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दिग्विजय के गढ़ में मुश्किल में बीजेपी, रोडमल नागर के सहारे नैया होगी पार या मिलेगी हार?

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Published : Apr 21, 2019, 10:51 AM IST

विधानसभा सीटें के समीकरण राजगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मजबूत स्थिति में दिखा रहे हैं. ऊपर से बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर का पार्टी नेताओं ने विरोध भी किया है. जबकि कांग्रेस ने यहां से मौना सुस्तानी को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक माना जा रहा है.

दिग्विजय सिंह, पूर्व सीएम , एमपी

राजगढ़। राजगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस ने नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. जिससे यहां मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है. हाल ही में हुये विधानसभा चुनाव से राजगढ़ लोकसभा सीट के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में आठ सीटों में से पांच, जबकि बीजेपी ने दो और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने कब्जा जमाया था. इस लिहाज से कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में दिख रही है.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आठ सीटों में से 6 जबकि कांग्रेस के हाथ सिर्फ दो सीटें ही लगी थीं. बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की करें तो बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे को शिकस्त दी थी. रोडमल नागर को 5,96, 727 वोट मिल थे, जबकि कांग्रेस के नारायण सिंह को 3,67, 990 लोगों ने ही वोट दिया था. विधानसभा क्षेत्रों के समीकरणों पर नजर दौड़ाएं तो आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस, बीजेपी से मजूबत स्थिति में नजर आती है. राजगढ़ लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण भी रोचक हैं.

नरसिंहगढ़ लोकसभा सीट-
नरसिंहगढ़ विधानसभा राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट, जिस पर 2013 के चुनाव में कांग्रेस के गिरीश भंडारी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2018 में हुये चुनाव में यहां बीजेपी ने वापसी की और राज्यवर्धन सिंह यहां से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं, उन्होंने कांग्रेस के गिरीश भंडारी को 9534 मतो से हराया था.

दिग्विजय के गढ़ में मुश्किल में बीजेपी


ब्यावरा विधानसभा सीट-
ब्यावरा विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट है, जहां पर पिछले चार विधानसभा चुनाव में कभी भी कोई पार्टी दोबारा नहीं जीती है. यहां की जनता ने हर चुनाव में अपना विधायक बदला है. 2013 के भाजपा विधायक नारायण सिंह पंवार कांग्रेस के गोवर्धन सिंह दांगी से पराजित हुए. 2018 में इस सीट पर भाजपा को हार मिली. क्योंकि 2018 में इस सीट पर जीत का अंतर नोटा में प्राप्त वोटों से कम था. यहां पर जीत का अंतर 826 वोटो का था, जबकि नोटा में 1481 पड़े थे. इस सीट पर दांगी और सोंधिया समाज ही निर्णायक भूमिका में रहते हैं.


राजगढ़ विधानसभा सीट-
राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पिछले चार चुनावों से अपना विधायक बदले आये हैं. 2003 में यहां पर भाजपा के हरिचरण तिवारी जीते थे, जबकि 2008 में कांग्रेस के हेमराज कल्पोनी ने यहां जीत दर्ज की. 2013 यहां के लोगों ने बीजेपी के अमर सिंह को अपना विधायक चुना. साल 2018 के चुनाव में फिर से बदलाव देखने को मिला और यहां की जनता ने राजगढ़ सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. इस बार यहां से कांग्रेस के बापू सिंह तंवर ने भाजपा के अमर सिंह यादव को 31183 वोटों से हराया है.


खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र-
खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र, राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की ऐसी विधानसभा सीट है जो कांग्रेस का गढ़ रही है. कांग्रेस कांग्रेस ने 2003 और 2008 के चुनाव में जीत दर्ज की. वर्तमान विधायक प्रियव्रत सिंह खींची यहां विजई हुए थे, साल 2013 में बीजेपी ने यहां सेंध लगाने में कामयाब हुई और बीजेपी के हजारीलाल दांगी यहां से विधानसभा पहुंचे. लेकिन 2018 में वापसी करते हुये कांग्रेस ने दोबार इस सीट पर कब्जा जमा लिया. यहां से वर्तमान उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने भाजपा के हजारीलाल दांगी को 29756 मतों से मात दी थी.


सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र-
सारंगपुर विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक मात्र आरक्षित सीट है. यहां साल 2003 के बाद से हमेशा से भाजपा का कब्जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने जीत का चौका लगाया है. बीजेपी के कुंवर कोठार लगातार दूसरी बार यहां से विधायक चुने गए हैं. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश मालवीय को 4381 मतो से हराया है.


सुसनेर विधानसभा सीट-
सुसनेर विधानसभा क्षेत्र वैसे तो आगर-मालवा जिले की सीट है, जो राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इस सीट पर साल 2003 के बाद से ही बीजेपी का कब्जा रहा है लेकिन साल 2018 में हुये विधानसभा चुनाव में यहां की जनता का बीजेपी-कांग्रेस दोनों से मोहभंग हो गया और यहां के लोगों ने निर्दलीय को अपना विधायक चुना. विक्रम सिंह राणा गुड्डु यहां से विधानसभा पहुंचे हैं. उन्होंने कांग्रेस के महेंद्र भैरू सिंह को 27062 को हराया है.


राघौगढ़ विधानसभा सीट-
राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का असर माना जाता है. यह सीट अधिकतम बार राघोगढ़ राजघराने के पास रही है. इसी सीट से दिग्विजय सिंह विजयी होकर मुख्यमंत्री बने थे. अब उनके पुत्र जयवर्धन सिंह यहां से विजई होकर वर्तमान सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री हैं. लगातार दूसरी बार जयवर्धन सिंह को यहां की जनता ने विधायक चुनकर विधानसभा भेजा है. जयवर्धन सिंह ने बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 46697 भारी मतों से हराया है.


चाचौड़ा विधानसभा सीट-
चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र वैसे तो गुना जिले में आता है. लेकिन इसकी गिनती राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में होती है. यहां बीजेपी की ममता मीणा ने 2003 से लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज की लेकिन साल 2018 में हुये चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने ममता मीणा हराकर ये सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. लक्ष्मण सिंह राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद बनकर दिल्ली पहुंच चुके हैं.


विधानसभा सीटें के समीकरण राजगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मजबूत स्थिति में दिखा रहे हैं. ऊपर से बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर का पार्टी नेताओं ने विरोध भी किया है. जबकि कांग्रेस ने यहां से मौना सुस्तानी को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक माना जा रहा है.

राजगढ़। राजगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस ने नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. जिससे यहां मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है. हाल ही में हुये विधानसभा चुनाव से राजगढ़ लोकसभा सीट के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में आठ सीटों में से पांच, जबकि बीजेपी ने दो और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने कब्जा जमाया था. इस लिहाज से कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में दिख रही है.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आठ सीटों में से 6 जबकि कांग्रेस के हाथ सिर्फ दो सीटें ही लगी थीं. बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की करें तो बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे को शिकस्त दी थी. रोडमल नागर को 5,96, 727 वोट मिल थे, जबकि कांग्रेस के नारायण सिंह को 3,67, 990 लोगों ने ही वोट दिया था. विधानसभा क्षेत्रों के समीकरणों पर नजर दौड़ाएं तो आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस, बीजेपी से मजूबत स्थिति में नजर आती है. राजगढ़ लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण भी रोचक हैं.

नरसिंहगढ़ लोकसभा सीट-
नरसिंहगढ़ विधानसभा राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट, जिस पर 2013 के चुनाव में कांग्रेस के गिरीश भंडारी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2018 में हुये चुनाव में यहां बीजेपी ने वापसी की और राज्यवर्धन सिंह यहां से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं, उन्होंने कांग्रेस के गिरीश भंडारी को 9534 मतो से हराया था.

दिग्विजय के गढ़ में मुश्किल में बीजेपी


ब्यावरा विधानसभा सीट-
ब्यावरा विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट है, जहां पर पिछले चार विधानसभा चुनाव में कभी भी कोई पार्टी दोबारा नहीं जीती है. यहां की जनता ने हर चुनाव में अपना विधायक बदला है. 2013 के भाजपा विधायक नारायण सिंह पंवार कांग्रेस के गोवर्धन सिंह दांगी से पराजित हुए. 2018 में इस सीट पर भाजपा को हार मिली. क्योंकि 2018 में इस सीट पर जीत का अंतर नोटा में प्राप्त वोटों से कम था. यहां पर जीत का अंतर 826 वोटो का था, जबकि नोटा में 1481 पड़े थे. इस सीट पर दांगी और सोंधिया समाज ही निर्णायक भूमिका में रहते हैं.


