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राजगढ़: अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा सिविल अस्पताल , मरीज हो रहे परेशान

आगरा-मुंबई और जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम स्थल पर बसा राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर का सौ बिस्तरों वाला सिविल अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.इस अस्पताल में न तो मरीजों के देखभाल की कोई सुविधा है और न ही स्टाफ या नर्स.

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Published : Jun 3, 2019, 11:58 PM IST

सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का है बुरा हाल

राजगढ़। सौ बिस्तरों वाले सिविल अस्पताल में आए मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इस अस्पताल में न तो मरीजों के देखभाल की कोई सुविधा है और न ही स्टाफ या नर्स . आलम ये है कि यहां एक ही बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जाता है.

एक बेड पर दो मरीज.


आगरा-मुंबई और जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम स्थल पर बसा राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर का सौ बिस्तरों वाला सिविल अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. यहां आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के शिकार मरीज हो या शारीरिक पीड़ा के रोगियों की सुध लेने वाला कोई नहीं.
अस्पताल के ड्यूटी कक्ष के दोनों गेट में ताले लगे हुए हैं और ओपीडी कक्ष में भी कोई जिम्मेदार डॉक्टर नजर नहीं आया. सिविल अस्पताल में महिला वार्ड में भी जेंट्स को भर्ती कर रखा है और एक ही बेट पर 2 से 3 मरीजों को बोतल लगा रखी है.
वहीं सफाई के मामले में तो और भी बुरा हाल है. डिलेवरी कक्ष के सामने ही रास्ते में डस्टबिन में लगाई जाने वाली पॉलीथिन स्वच्छता की पोल खोल रही है. मरीजों के परिजन को स्वयं बोतल पकड़कर ले जाना पड़ रहा है.

राजगढ़। सौ बिस्तरों वाले सिविल अस्पताल में आए मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इस अस्पताल में न तो मरीजों के देखभाल की कोई सुविधा है और न ही स्टाफ या नर्स . आलम ये है कि यहां एक ही बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जाता है.

एक बेड पर दो मरीज.


आगरा-मुंबई और जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम स्थल पर बसा राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर का सौ बिस्तरों वाला सिविल अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. यहां आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के शिकार मरीज हो या शारीरिक पीड़ा के रोगियों की सुध लेने वाला कोई नहीं.
अस्पताल के ड्यूटी कक्ष के दोनों गेट में ताले लगे हुए हैं और ओपीडी कक्ष में भी कोई जिम्मेदार डॉक्टर नजर नहीं आया. सिविल अस्पताल में महिला वार्ड में भी जेंट्स को भर्ती कर रखा है और एक ही बेट पर 2 से 3 मरीजों को बोतल लगा रखी है.
वहीं सफाई के मामले में तो और भी बुरा हाल है. डिलेवरी कक्ष के सामने ही रास्ते में डस्टबिन में लगाई जाने वाली पॉलीथिन स्वच्छता की पोल खोल रही है. मरीजों के परिजन को स्वयं बोतल पकड़कर ले जाना पड़ रहा है.

Intro:राजगढ़ मध्यप्रदेश से



सिविल अस्पताल ब्यावरा अपनी दुर्दशा पर बहा रहा आंसू, मरीज और उसके परिजन हो रहे परेशान


Body:राजगढ़ मध्यप्रदेश से



सिविल अस्पताल ब्यावरा अपनी दुर्दशा पर बहा रहा आंसू, मरीज और उसके परिजन हो रहे परेशान
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खबर ब्यावरा की

आगरा-मुंबई और जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम स्थल पर बसा राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर का सौ बिस्तरों वाला सिविल अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा। यहां आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के शिकार मरीज हो या शारीरिक पीड़ा के रोगियों की सुध लेने वाला कोई नहीं। *प्रेग्नेंसी उनकी पत्नी के लिये विमल शर्मा अस्पताल में 5 बजे से नर्स मीना कुशवाहा से कह रहे कि मेडम बोटल लगा दो मेडम का एक ही जबाब आता है 8 बजे लगाउंगी*। सिविल

अस्पताल के ड्यूटी कक्ष के दोनों गेट लगे हुए और ओपीडी कक्ष में भी कोई जिम्मेदार डॉक्टर नही। सिविल अस्पताल में महिला वार्ड में भी जेंट्स को भर्ती कर रखा और एक ही बेट पर 2 से 3 मरीजों को बोटल लगा रखी और डिलेवरी कक्ष के सामने रास्ते में डस्टबीन में लगाई जाने वाली पॉलीथिन स्वच्छता की पोल खोल रही है। मरीजों के परिजन को स्वयं बोटल पकड़कर ले जाना पड़ रहा है। मीडिया को देखते ही प्राइवेट कॉलेज की छात्रा बॉटल को परिजन से लेकर बेड तक पहुंची।Conclusion:राजगढ़ मध्यप्रदेश से



सिविल अस्पताल ब्यावरा अपनी दुर्दशा पर बहा रहा आंसू, मरीज और उसके परिजन हो रहे परेशान
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खबर ब्यावरा की

आगरा-मुंबई और जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम स्थल पर बसा राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर का सौ बिस्तरों वाला सिविल अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा। यहां आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के शिकार मरीज हो या शारीरिक पीड़ा के रोगियों की सुध लेने वाला कोई नहीं। *प्रेग्नेंसी उनकी पत्नी के लिये विमल शर्मा अस्पताल में 5 बजे से नर्स मीना कुशवाहा से कह रहे कि मेडम बोटल लगा दो मेडम का एक ही जबाब आता है 8 बजे लगाउंगी*। सिविल
अस्पताल के ड्यूटी कक्ष के दोनों गेट लगे हुए और ओपीडी कक्ष में भी कोई जिम्मेदार डॉक्टर नही। सिविल अस्पताल में महिला वार्ड में भी जेंट्स को भर्ती कर रखा और एक ही बेट पर 2 से 3 मरीजों को बोटल लगा रखीऔर डिलेवरी कक्ष के सामने रास्ते में डस्टबीन में लगाई जाने वाली पॉलीथिन स्वच्छता की पोल खोल रही है। मरीजों के परिजन को स्वयं बोटल पकड़कर ले जाना पड़ रहा है। मीडिया को देखते ही प्राइवेट कॉलेज की छात्रा बॉटल को परिजन से लेकर बेड तक पहुंची।
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