इसके लिए शिक्षकों ने पाठ्यक्रम के साथ स्कूल की किताबों का निर्माण भी किया है. जिससे आम जीवन में उपयोग होने वाली गणित को वो आसानी से समझ सकें.