राजगढ़ विधानसभा सीट-
राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पिछले चार चुनावों से अपना विधायक बदले आये हैं. 2003 में यहां पर भाजपा के हरिचरण तिवारी जीते थे, जबकि 2008 में कांग्रेस के हेमराज कल्पोनी ने यहां जीत दर्ज की. 2013 यहां के लोगों ने बीजेपी के अमर सिंह को अपना विधायक चुना. साल 2018 के चुनाव में फिर से बदलाव देखने को मिला और यहां की जनता ने राजगढ़ सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. इस बार यहां से कांग्रेस के बापू सिंह तंवर ने भाजपा के अमर सिंह यादव को 31183 वोटों से हराया है.


खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र-
खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र, राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की ऐसी विधानसभा सीट है जो कांग्रेस का गढ़ रही है. कांग्रेस कांग्रेस ने 2003 और 2008 के चुनाव में जीत दर्ज की. वर्तमान विधायक प्रियव्रत सिंह खींची यहां विजई हुए थे, साल 2013 में बीजेपी ने यहां सेंध लगाने में कामयाब हुई और बीजेपी के हजारीलाल दांगी यहां से विधानसभा पहुंचे. लेकिन 2018 में वापसी करते हुये कांग्रेस ने दोबार इस सीट पर कब्जा जमा लिया. यहां से वर्तमान उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने भाजपा के हजारीलाल दांगी को 29756 मतों से मात दी थी.


सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र-
सारंगपुर विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक मात्र आरक्षित सीट है. यहां साल 2003 के बाद से हमेशा से भाजपा का कब्जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने जीत का चौका लगाया है. बीजेपी के कुंवर कोठार लगातार दूसरी बार यहां से विधायक चुने गए हैं. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश मालवीय को 4381 मतो से हराया है.


सुसनेर विधानसभा सीट-
सुसनेर विधानसभा क्षेत्र वैसे तो आगर-मालवा जिले की सीट है, जो राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इस सीट पर साल 2003 के बाद से ही बीजेपी का कब्जा रहा है लेकिन साल 2018 में हुये विधानसभा चुनाव में यहां की जनता का बीजेपी-कांग्रेस दोनों से मोहभंग हो गया और यहां के लोगों ने निर्दलीय को अपना विधायक चुना. विक्रम सिंह राणा गुड्डु यहां से विधानसभा पहुंचे हैं. उन्होंने कांग्रेस के महेंद्र भैरू सिंह को 27062 को हराया है.


राघौगढ़ विधानसभा सीट-
राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का असर माना जाता है. यह सीट अधिकतम बार राघोगढ़ राजघराने के पास रही है. इसी सीट से दिग्विजय सिंह विजयी होकर मुख्यमंत्री बने थे. अब उनके पुत्र जयवर्धन सिंह यहां से विजई होकर वर्तमान सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री हैं. लगातार दूसरी बार जयवर्धन सिंह को यहां की जनता ने विधायक चुनकर विधानसभा भेजा है. जयवर्धन सिंह ने बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 46697 भारी मतों से हराया है.


चाचौड़ा विधानसभा सीट-
चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र वैसे तो गुना जिले में आता है. लेकिन इसकी गिनती राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में होती है. यहां बीजेपी की ममता मीणा ने 2003 से लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज की लेकिन साल 2018 में हुये चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने ममता मीणा हराकर ये सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. लक्ष्मण सिंह राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद बनकर दिल्ली पहुंच चुके हैं.


विधानसभा सीटें के समीकरण राजगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मजबूत स्थिति में दिखा रहे हैं. ऊपर से बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर का पार्टी नेताओं ने विरोध भी किया है. जबकि कांग्रेस ने यहां से मौना सुस्तानी को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक माना जा रहा है.

