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छात्रों ने शुरू की सराहनीय पहल, संस्कृत और गणित में अव्वल आने वाले छात्रों को मिलेगी स्कॉलरशिप - central school

राजगढ़ के केंद्रीय विद्यालय में पूर्व छात्रों ने एक सराहनीय पहल शुरू की है. जिसमें संस्कृत और गणित में अव्वल आने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाएगी. वहीं स्कूल की जरूरतों को भी पूरा किया जाएगा.

संस्कृत और अपने स्कूल में छात्रों को बढ़ावा देने के लिए पूर्व छात्रों ने शुरू की नई पहल
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Published : Sep 28, 2019, 3:31 PM IST

राजगढ़। केंद्रीय विद्यालय के पूर्व छात्रों ने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से स्कूल की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक संगठन की शुरुआत की है. इसके माध्यम से स्कूल में वॉटर प्यूरीफायर और वॉटर कूलर की जरूरत को पूरा किया. वहीं स्कूल में विद्यालय के छात्रों का संस्कृत और गणित जैसे विषय में रुझान बढ़ाने के लिए टॉप-10 छात्रों को स्कॉलरशिप देने का प्रावधान किया गया.

संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय पहल

बता दें कि विद्यालय के प्रिंसिपल नंदकिशोर सोनी ने एक व्हाट्सएप ग्रुप की शुरुआत की है, जिसमें विद्यालय के पूर्व छात्रों को जोड़कर स्कूल की मदद करने की इच्छा जाहिर करते हुए उन्हें अपने स्तर पर पूरी करने का कोशिश करने की बात कही. स्कूल में वॉटर प्यूरीफायर और वॉटर कूलर की सख्त आवश्यकता थी, जिसके लिए पूर्व छात्रों ने मात्र 24 घंटे में 70 हजार रुपए इकट्ठा कर स्कूल में वॉटर प्यूरीफायर और वॉटर कूलर लगवाया. वहीं संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए इन छात्रों ने स्कॉलरशिप का प्रावधान भी किया, जिसमें टॉप 10 छात्रों को ढाई हजार रूपए स्कॉलरशिप देने का प्रावधान किया गया. इसी तरह गणित के टॉप 10 विद्यार्थियों को भी एक हजार की राशि स्कॉलरशिप के रूप में दी जाएगी.

विद्यालय के प्रिंसिपल नंदकिशोर सोनी बताते हैं कि मैंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर पूर्व छात्रों के सामने स्कूल की परेशानियां और गरीब बच्चों को आने वाली दिक्कतों को रखा, जिससे छात्रों के मन में मदद करने की जिज्ञासा जागी. जिसे लेकर छात्रों द्वार एक संगठन की शुरूआत की और उसका बैंक एकाउंट खुलवाया गया, जिसमें सहायता राशि अपने क्षमता के अनुरूप दे सकें.

राजगढ़। केंद्रीय विद्यालय के पूर्व छात्रों ने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से स्कूल की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक संगठन की शुरुआत की है. इसके माध्यम से स्कूल में वॉटर प्यूरीफायर और वॉटर कूलर की जरूरत को पूरा किया. वहीं स्कूल में विद्यालय के छात्रों का संस्कृत और गणित जैसे विषय में रुझान बढ़ाने के लिए टॉप-10 छात्रों को स्कॉलरशिप देने का प्रावधान किया गया.

संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय पहल

बता दें कि विद्यालय के प्रिंसिपल नंदकिशोर सोनी ने एक व्हाट्सएप ग्रुप की शुरुआत की है, जिसमें विद्यालय के पूर्व छात्रों को जोड़कर स्कूल की मदद करने की इच्छा जाहिर करते हुए उन्हें अपने स्तर पर पूरी करने का कोशिश करने की बात कही. स्कूल में वॉटर प्यूरीफायर और वॉटर कूलर की सख्त आवश्यकता थी, जिसके लिए पूर्व छात्रों ने मात्र 24 घंटे में 70 हजार रुपए इकट्ठा कर स्कूल में वॉटर प्यूरीफायर और वॉटर कूलर लगवाया. वहीं संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए इन छात्रों ने स्कॉलरशिप का प्रावधान भी किया, जिसमें टॉप 10 छात्रों को ढाई हजार रूपए स्कॉलरशिप देने का प्रावधान किया गया. इसी तरह गणित के टॉप 10 विद्यार्थियों को भी एक हजार की राशि स्कॉलरशिप के रूप में दी जाएगी.

