राजगढ़। दवा लेने के बाद भी पोलियो होने पर शख्स ने 27 साल कोर्ट में लड़ाई लड़ी. आखिरकार कोर्ट ने पीड़ित को 48 लाख रुपए का हर्जाना दिलवाया.
ऐसे शुरु हुई 27 साल की कानूनी लड़ाई
मामला ओढ़पुर गांव के रहने वाले देवीलाल का है. देवीलाल ने 1995 में पोलियो (polio court compensation 48 lakhs rajgarh) की दवाई पी थी. तब वे तीन साल के थे. दवा पीने के बाद भी वे पोलियोग्रस्त हो गया. इसके बाद दिव्यांग ने शासन और स्वास्थ्य विभाग से मुआवजे की मांग की. सुनवाई नहीं होने पर उसने 1996 में राजगढ़ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
इंदौर हाईकोर्ट ने दिए 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के आदेश
राजगढ़ कोर्ट ने 1999 में 25 हजार रुपए हर्जाने का आदेश शासन को दिया था. इस पर देवीलाल और उसके परिजन इंदौर हाईकोर्ट पहुंच गए. यहां 17 साल सुनवाई चली. इसके बाद हाईकोर्ट ने 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति राशि 1996 से ब्याज सहित देने का (Polio happened even after drinking medicine )आदेश शासन को दिया था.
सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
दिव्यांग के वकीलों ने बताया कि राजगढ़ कोर्ट ने 1999 में यह नहीं माना कि पोलियो की दवाई से पोलियो का विपरीत असर भी हो सकता है. यहां क्षतिपूर्ति राशि 25 हजार रुपए देने के आदेश शासन को दिए गए. पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं हुआ तो हाईकोर्ट पहुंच गया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे कोर्ट ने 2018 में निरस्त कर दिया था.
अब कोर्ट ने 48 लाख रुपए का हर्जाना दिलवाया
हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर मामला राजगढ़ कोर्ट पहुंचा था. राजगढ़ कोर्ट में 3 साल चली(court ordered compensation of 48 lakhs ) कानूनी लड़ाई के बाद दिव्यांग को ब्याज सहित पूरी राशि का भुगतान हो गया है. युवक को 27 साल बाद न्याय मिला. उसे दवा पीने के बाद भी पोलियो हो गया जिसके कारण उसके दोनों पैर खराब हो गए. दिव्यांग ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने उसे 48 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश शासन को दिया है.