राजगढ़। यूं तो देशभर में अलग-अलग मान्यताओं और विशेषताओं के लिए कई शिवालय मशहूर हैं, जिनके प्रति लोगों की गहरी आस्था है. राजगढ़ में भी एक अति प्राचीन शिवालय है, जो नदी के बीचों बीच एक चट्टान पर मौजूद है. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना कपिल मुनि ने की थी. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम कपिलेश्वर महादेव धाम है.
कहा जाता है कि कपिल मुनि ने इसी जगह पर तपस्या की थी और उन्होंने ही यहां पर भगवान भोलेनाथ की प्राण प्रतिष्ठा भी की थी. माना जाता है कि कपिल मुनि ने जब गंगा सागर में तपस्या की थी तो वहां भी भोलेनाथ की पूजा अर्चना की थी. वहीं गंगासागर के बाद कपिल मुनि ने राजगढ़ जिले के सारंगपुर में तपस्या की थी.
नदी के बीच और श्मशान भूमि के किनारे होने से इस मंदिर में जप और पूजन का महत्व किसी ज्योतिर्लिंगेश्वर धाम से कम नहीं है. यहां कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सात दिवसीय मेला लगता है. बता दें, यहीं बालाजी और नवग्रहों के साथ शनि मंदिर भी मौजूद है.
मंदिर की हैं कई मान्यताएं
इस मंदिर का काफी महत्व है. यहां पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं. इसके अलावा श्रावण माह में भी यहां पर काफी महत्व माना जाता है.
बताया जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा की रात में यहां पर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और इसी दौरान भाग्यशाली व्यक्तियों को दूध की दो धाराएं देखने को मिलती है जो अपने आप यहां पर प्रकट होती हुई दिखाई देती है. इस मंदिर की ये भी मान्यता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना है तो आप गोबर से मंदिर के पीछे साथियों बना दीजिए और वही मनोकामना पूर्ण होने के बाद एक और साथियों का निर्माण किया जाता है.
कैसे पहुंचे यहां तक
यह मंदिर सारंगपुर शहर में स्थित है, जहां पर ट्रेन या फिर बाय रोड सफर तय कर आसानी से पहुंचा जा सकता है. वही सारंगपुर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पर पहुंचने के बाद आसानी से ऑटो रिक्शा या फिर लोगों से जानकारी लेते हुए मंदिर पहुंचा जा सकता है.