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मंडी में सरकारी मूल्य से कम दाम में खरीदा जा रहा धान, किसानों को नहीं मिलती मूलभूत सुविधाएं - Market Secretary Karunesh Tiwari

कमलनाथ सरकार भले ही किसानों की मदद के लाख कोशिश करे, लेकिन जिम्मेदार सरकार के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं.

Farmers are not getting basic facilities
किसानों को नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं
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Published : Nov 26, 2019, 10:10 AM IST

Updated : Nov 26, 2019, 11:43 AM IST

रायसेन। मध्यप्रदेश सरकार किसानों के हित के लिए कितने भी प्रयास कर ले, पर मंडी सचिव करुणेश तिवारी कमलनाथ सरकार के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं, जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में धान खरीदी सबसे ज्यादा होती है. यहां अन्य जिलों से किसान अपनी धान बेचने आते है. किसानों की फसल सरकारी मूल्य से भी कम कीमत में यानि 1100-1200 रुपये क्विंटल में खरीदी जा रही है, जबकि मध्यप्रदेश में धान का सरकारी मूल्य 1700 रुपये बताया जा रहा है.

किसानों को नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं

सुविधाओं के अभाव में किसान

  • मंडी में किसानों को पीने के पानी की व्यवस्था नहीं
  • मंडी में बैठने के लिए दूर-दूर तक छाया नहीं मिलती
  • सर्द रात में किसानों के रुकने के लिए कोई सुविधा नहीं
  • मंडी में शौचालय तक की व्यवस्था नहीं

मंडी में रोजाना 500-800 ट्राली धान पहुंच रहा है. हर एक ट्राली से दो-तीन किलो धान निकालने से मंडी कर्मचारियों और मंडी सचिव करीब 10-15 क्विंटल धान रोजाना बचा रहे हैं, जिसका किसानों को कोई भुगतान नहीं किया जाता है. मंडी सचिव करुणेश तिवारी का कहना है कि मंडी में हर तरह की सुविधा किसानों को मुहैया कराई जा रही है, जबकि किसानों का कहना है कि मंडी सचिव अपने चेंबर से बाहर ही नहीं निकलते. व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है.

रायसेन। मध्यप्रदेश सरकार किसानों के हित के लिए कितने भी प्रयास कर ले, पर मंडी सचिव करुणेश तिवारी कमलनाथ सरकार के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं, जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में धान खरीदी सबसे ज्यादा होती है. यहां अन्य जिलों से किसान अपनी धान बेचने आते है. किसानों की फसल सरकारी मूल्य से भी कम कीमत में यानि 1100-1200 रुपये क्विंटल में खरीदी जा रही है, जबकि मध्यप्रदेश में धान का सरकारी मूल्य 1700 रुपये बताया जा रहा है.

किसानों को नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं

सुविधाओं के अभाव में किसान

  • मंडी में किसानों को पीने के पानी की व्यवस्था नहीं
  • मंडी में बैठने के लिए दूर-दूर तक छाया नहीं मिलती
  • सर्द रात में किसानों के रुकने के लिए कोई सुविधा नहीं
  • मंडी में शौचालय तक की व्यवस्था नहीं

मंडी में रोजाना 500-800 ट्राली धान पहुंच रहा है. हर एक ट्राली से दो-तीन किलो धान निकालने से मंडी कर्मचारियों और मंडी सचिव करीब 10-15 क्विंटल धान रोजाना बचा रहे हैं, जिसका किसानों को कोई भुगतान नहीं किया जाता है. मंडी सचिव करुणेश तिवारी का कहना है कि मंडी में हर तरह की सुविधा किसानों को मुहैया कराई जा रही है, जबकि किसानों का कहना है कि मंडी सचिव अपने चेंबर से बाहर ही नहीं निकलते. व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है.

