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फसल नुकसान और दुर्घटनाओं को रोकने ग्रामीणों ने बनाई गौशाला

सिलवानी तहसील के ग्राम जैथारी के कमलेश लोधी के मन में आवारा गायों के लिए गौशाला बना दी. कमलेश ने ग्रामीणों के सहयोग से इस गौशाला का निर्माण किया. गौशाला के लिए कमलेश ने खुद की जमीन दे दी.

Villagers built cowshed
ग्रामीणों ने बनाई गौशाला
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Published : Feb 19, 2021, 6:12 AM IST

रायसेन। मन में अगर नेक इरादा और सेवाभाव हो तो समाजिक सरोकार से जुड़ने और उसे पूरा करने की राह आसान हो जाती है. समाज सेवा के प्रकल्प में लोग जुड़ते चले जाते हैं और कारवां बनता चला जाता है. सेवाभाव की भावना और गांयों के प्रति हो रही हिंसा को देखते हुए कमलेश लोधी ने बिना किसी शासकिय सहयोग से गौशाला बना दी.

  • ग्रामीणों से मांगा सहयोग

सिलवानी तहसील के ग्राम जैथारी के कमलेश लोधी के मन में आवारा गायों के प्रति हो रही हिंसा को देखकर अस्थायी गौशाला बनाने का विचार आया. यह विचार उन्हें तब आया जब उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति आवारा गाय को डंडे से बड़ी बेरहमी से पीटते हुए खेत से भगा रहा था. उन्होंने गांव के अन्य लोगों से बात की और समझाया कि थोड़े से सहयोग से गांव और आसपास के आवारा पशुओं के लिये आस्थायी गौशाला बनाकर उन्हें चारा-पानी और आश्रय देकर खेतों में लगी फसलों को आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.

  • जसवंत ने दी अपनी जमीन

कमलेश लोधी ने गांव के अनेक लोगों से आवारा गायों के लिए चारा-पानी और आश्रय की बात की. सेवा के इस काम से लोग जुड़ते गए और एक अस्थायी गौशाला बनकर तैयार हो गई. गौशाला के लिए जसवंत धाकड़ ने अपनी निजी भूमि दी, किसी ने लकड़ी, किसी ने प्लास्टिक तिरपाल तो किसी ने चारे-पानी की व्यवस्था की और बिना किसी शासकीय सहयोग के गौशाला तैयार हो गई.

गौमाता के गोबर से बनी लकड़ी से शुद्ध होगा पर्यावरण

  • गौशाला में 120 गाय

इस गौशाला में 120 गायें हैं. इन गायों की देखरेख के लिए तीन लोगों को रखा गया जो दिन भर गायों को चारा-पानी देते हैं. जन सहयोग से इस गौशाला का संचालन हो रहा है. इस गौशाला को बनाने और चलाने के लिए ग्रामवासी विजय, रामलखन घाकड़, वीरेन्द्र धाकड़, भोजराज राजपूत, मोहन मुरारी, महेश पाल, संजय, गंगाराम चौधरी सहित अनेक ग्रामवासी सहयोग दे रहे हैं.

रायसेन। मन में अगर नेक इरादा और सेवाभाव हो तो समाजिक सरोकार से जुड़ने और उसे पूरा करने की राह आसान हो जाती है. समाज सेवा के प्रकल्प में लोग जुड़ते चले जाते हैं और कारवां बनता चला जाता है. सेवाभाव की भावना और गांयों के प्रति हो रही हिंसा को देखते हुए कमलेश लोधी ने बिना किसी शासकिय सहयोग से गौशाला बना दी.

  • ग्रामीणों से मांगा सहयोग

सिलवानी तहसील के ग्राम जैथारी के कमलेश लोधी के मन में आवारा गायों के प्रति हो रही हिंसा को देखकर अस्थायी गौशाला बनाने का विचार आया. यह विचार उन्हें तब आया जब उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति आवारा गाय को डंडे से बड़ी बेरहमी से पीटते हुए खेत से भगा रहा था. उन्होंने गांव के अन्य लोगों से बात की और समझाया कि थोड़े से सहयोग से गांव और आसपास के आवारा पशुओं के लिये आस्थायी गौशाला बनाकर उन्हें चारा-पानी और आश्रय देकर खेतों में लगी फसलों को आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.

  • जसवंत ने दी अपनी जमीन

कमलेश लोधी ने गांव के अनेक लोगों से आवारा गायों के लिए चारा-पानी और आश्रय की बात की. सेवा के इस काम से लोग जुड़ते गए और एक अस्थायी गौशाला बनकर तैयार हो गई. गौशाला के लिए जसवंत धाकड़ ने अपनी निजी भूमि दी, किसी ने लकड़ी, किसी ने प्लास्टिक तिरपाल तो किसी ने चारे-पानी की व्यवस्था की और बिना किसी शासकीय सहयोग के गौशाला तैयार हो गई.

गौमाता के गोबर से बनी लकड़ी से शुद्ध होगा पर्यावरण

  • गौशाला में 120 गाय

इस गौशाला में 120 गायें हैं. इन गायों की देखरेख के लिए तीन लोगों को रखा गया जो दिन भर गायों को चारा-पानी देते हैं. जन सहयोग से इस गौशाला का संचालन हो रहा है. इस गौशाला को बनाने और चलाने के लिए ग्रामवासी विजय, रामलखन घाकड़, वीरेन्द्र धाकड़, भोजराज राजपूत, मोहन मुरारी, महेश पाल, संजय, गंगाराम चौधरी सहित अनेक ग्रामवासी सहयोग दे रहे हैं.

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