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किराये के मकान में संचालित हो रही आंगनबाड़ियों को नहीं मिल रहा निर्धारित किराया, संचालक हो रहे हैं परेशान - राजगढ़ समाचार

राजगढ़ जिले के प्रशासन द्वारा निर्धारित किराया नहीं मिलनें के कारण आंगनबाड़ियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, गांव में किराया अधिकतम 750 रुपये है और शहरी क्षेत्र में अधिकतम किराया 3 हजार रुपये रखा गया है.

राजगढ़। जिले में परियोजना अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंगनबाड़ियों को उनका निर्धारित किराया नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा बच्चों का भरण-पोषण और उनका पढ़ाई प्रभावित हो रहा है. वहीं किराया नहीं मिलने से आंगनबाड़ी संचालकों को भी काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. जिले में करीब 6 सौ आंगनबाड़ी किराये के मकान में संचालित हो रहे हैं जिनके किराये का निर्धारण अभी तक नहीं हुआ है. दरअसल मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में अनेक आंगनबाड़ी किराये के मकान में संचालित हो रहे हैं और उनमें बच्चों को भरण पोषण रहा है. जिले में कई ऐसी आंगनबाड़ी हैं जिन्हे जिला प्रशासन किराया निर्धारण के मुताबिक पेमेंट नहीं कर रहा है. रहा हैं. गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने आंगनबाड़ियों को दो हिस्सों में विभाजित किया था, जिसके मुताबिक शहर के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ियों को 750 से लेकर 3 हजार तक का किराया भुगतान किया जाना था, वहीं गांव के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ियों में 200 से लेकर 750 तक का किराया भुगतान किया जाना था. कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े ने बताया कि हमारे यहां लगभग 600 आंगनवाड़ी किराए के भवन में संचालित हो रही है. जिले के छह परियोजना अधिकारी खिलचीपुर ,राजगढ़ ,खुजनेर, नरसिंहगढ़, पचोर, सुठालिया द्वारा किराया निर्धारित नहीं किया गया है. इन लोगों को पिछले महीने ही नोटिस दिया गया था कि अगर उन्होंने किराया निर्धारित नहीं किया तो इनके विरुद्ध वेतन वृद्धि रोककर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कमिश्नर को प्रस्ताव पेश किया जाएगा. किराए के मापदंड गांव में किराया अधिकतम 750 रुपये है और शहरी क्षेत्र में अधिकतम किराया 3 हजार रुपये रखा गया है.
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Published : Aug 6, 2019, 4:42 AM IST

राजगढ़। जिले में परियोजना अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंगनबाड़ियों को उनका निर्धारित किराया नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा बच्चों का भरण-पोषण और उनका पढ़ाई प्रभावित हो रहा है. वहीं किराया नहीं मिलने से आंगनबाड़ी संचालकों को भी काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. जिले में करीब 6 सौ आंगनबाड़ी किराये के मकान में संचालित हो रहे हैं जिनके किराये का निर्धारण अभी तक नहीं हुआ है.

आंगनबाड़ियों को नहीं मिल रहा निर्धारित किराया, संचालक हो रहे हैं परेशान
दरअसल मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में अनेक आंगनबाड़ी किराये के मकान में संचालित हो रहे हैं और उनमें बच्चों को भरण पोषण रहा है. जिले में कई ऐसी आंगनबाड़ी हैं जिन्हे जिला प्रशासन किराया निर्धारण के मुताबिक पेमेंट नहीं कर रहा है. रहा हैं. गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने आंगनबाड़ियों को दो हिस्सों में विभाजित किया था, जिसके मुताबिक शहर के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ियों को 750 से लेकर 3 हजार तक का किराया भुगतान किया जाना था, वहीं गांव के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ियों में 200 से लेकर 750 तक का किराया भुगतान किया जाना था.


कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े ने बताया कि हमारे यहां लगभग 600 आंगनवाड़ी किराए के भवन में संचालित हो रही है. जिले के छह परियोजना अधिकारी खिलचीपुर ,राजगढ़ ,खुजनेर, नरसिंहगढ़, पचोर, सुठालिया द्वारा किराया निर्धारित नहीं किया गया है. इन लोगों को पिछले महीने ही नोटिस दिया गया था कि अगर उन्होंने किराया निर्धारित नहीं किया तो इनके विरुद्ध वेतन वृद्धि रोककर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कमिश्नर को प्रस्ताव पेश किया जाएगा. किराए के मापदंड गांव में किराया अधिकतम 750 रुपये है और शहरी क्षेत्र में अधिकतम किराया 3 हजार रुपये रखा गया है.

राजगढ़। जिले में परियोजना अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंगनबाड़ियों को उनका निर्धारित किराया नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा बच्चों का भरण-पोषण और उनका पढ़ाई प्रभावित हो रहा है. वहीं किराया नहीं मिलने से आंगनबाड़ी संचालकों को भी काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. जिले में करीब 6 सौ आंगनबाड़ी किराये के मकान में संचालित हो रहे हैं जिनके किराये का निर्धारण अभी तक नहीं हुआ है.