Intro:राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र जो 3 जिलों में फैला हुआ है जिसमें कुल 8 विधानसभा क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है इन 8 विधानसभाओं में से 5 विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस का राज है तो वही तो विधानसभा क्षेत्रों पर बीजेपी का राज है और एक निर्दलीय जो कांग्रेस से ही नाता रखते हैं वह भी 8 विधानसभा क्षेत्रों में शामिल है।


Body:पूरे भारत में जहां अभी लोकसभा चुनाव चल रहे हैं ,सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव में राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के लिए छठे चरण में मतदान होना है और जहां यह लोकसभा क्षेत्र दोनों पार्टियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है ,क्योंकि यहां पर पिछले चार लोकसभा चुनाव में हर बार यहां की जनता ने नए-नए उम्मीदवारों को मौका दिया है और वहीं 15 साल के भाजपा के राज के बाद इस लोकसभा क्षेत्र पर इस बार कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया है। राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें से 5 विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस के विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे वही 2 विधानसभा क्षेत्र भाजपा के कब्जे में है वहीं सुसनेर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं वह भी कांग्रेस से ही नाता रखते हैं इसलिए कहा जा सकता है कि राजगढ़ लोकसभा क्षेत्रों में 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 6 विधानसभा क्षेत्रों पर लगभग कांग्रेस का ही कब्जा है अभी हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जहां 15 सालों बाद सत्ता में वापसी करते हुए मध्य प्रदेश में सरकार बनाई है उसी प्रकार आजकल लोकसभा क्षेत्र में भी उनकी फिर से वापसी हुई है, जहां 2013 में ठीक इसके विपरीत भाजपा ने कुल 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 6 विधानसभा क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमाया था और वही नरसिंहगढ़ और राघौगढ़ विधानसभा पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था।जहां 2014 में जहां भाजपा के रोड़मल नागर को 596727 मत प्राप्त हुए थे वही कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे को 367990 मत प्राप्त हुए थे और रोड़मल नागर ने नारायण सिंह आमलाबे को 228737 मतो से हराया था।

2018 विधानसभा चुनाव :-

नरसिंहगढ़,राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट जिस पर 2013 के चुनाव में कांग्रेस के गिरीश भंडारी यहाँ से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे परन्तु 2018 के हुए चुनावों में भाजपा ने यह पर वापसी करते हुए राज्यवर्धन सिंह यहां से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं उन्होंने कांग्रेस के गिरीश भंडारी को 9534 मतो से हराया था।

ब्यावरा विधानसभा राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट है जहां पर पिछले चार विधानसभा चुनाव में कभी भी कोई पार्टी दोबारा नहीं जीती है हर बार जनता ने यहां से अपना विधायक बदला है ऐसा ही कुछ 2018 के चुनावों में भी देखने को मिला की जब 2013 के भाजपा विधायक नारायण सिंह पंवार कांग्रेस के गोवर्धन सिंह दांगी से पराजित हुए, परंतु इस सीट पर भाजपा की हार भाजपा के मूलभूत वोटर्स के वजह से हुई क्योंकि यहां पर जीत का अंतर नोटा में प्राप्त वोटों से कम था ,यहाँ पर जीत का अंतर 826 वोटो का था और वही नोटा में 1481 वोट डाले गए थे। यह सेट जातिगत दृष्टिकोण से भी काफी प्रभावित रहती है यहां पर 2 समाज के लोग ,दांगी और सोंधिया समाज के लोग ज्यादातर यहां पर प्रतिनिधित्व करते हैं।

राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की जिला मुख्यालय वाली सीट पिछले 4 बार के विधानसभा चुनाव में हर बार अपना प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति बदलती आई है जहां 2003 में यहां पर भाजपा के हरिचरण तिवारी जीते थे वहीं 2008 में कांग्रेस के यहां से हेमराज कल्पोनी यह से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, नहीं एक बार फिर बदलाव करते हुए 2013 में भाजपा के अमर सिंह यादव यहां से विजई हुए थे और 2018 के चुनाव में फिर से बदलाव देखने को मिला और यहां की जनता ने राजगढ़ जिले की 2018 की सबसे बड़ी जीत राजगढ़ विधानसभा से कांग्रेस की झोली में डाली है 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर कांग्रेस के बापू सिंह तंवर ने भाजपा के अमर सिंह यादव को 31183 वोटों से हराया है।

खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र का ऐसी विधानसभा क्षेत्र है जो कांग्रेस का गढ़ रहा है यहां पर कांग्रेस ने हमेशा जीत दर्ज करके कांग्रेस के विधायक को विधान सभा पहुंचाया है यहां पर 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वर्तमान विधायक प्रियव्रत सिंह खींची यहां से विजई हुए थे, परंतु 2013 में यहां पर भाजपा ने इस गढ़ में सेंध लगाते हुए अपने उम्मीदवार हजारीलाल दांगी को विधानसभा पहुंचाया था, परंतु 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपने घर में वापसी करते हुए जीत दर्ज की और यहां पर एक भारी अंतर से अपने प्रतिद्वंदी पार्टी भाजपा को हराया था यहां पर कांग्रेस के 2003 और 2008 में जीत दर्ज करने वाले और वर्तमान उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची यहां से विजयी हुए है।उन्होंने भाजपा के हजारीलाल दांगी को 29756 मतो से हराया था।

सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक मात्र आरक्षित सीट है और वही यहां 2003 के बाद से हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है यहां पर लगातार चौथी बार भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया है यहां पर भारतीय जनता पार्टी के कुंवर जी कोठार लगातार दूसरी बार यहां से विधायक चुने गए हैं उन्होंने इस बार अपने नजदीकी कांग्रेस के उम्मीदवार कमलेश मालवीय को 4381 मतो से हराया है।

सुसनेर विधानसभा क्षेत्र वैसे तो आगर मालवा जिले की सीट है परंतु यहां राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है यह सीट वैसे तो 2003 के बाद से भाजपा कि गढ़ रही है परंतु इस बार यहां पर जनता ने दोनों ही पार्टियों पर विश्वास नहीं जताया और यहां पर एक निर्दलीय को अपना विधायक चुना है यहां पर विक्रम सिंह राणा गुड्डू एक निर्दलीय प्रत्याशी यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं उन्होंने अपने नजदीकी कांग्रेस के महेंद्र भैरू सिंह को 27062 को हराया है वही यह पर भाजपा 43880 मतो के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।

राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है और इस सीट पर हमेशा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का असर रहा है यह सीट अधिकतम बार राघोगढ़ राजघराने के पास रही है ,यहां पर कभी दिग्विजय सिंह विजयी होकर मुख्यमंत्री बने थे, वही अब उनके पुत्र जयवर्धन सिंह यहां से विजई होकर वर्तमान सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री बने हैं लगातार दूसरी बार जयवर्धन सिंह को यहां की जनता ने विधायक चुनकर विधानसभा भेजा है ,जयवर्धन सिंह ने अपने नजदीकी भाजपा के भूपेंद्र सिंह को 46697 भारी मतों से हराया है।

चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र वैसे तो गुना जिले में आता है परंतु यह राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में इसके गिनती की जाती है यहां पर लगातार तीन बार भाजपा की ममता मीणा 2003 के बाद से विजय हुई थी परंतु इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने यहां पर लगातार विधायक रही ममता मीणा को हराया है। लक्ष्मण सिंह जहां लगातार पांच बार राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे थे वही इस बार उसी लोकसभा क्षेत्र के एक विधानसभा क्षेत्र में अपना दबदबा दिखाते हुए लगातार जीतती आ रही ममता मीणा को 9797 मतो से हराया है,और इस पर कांग्रेस की वापसी करवाई है।





Conclusion:राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र जहां पर अभी कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्रों में जबरदस्त वापसी करते हुए आठ विधानसभा क्षेत्रों में से 5 विधानसभा क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमाया है और जहां भाजपा और कांग्रेस में मतों के अंतर देखा जाए तो लगभग एक लाख 18 हज़ार 259 मतों का अंतर है परंतु जहां पिछली बार रोडमल नागर ने 228737 कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे को हराया था, जो अभी कांग्रेस के लिए आधा ही है वहीं अभी वर्तमान सांसद और भाजपा उम्मीदवार रोडमल नागर का भाजपा के ही कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं जो कांग्रेस के लिए एक खुशी की बात है परंतु देखना होगा कि 12 मई को जनता विधानसभा में कोंग्रेस का जैसा साथ दिया है वैसा ही लोकसभा चुनाव में देती है या फिर भाजपा का साथ देती है ।
वहीं जहां इस बार कांग्रेस ने मोना सुस्तानी को अपना उम्मीदवार बनाया है वही भाजपा ने रोडमल नागर को अपना उम्मीदवार बनाया है।
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