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राजगढ़: जिले में एक बार फिर दिखा कुपोषण का मामला, कुपोषित बच्ची को भोपाल एम्स के लिए रेफर

प्रदेश में कुपोषण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला राजगढ़ के जिला अस्पताल का बताया जा रहा है. अस्पताल में एक तीन माह की कुपोषित बच्ची को इलाज के लिए लाया गया है. बच्ची का पेट कुपोषण के चलते दब गया है.

राजगढ़
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Published : May 21, 2019, 12:00 AM IST

राजगढ़। प्रदेश में कुपोषण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला राजगढ़ के जिला अस्पताल का बताया जा रहा है. अस्पताल में एक तीन माह की कुपोषित बच्ची को इलाज के लिए लाया गया है. बच्ची का पेट कुपोषण के चलते दब गया है.

कलेक्टर निधि निवेदिता ने बताया कि वह बच्ची उस महिला का दूसरा बच्चा है. वहीं जब पहला बच्चा पैदा हुआ था तब महिला का वेट तकरीबन 45 किलो था जो जन्म देते समय होने वाले वजन से कम था जिस कारण पहला बच्चा भी जन्म के समय ढाई किलो का ही था वहीं इस महिला ने सिर्फ 11 माह के अंतराल में ही दूसरे बच्चे को जन्म दिया और इस बच्चे के जन्म के समय महिला का वजन घटकर 42 किलो हो गया जो जन्म देते समय होने वाले वजन से काफी कम था. वही इस बच्ची का जन्म के समय वजन सिर्फ 1.5 किलो था जो काफी कम है. इस बच्चे के जन्म के बाद महिला द्वारा बच्चे को मां का दूध नहीं पिलाया गया और बच्ची को ऊपरी दूध दिया गया.

कलेक्टर ने कहा कि महिला और बाल विकास द्वारा पीड़िता की काउंसिलिंग की गई थी इस दौरान बच्चे को दो बार एनआरसी में भर्ती किया गया था परंतु फैमिली द्वारा रेसिस्टेंस किया गया, जिसके वजह से बच्ची का कुपोषण का इलाज दोनों बार पूर्ण नहीं हो पाया था,

उन्होंने बताया कि बच्चे को जल्द से जल्द स्वस्थ करने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और बच्ची को भोपाल एम्स में रेफर कर दिया गया है ताकि बच्ची जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो सके.

राजगढ़। प्रदेश में कुपोषण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला राजगढ़ के जिला अस्पताल का बताया जा रहा है. अस्पताल में एक तीन माह की कुपोषित बच्ची को इलाज के लिए लाया गया है. बच्ची का पेट कुपोषण के चलते दब गया है.

कलेक्टर निधि निवेदिता ने बताया कि वह बच्ची उस महिला का दूसरा बच्चा है. वहीं जब पहला बच्चा पैदा हुआ था तब महिला का वेट तकरीबन 45 किलो था जो जन्म देते समय होने वाले वजन से कम था जिस कारण पहला बच्चा भी जन्म के समय ढाई किलो का ही था वहीं इस महिला ने सिर्फ 11 माह के अंतराल में ही दूसरे बच्चे को जन्म दिया और इस बच्चे के जन्म के समय महिला का वजन घटकर 42 किलो हो गया जो जन्म देते समय होने वाले वजन से काफी कम था. वही इस बच्ची का जन्म के समय वजन सिर्फ 1.5 किलो था जो काफी कम है. इस बच्चे के जन्म के बाद महिला द्वारा बच्चे को मां का दूध नहीं पिलाया गया और बच्ची को ऊपरी दूध दिया गया.

कलेक्टर ने कहा कि महिला और बाल विकास द्वारा पीड़िता की काउंसिलिंग की गई थी इस दौरान बच्चे को दो बार एनआरसी में भर्ती किया गया था परंतु फैमिली द्वारा रेसिस्टेंस किया गया, जिसके वजह से बच्ची का कुपोषण का इलाज दोनों बार पूर्ण नहीं हो पाया था,

उन्होंने बताया कि बच्चे को जल्द से जल्द स्वस्थ करने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और बच्ची को भोपाल एम्स में रेफर कर दिया गया है ताकि बच्ची जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो सके.

Intro:चाहे सरकार कितने ही कुपोषण के ऊपर कार्यक्रम चला रही हो परंतु इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है वही आज जिले के चिकित्सालय में आज तीन महा की नन्ही सी कुपोषित बच्चे लाई गई जो कुपोषण के शिकार के कारण इतनी सुख गई थी और उसका पेट और पीठ पूरी तरह चिपक गए थे। वहीं बच्ची का इलाज अभी भोपाल एम्स में चल रहा है।


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में आज जिला अस्पताल में एक ऐसी बच्ची लाई गई जो कुपोषण का शिकार थी, इस बच्चे की उम्र तकरीबन तीन माह बताई जा रही है यह बच्ची ब्यावरा तहसील के अंतर्गत आने वाले लाडनपुर गांव में रहने वाली एक महिला की मासूम सी बेटी है। वहीं जहां सरकार और अनेक एनजीओ कुपोषण से देश को मुक्त करवाने के लिए अनेक कार्यक्रम चला रहे हैं परंतु देश में कुपोषण एक समस्या बनी हुई है जहां लोगों में जागरूकता के अभाव से और सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों की जमीनी स्तर पर सही से नहीं पहुंच पाने के कारण ऐसे मामले सामने आते हैं। यह बच्ची भोपाल ऐम्स में अभी कुपोषण से जूझ रही है और स्वस्थ होने की कामना कर रही है।


Conclusion:जिला कलेक्टर निधि निवेदिता ने बताया कि उस महिला का दूसरा बच्चा है वही जब पहला बच्चा पैदा हुआ था तब महिला का वेट तकरीबन 45 किलो था जो जन्म देते समय होने वाले वजन से कम था जिस कारण पहला बच्चा भी जन्म के समय ढाई किलो का ही था वहीं इस महिला ने सिर्फ 11 माह के अंतराल में ही दूसरे बच्चे को जन्म दिया और इस बच्चे के जन्म के समय महिला का वजन घटकर 42 किलो हो गया जो जन्म देते समय होने वाले वजन से काफी कम था वही इस बच्ची का जन्म के समय वजन सिर्फ 1.5 किलो था जो काफी कम था, वहीं इस बच्चे के जन्म के बाद महिला द्वारा बच्चे को मां का दूध नहीं पिलाया गया और बच्ची को ऊपरी दूध दिया गया , वहीं महिला बाल विकास द्वारा इन की काउंसलिंग की गई वही बच्चे को दो बार एनआरसी में भर्ती किया गया था परंतु फैमिली द्वारा रेसिस्टेंस किया गया, जिसके वजह से बच्ची का कुपोषण का इलाज दोनों बार पूर्ण नहीं हो पाया था, वहीं जिला कलेक्टर ने बताया कि बच्चे को जल्द से जल्द स्वस्थ करने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और बच्ची को भोपाल एम्स में रेफर कर दिया गया है ताकि बच्ची जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके।

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