आंगनबाड़ियों को नहीं मिल रहा निर्धारित किराया, संचालक हो रहे हैं परेशान
दरअसल मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में अनेक आंगनबाड़ी किराये के मकान में संचालित हो रहे हैं और उनमें बच्चों को भरण पोषण रहा है. जिले में कई ऐसी आंगनबाड़ी हैं जिन्हे जिला प्रशासन किराया निर्धारण के मुताबिक पेमेंट नहीं कर रहा है. रहा हैं. गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने आंगनबाड़ियों को दो हिस्सों में विभाजित किया था, जिसके मुताबिक शहर के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ियों को 750 से लेकर 3 हजार तक का किराया भुगतान किया जाना था, वहीं गांव के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ियों में 200 से लेकर 750 तक का किराया भुगतान किया जाना था.


कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े ने बताया कि हमारे यहां लगभग 600 आंगनवाड़ी किराए के भवन में संचालित हो रही है. जिले के छह परियोजना अधिकारी खिलचीपुर ,राजगढ़ ,खुजनेर, नरसिंहगढ़, पचोर, सुठालिया द्वारा किराया निर्धारित नहीं किया गया है. इन लोगों को पिछले महीने ही नोटिस दिया गया था कि अगर उन्होंने किराया निर्धारित नहीं किया तो इनके विरुद्ध वेतन वृद्धि रोककर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कमिश्नर को प्रस्ताव पेश किया जाएगा. किराए के मापदंड गांव में किराया अधिकतम 750 रुपये है और शहरी क्षेत्र में अधिकतम किराया 3 हजार रुपये रखा गया है.

Intro:जिले के अनेक आंगनवाड़ी किराए में संचालित हो रही परंतु जिले की अनेक ब्लॉक परियोजना अधिकारियों की लापरवाही के वजह से नहीं मिल पा रहा है जिले का अनुमानित किराया ,लगातार हो रही है उपेक्षा, जिसके वजह से लगातार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को करना पड़ रहा है संघर्ष


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में जहां अनेक आंगनवाड़ी किराए के मकान में संचालित हो रही है और उनमें ही बच्चों को भरण पोषण और अनेक वस्तुओं के साथ आंगनवाड़ी में संचालित होने वाले आनेक कार्यक्रम किए जा रहे हैं, परंतु जिले में अनेक ऐसी आंगनवाड़ी हैं जिनमें जिला प्रशासन द्वारा जो किराया निर्धारित किया गया है, उसके अनुरूप उनको किराया नहीं मिल पा रहा है और इसमें लगातार परियोजना अधिकारियों की लापरवाही देखने को मिल रही है जहां जिला मुख्यालय से आंगनबाड़ियों के लिए एक उपयुक्त किराया निर्धारित किया गया था,परंतु जिले की 6 ब्लॉक में परियोजना अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंगनवाड़ियों को जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित किराया भुगतान नहीं मिल पा रहा है।

जिला प्रशासन ने आंगनबाड़ियों को दो हिस्सों में विभाजित किया था, जिसके अनुसार शहर के अंतर्गत आने वाली आंगनवाड़ियों को 750 से लेकर ₹3000 तक का किराया भुगतान किया जाना था, वही गांव के अंतर्गत आने वाली आंगनवाड़ियों में 200 से लेकर 750 तक का किराया भुगतान किया जाना था।


Conclusion:वही इस बारे में जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े ने बताया कि हमारे यहां अनेक लगभग 600 आंगनवाड़ी किराए के भवन में संचालित हो रही है, उसके लिए यह जिला प्रशासन द्वारा आदेश निकाला गया था ,कि उनका किराया निर्धारित करते हुए उनको अच्छा किराया दिया जाए, परंतु जिले के छह परियोजना अधिकारी खिलचीपुर ,राजगढ़ ,खुजनेर, नरसिंहगढ़, पचोर, सुठालिया द्वारा किराया निर्धारित नहीं किया गया है ,इन लोगों को हमने पिछले महीने ही नोटिस दिया था कि अगर उन्होंने किराया निर्धारित नहीं किया तो इनके विरुद्ध वेतन वृद्धि रोकने के अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कमिश्नर को प्रस्ताव पेश किया जाएगा, वही किराए के मापदंड कुछ इस प्रकार है कि छोटे-छोटे गांव में किराया निर्धारण के अनुसार अधिकतम 750 रुपए रखे गया है और शहरी क्षेत्र में अधिकतम किराया ₹3000 रखा गया है, किराया निर्धारण के पीछे अनेक बातों का ध्यान रखते हुए इस को निर्धारित किया गया है जैसे कि जो आंगनवाड़ी किराए में संचालित हो रही है वह कितने स्क्वायर फीट में है उसमें बिजली की सुविधा कैसी है ,वहां पर शौचालय और अन्य पानी जैसी सुविधा कैसी है और वहां पर खुला बरामदा है कि नहीं।

विसुअल

आदेश

बाइट

चंद्रसेना भिड़े जिला कार्यक्रम अधिकारी
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