विद्यालय के प्रिंसिपल नंदकिशोर सोनी बताते हैं कि मैंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर पूर्व छात्रों के सामने स्कूल की परेशानियां और गरीब बच्चों को आने वाली दिक्कतों को रखा, जिससे छात्रों के मन में मदद करने की जिज्ञासा जागी. जिसे लेकर छात्रों द्वार एक संगठन की शुरूआत की और उसका बैंक एकाउंट खुलवाया गया, जिसमें सहायता राशि अपने क्षमता के अनुरूप दे सकें.

Intro:केंद्रीय विद्यालय के पूर्व छात्रों ने शुरू की एक नई पहल संस्कृत और गणित के विषय को छात्रों के अंदर रुचि बढ़ाने के लिए छात्रों द्वारा शुरू की गई स्कॉलरशिप ,वही स्कूल में आने वाली दिक्कतों और छात्रों के गाइडेंस का जिम्मा उठाया पूर्व छात्रों ने, व्हाट्सएप के ग्रुप से एक दूसरे से कनेक्टेड हो रहे हैं छात्र


Body:जहां जिंदगी में कहा जाता है कि स्कूल का समय सबसे अधिक सुहाना और सबसे अधिक यादगार पल होता है ,इसी दौरान स्कूल में बिताए गए पल जिंदगी में हमेशा याद रहते हैं और उनको जीने की तमन्ना हमेशा बनी रहती है और वही हर कोई अपने स्कूल की मदद किसी ना किसी तरह करना चाहता है, ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में केंद्रीय विद्यालय राजगढ़ में पढ़कर निकल चुके छात्रों द्वारा किया जा रहा है और वह अपने स्कूल मैं सुधार से लेकर छात्रों को अच्छा मुकाम दिलाने के लिए उनको करियर गाइडेंस से लेकर मार्गदर्शन प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं। जहां इस स्कूल की शुरुआत 90 के दशक से पहले हुई थी और सैकड़ों बच्चे यहां से पढ़कर निकल चुके हैं ,वहीं इस स्कूल के कुछ पूर्व छात्रों ने मिलकर सर्वप्रथम अपने स्कूल में आ रही परेशानियों को दूर करने की मन में ठानी और वहां पर पड़ने वाले उनके जूनियर को जीवन में अच्छा मुकाम हासिल हो सके, इसके लिए मार्गदर्शन प्रदान करने लगे, वही इन सब पूर्व छात्रों की मदद वहां पर 2015 में आए प्रिंसिपल नंद किशोर सोनी ने और आसान कर दी और इन छात्रों का व्हाट्सएप पर एक ग्रुप क्रिएट किया ,जिसमें उन्होंने अमेरिका से लेकर विश्व के अनेक स्थानों पर रहने वाले केंद्रीय विद्यालय राजगढ़ के छात्रों को जोड़ा और उन सब को एक ऐसा प्लेटफार्म दिया जिस पर वे आसानी से अपनी बात एक दूसरे तक पहुंचा सकते हैं और एक दूसरे से अपना आइडिया शेयर कर सकते हैं कि किस तरह वह अपने स्कूल की तरक्की कर सकते हैं वही यह तरीका ना सिर्फ अपने आप में अनोखा है वही कई स्कूलों में एक प्रेरणा भी बन रहा है, और जिसकी तारीफ चारों तरफ हो रही है।

