राजगढ़। युवा भाजपा नेता अमित शर्मा को धारा 110 जिला बदर का नोटिस देने के मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. पुलिस प्रशासन की ओर से जिन धाराओं में सांसद प्रतिनिधि और युवा नेता अमित शर्मा को आरोपित मानते हुए जिला बदर का नोटिस थमया था. वह मामले मूल रूप से सांसद प्रतिनिधि पर दर्ज ही नहीं है, बल्कि दूसरे व्यक्ति विष्णु सौंधिया के दर्ज मामलों को आधार बनाकर अमित शर्मा को नोटिस जारी किया गया था. इस बात का खुलासा वकील द्वारा जवाब प्रस्तुत करने के बाद हुआ है. जिसे अब ब्यावरा एसडीएम ने भी प्रमाणित किया है.
जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों अनुविभागीय अधिकारी ब्यावरा संदीप अस्थाना द्वारा भाजपा के युवा नेता व सांसद प्रतिनिधि अमित शर्मा धारा 110 सीआरपीसी के तहत एक जिला बदर का नोटिस जारी किया था. उक्त नोटिस जिन धाराओं को आधार बनाकर थमाया गया था. उन धाराओं व प्रकरणों का अमित शर्मा से कोई लेना देना नहीं है. यह प्रकरण प्रस्तुत करने के दौरान स्पष्ट हुआ है. एसडीएम ब्यावरा के सामने अनावेदक अमित शर्मा के अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा द्वारा जवाब पेश कर कहा गया कि इस्तगाशा बिना किसी आधार के असत्य व मिथ्या आधारों पर जानबूझकर आवेदक की प्रतिष्ठा धूमिल करने के आश्य से ऐसा किया गया है.
वकील ने बताया कि पुलिस द्वारा वर्णित अपराध से अनावेदक अमित शर्मा का कोई लेना देना नहीं है. उक्त अपराध विष्णु सौंधिया पिता मांगीलाल निवासी ग्राम अरन्या से संबंधित हैं. एसडीएम ब्यावरा ने पाया है कि इस्तगासे में उल्लेखित अपराध अमित पिता बालकिशन शर्मा का न होकर विष्णु सौंधिया का है, जो प्रारभिंक जांच में गलत पाया गया है. जिसे लिपिकीय त्रुटि माना गया है.
यह दिया था अमित शर्मा को नोटिस
ब्यावरा एसडीएम द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया था, कि मुझे पुलिस द्वारा ज्ञात हुआ है कि पुलिस इस्तगाशे में मुझे प्रारंभिक रूप से यह समाधान हो गया है कि आपको स्वतंत्र छो़डा जाना जनहित में नहीं है. अत: क्यों न आगामी एक वर्ष तक सदाचार बनाए रखने के लिए 10 हजार रुपये बंधपत्र मय प्रतिभूति के लिया जाये. अपनी जमानत 10 हजार के मुचलके के साथ पेश करें. धारा 110 जिला बदर का नोटिस मिलने के साथ ही जिलेभर में आक्रेश पैदा होने के साथ ही समर्थकों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया था.
समर्थकों ने किया था आंदोलन, एसडीएम को पड़ा था हटना
जैसे ही नोटिस जारी किया उसी के साथ 17 नवंबर को जिलेभर के शर्मा समर्थकों ने राजगढ़ पहुंचकर कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. इसके बाद आंदोलन के कुछ ही समय बाद प्रशासन ने आनन-फानन में ब्यावरा एसडीएम को ब्यावरा से हटाते हुए सारंगपुर भेजा था. जबकि सारंगपुर एसडीएम रोशनी वर्धमान को ब्यावरा का एसडीएम बनाया था.