भोपाल। आगे-आगे ढोल बज रहा था और पीछे नारे लग रहे थे 'राम नाम सत्य है.' अर्थी के पीछे सैकड़ों लोग पैदल चल रहे थे, आंखें नम थी और जय श्रीराम, जय श्रीराम भी उनके मुखारविंद से कहां जा रहा था, लेकिन जिस अर्थी में यह सब शामिल थे वह किसी बुजुर्ग की नहीं बल्कि एक बंदर की थी, जिसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. यह घटना राजगढ़ जिले के बोड़ा कस्बे की है, जहां शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे बड़े पुल पर एक बंदर की एक्सीडेंट से मृत्यु हो गई थी.
हिंदू रीति रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार: बताया जा रहा है कि बंदर सड़क पार कर रहा था, तभी किसी वाहन ने उसे टक्कर मार दी और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी. बंदर की मौत की खबर जब लोगों को मिली तो लोगों ने आपस में चर्चा करके तय किया कि बंदर का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया जाएगा. फिर क्या था कोई अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी जमा करने लगा, तो कोई कंडे और कोई घास फूस लेकर आया. किसी ने कफन की व्यवस्था की तो किसी ने हांडी तैयार की. इतना ही नहीं अंतिम विदाई के लिए तत्काल ढोल भी बुलवा लिया गया, जब अंतिम विदाई हुई तो उसमें पूरा कस्बा शामिल हुआ और अग्नि देने तक लोग रुके रहे.
Also Read: |
बंदर की समाधि भी बनाई जाएगी: अंतिम विदाई देने वालों में आमजन के साथ कस्बे के समाजसेवी पंडित अंकित शर्मा, भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष चंद्र सिंह रुहेला, प्रतिनिधि तेजसिंह यादव, पार्षद प्रतिनिधि आशीष पालीवाल, लखन रुहेला आदि भी मौजूद थे. एक मूक पशुओं के प्रति लोगों का यह प्रेम काफी सराहा जा रहा है, जब इसके वीडियो और फोटो वायरल हुए तो कुछ लोगों ने मिलकर तय किया कि बंदर की एक समाधि भी बनाई जाएगी.