यह कार्य कर रहा है पूर्व छात्रों का संघठन :-

जहां संस्कृत केंद्रीय विद्यालय और अनेक स्कूलों में आठवीं के पश्चात एक ऑप्शनल सब्जेक्ट रह जाता है और ज्यादातर बच्चे इसको अपने विषयों में शामिल नहीं करते हैं परंतु संस्कृत का महत्व बहुत अधिक है जिस को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय विद्यालय राजगढ़ के छात्रों ने अपने यहां पर स्कॉलरशिप का प्रावधान शुरू किया है जिससे नवी कक्षा में बच्चे संस्कृत को महत्व दें और हिंदी इंग्लिश की तरह ही संस्कृत को भी अपने दिनचर्या में लाए, इसके लिए उन्होंने स्कॉलरशिप शुरू की जिसमें वे नवी में 10 बच्चों को स्कॉलरशिप देते हैं।

2. स्कूल में आने वाली किसी भी परेशानी को है तुरंत दूर करने की कोशिश करते हैं ।

3. स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को करियर मार्गदर्शन के साथ-साथ जीवन के अनेक पहलुओं से अवगत कराते हैं कि किस तरह जीवन में सफल हो सकते है,और अपने अनुभव उनके साथ साझा करते है।

4. गरीब बच्चों की फीस से लेकर उनको किताबें तक इस संगठन द्वारा बहुत सी बार प्रदाय की जाती है।


Conclusion:केंद्रीय विद्यालय राजगढ़ के प्रिंसिपल नंदकिशोर सोनी बताते हैं कि कुछ छात्रों ने मिलकर एक छात्रों के लिए मार्गदर्शन की संस्था बनाई और उन्होंने केंद्रीय विद्यालय के साथ-साथ जिले के अनेक स्कूलों के छात्रों को कैरियर मार्गदर्शन दिया, वहीं इससे मुझे एक आईडिया आया कि क्यों ना इन छात्रों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बना दिया जाए ,वही जब यह व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया और उनके समक्ष स्कूल की परेशानियां और गरीब बच्चों को आने वाली दिक्कतों को उनको बताया गया, तो उनके द्वारा आगे आकर उनकी मदद की जिज्ञासा प्रस्तुत की गई और उनके द्वारा उनकी फीस से लेकर अनेक सुविधाएं और छात्रों को देना शुरू की वही हमारे द्वारा एक संगठन तैयार किया गया, जिसमें कलेक्टर से लेकर अन्य अधिकारियों को जोड़ा गया और वहीं इस संगठन का एक बैंक अकाउंट भी पूर्व छात्रों द्वारा खुलवाया गया, जिसमें वह अपने द्वारा स्कूल के लिए सहायता राशि दान करते हैं, इसका ताजा उदाहरण अभी देखने को मिला जब स्कूल में एक वाटर प्यूरीफायर और वाटर कूलर की सख्त आवश्यकता थी जिसके लिए पूर्व छात्रों ने तुरंत आगे आते हुए मात्र 24 घंटे में ₹70000 इकट्ठे किए और उस स्कूल को एक नया वाटर प्यूरीफायर और वाटर कूलर दान में दे दिया। वही इन लोगों के मन में विचार आया क्यों ना कुछ और अनोखा किया जाए ,जिसके लिए इन्होंने संस्कृत और गणित स्कॉलरशिप अपने टीचर्स के नाम पर शुरू की, जिसमें उन्होंने नवी कक्षा में संस्कृत लेने वाले 10 सबसे अच्छे बच्चों को 2500 रुपये की स्कॉलरशिप प्रदान की और वही दसवीं में सबसे अधिक गणित में नंबर लाने वाले बच्चों को 10,000 रुपये की स्कॉलरशिप प्रदान करने की पहल शुरू की है। वही इन छात्रों के द्वारा संस्कृत के महत्व को देखते हुए उन्होंने संस्कृत को बढ़ावा देना चाहते हैं और वहीं संस्कृत ना सिर्फ एक भाषा है, बल्कि यह रोजगार से लेकर इंसान के विकास के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है या ना सिर्फ अध्ययन के क्षेत्र में बल्कि आयुर्विज्ञान से लेकर मंच पर नाटक और नृत्य के लिए भी काफी आवश्यक है ,वहीं वास्तु और ज्योतिष और अभी कहीं वैज्ञानिक मानते हैं कि संस्कृत कंप्यूटर भाषा में भी काफी मददगार होती है।

विसुअल

स्कूल के
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नंद किशोर सोनी प्रिंसीपल केंद्रीय विद्यालय राजगढ़
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