Intro:रायसेन-मध्य प्रदेश सरकार और उसके मुख्यमंत्री कमलनाथ किसानों के सच्चे हितैषी बनकर रात दिन यह प्रयास कर रहे हैं कि किसानों को कहीं किसी प्रकार से परेशानी ना हो, मगर वही रायसेन में मंडी सचिव करुणेश तिवारी मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं।

Body:भारत में किसानों को अन्नदाता कहा जाता है और किसानों की बेहतरी के लिए मध्यप्रदेश सरकार कई प्रयास कर रही हैं। मगर रायसेन कृषि मंडी में आलम बद से बदतर हैं। रायसेन में धान खरीदी की सबसे बड़ी मंडी कहा जाता है,और यहां अन्य जिलों से भी किसान अपनी धान बेचने आते है। मगर यहां आलम यह है कि किसान परेशान है उसको यहां पर न पीने के पानी की व्यवस्था है और ना बैठने के लिए दूर दूर तक टेंट नजर आता है।रात में ठंड पड़ने के बावजूद भी किसानों के लिए रात रुकने के लिए कोई सुविधा मंडी सचिव द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई है। किसान को मंडी रायसेन में हर तरफ से लूटा जा रहा है जहां किसान की धान की नीलामी में हर किसान की ट्राली से 2 से 3 किलो धान सैंपल के तौर पर निकाली जाती है मगर धान देखने के बाद,बही धान किसान को वापस नहीं की जाती है। रायसेन में करीब 500 से 800 ट्राली प्रतिदिन धान आ रही है हर ट्राली से दो-तीन किलो धान निकालने से मंडी कर्मचारियों और मंडी सचिव करीब 10 से 15 कुंटल धान प्रतिदिन बचा रहे हैं। जिसका किसानों को कोई भुगतान नहीं किया जाता है। वहीं किसानों के लिए पानी के टैंकर मे पानी नजर नही आता है, तो किसानों को यहां शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है।और जो शौचालय नगर पालिका द्वारा रखा गया है मगर उसमें ना तो पानी की कोई व्यवस्था है और न ही नालों में टोंटियां नजर आती है।किसान जाए तो कहां जाए।वहीं मंडी सचिव से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि मंडी में हर प्रकार की सुविधा किसानों को मुहैया कराई जा रही है और किसान बहुत खुश है।किसानों ने मीडिया को अपनी आपबीती सुनाई और बताया कि मंडी सचिव अपने चेंबर से बाहर ही नहीं निकलते हैं, और उनको किसानों की कोई परवाह नहीं है। किसान अब परेशान है और मध्यप्रदेश सरकार किसान के बेहतरी के लिए लाख प्रयास कर रही है मगर ऐसे मंडी सचिव जिनको अपने केबिन में से निकलने की फुर्सत नहीं है और किसानों की समस्याओं को सुनने का समय उनके पास नहीं है तो किसान कैसे खुश होगा। वही मंडी सचिव की कार्यवाही पर किसान सवालिया निशान लगा रहे हैं किसानों का कहना है कि हमको यहां पर भोजन की व्यवस्था तक नहीं दी गई है। वही अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि शायद अव्यवस्थाओं के नाम पर रायसेन की मंडी मध्य प्रदेश में अव्वल नजर आएगी।
किसानों के साथ रायसेन मंडी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है जहां उनको नगद भुगतान नहीं किया जा रहा, वहीं उनको भुगतान की कच्ची पर्ची दी जाती है, तो उनको बैठने से लेकर खाने-पीने की कोई सुविधा नहीं उपलब्ध की जा रही है। किसानों की फसल सरकारी मूल्य से भी कम कीमत में 1100 रुपए से लेकर 1200 रुपये कुंटल में खरीदी जा रही है। जबकि मध्यप्रदेश में धान का सरकारी मूल्य 1700 रुपये बताया जा रहा है। अव्यवस्थाओं की मार झेल रहा किसान हर तरफ से लूटता नजर आ रहा है वही निजी कंपनी वाले ठेकेदार इस नीलामी में माल खरीद रहे हैं तो वह अपनी मनमर्जी से किसानों को पैसे का भुगतान कर रहे है।अब देखना यह होगा कि कब प्रशासन की नींद खुलेगी और किसानों को सारी सुविधा मुहैया कराई जाएंगी।हालांकि मंडी सचिव करुणेश तिवारी की हिटलर शाही नीति से किसान परेशान हैं और किसान अब मंडी सचिव के खिलाफ किसी भी दिन मोर्चा खोल सकते हैं क्योंकि मंडी सचिव करुणेश तिवारी को किसानों की कोई परवाह है नहीं है। हो सकता है कि किसी दिन किसान आक्रोश में आ जाएं और कोई गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाये।

Byte-किसान

Byte-मंडी सचिव करुणेश तिवारी।Conclusion:
Last Updated : Nov 26, 2019, 11:43 AM IST
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