राजगढ़। भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र का विशेष महत्व है. शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने भर से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं. कहा जाता है कि, जिस पेड़ पर बिल्व पत्र लगता है, वो शिवद्रुम भी कहलाता है. मध्यप्रदेश के राजगढ़ में एक ऐसा ही मंदिर स्थित है, जो सैकड़ों बिल्व के पेड़ों के बीच स्थापित है, जो बिलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है.
सावन माह में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व
सावन माह सनातन धर्म में एक अलग ही महत्व माना गया है. कहा जाता है कि, भगवान शिव को सावन माह बहुत प्रिय है. यही वजह है कि, सावन में भगवान शिव की पूजा, आराधना का विशेष महत्व होता है. सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत, उपवास, पूजन, अभिषेक करते हैं. इस माह में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है. वहीं पूरे माह शिवालयों में भी भक्तों का तांता लगा रहता है.
सैकड़ों बिल्व पेड़ों के बीच विराजमान है बिलेश्वर महादेव
राजगढ़ से लगभाग 55 किमी दूर जिरापुरा तहसील के भानपुरा गांव के जंगलों में बिलेश्वर महादेव मंदिर सैकड़ों बिल्व के पेड़ों के बीच स्थापित है. यहां यूं तो हर वक्त आस्था का सैलाब उमड़ता है, लेकिन महाशिवरात्रि और सावन माह के सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. बताते हैं कि, यहां पर भगवान शिव बिल्व के रूप में विराजमान हैं और पहले जहां भगवान शिव की स्थापना बिल्व के पेड़ के अंदर थी और वे बिल्व के रूप में ही यहां विराजमान थे. इस स्थान पर गुरु माखन दास द्वारा तपस्या की गई. बाद में उनके द्वारा भगवान शिव को पिंड के रूप में भी यहां स्थापित किया गया था. जिसके बाद से ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
भक्तों की आस्था का केंद्र है बिलेश्वर महादेव
यहां करीब 250 से 300 बिल्व के पेड़ अभी भी मौजूद हैं. सावन के पावन पर्व पर यहां पर हजारों की भीड़ में भक्त बिलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं. पुजारी का कहना है कि, जो भी भक्त अपनी मनोकामना भगवान के समक्ष रखते हैं, उसे बिलेश्वर महादेव जरुरी पूरा करते हैं.
पुजारी ने बताया कि, सावन के तीसरे सोमवार हर साल यहां पर कालीसिंध नदी से पानी लेकर भक्त कावड़ यात्रा निकालते हैं. हजारों की तादाद में कावड़िए यहां पर भगवान को जल अर्पण करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह इस बार कावड़ यात्रा का आयोजन नहीं किया जा रहा है. उन्होनें कहा कि, कोरोना वायरस की वजह इस बार सावन माह में भक्त भी कम ही आ रहे हैं.