राजगढ़। जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित करेड़ी गांव के रहने वाले दिव्यांग राजेश वर्मा को दिव्यांग मॉडलिंग में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान तो मिल गई लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि उन्हें जिला स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए ना तो कोई मंच मिला और ना ही कोई सम्मान.वहीं उनका आरोप है कि दलित समाज से आने के कारण स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उनकी मदद करने में भेदभाव करते हैं.
मॉडलिंग में राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान: करेड़ी गांव के रहने वाले दिव्यांग राजेश वर्मा ने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाकर अपने गांव का नाम रोशन किया है, लेकिन अपने ही क्षेत्र में वे पहचान के लिए मोहताज हैं. राजेश ने दिव्यांग मॉडलिंग में देश में कई जगह जाकर अवॉर्ड जीते. उनका कहना है कि लेकिन अपने ही जिले में उनकी कोई पूछपरख नहीं है. ना तो उन्हें कोई सम्मान मिला और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने उनकी आर्थिक रूप से मदद की.
राष्ट्रीय स्तर पर जीते कई अवॉर्ड: दिव्यांग मॉडलिंग में हिस्सा लेने वाले राजेश बताते हैं कि पहले कार्यक्रम में मुझे निराशा हाथ लगी लेकिन हिम्मत नहीं हारी. महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित दूसरे शो में मैंने दोबारा हिस्सा लिया और मिस्टर इंडिया का खिताब जीता जो की दिव्यांग मॉडलिंग की दुनिया में एक राष्ट्रीय स्तर का खिताब है. उसके बाद मैंने हार नहीं मानी और देश के अलग-अलग हिस्से में होने वाले शो में शिरकत की और कई अवार्ड जीते. मुझे सांसद मनोज तिवारी सहित केंद्र और प्रदेश स्तर के जनप्रतिनिधि भी सम्मानित कर चुके हैं. हाल ही में मुझे विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा के द्वारा दिव्यांगजन स्वाभिमान सम्मान वर्ष 2023 से नवाजा गया है.
जिला स्तर पर पहचान नहीं मिलने का अफसोस: राजेश को जहां मॉडलिंग में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने का फक्र है तो उन्हें इस बात का भी अफसोस है कि उन्हें जिला स्तर पर पहचान नहीं मिली. उनका कहना है कि उन्हें अपने ही क्षेत्र में सम्मान और पहचान नहीं मिली.
स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर लगाया भेदभाव का आरोप: क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से लगाई गुहार को लेकर राजेश बताते हैं कि उन्होंने अपने आने-जाने के लिए राजगढ़ सांसद रोडमल नागर से एक स्कूटी उपलब्ध करवाने के लिए गुहार लगाई थी,लेकिन राजगढ़ सांसद ने उन्हें डिमोटिवेटेड करने की कोशिश की और कहा की पैसे कमाओ, अवार्ड से क्या होता है. मुझे सांसद निधि से 5 हजार देने की बात कही.जिसे लेने से मैंने मना कर दिया. उनका ये भी मानना है कि मैं दलित समाज से आता हूं इस कारण कई जगह अपमानित भी होना पड़ता है.शायद यही वजह है कि अपने ही जिले में उन्हें इस कारण मान-सम्मान नहीं मिलता.
ये भी पढ़ें: |
ईटीवी भारत से साझा की मन की बात: राजेश ने अपने मन की बात ईटीवी भारत से साझा की. उनका कहना है कि जिस तरह से उन्होंने देश के दिव्यांग मॉडलिंग में जो खिताब हासिल किए हैं वो अभी तक किसी भी दिव्यांग ने हासिल नहीं किए. उनका लक्ष्य है कि वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन करें और मिस्टर वर्ल्ड का खिताब हासिल करें. जिसके लिए उन्हें शासन से भी मदद की दरकार है.