रायसेन। कृषि विभाग ने खराब मौसम में पाला पड़ने की आशंका होने पर फसलों को बचाव के लिए किसानों को सलाह दी. किसानों को पाले से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें और यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1 हजार लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है. 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव और घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर एवं 0.1 प्रतिशत गंधक अम्ल का छिड़काव करना चाहिए. नकतार स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
किसानों के लिए जरूरी सलाह
कृषि विभाग ने सलाह दी गई है कि थोड़ी देर से बुवाई फसल में सिंचाई के साथ एक-तिहाई नत्रजन 33 किलो प्रति हेक्टेयर सिंचाई के पूर्व भुरककर देना चाहिए. अगेती बुवाई वाली किस्मों में और सिंचाई न करें. पूर्ण सिंचित समय से बुवाई वाली किस्मों में 20-22 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें. आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते है तथा उपज कम हो सकती है. बालियों निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल खिर जाते है. दानों का मुंह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है. शीघ्र एवं समय से बोई गई फसलों में उगे हुए खरपतवारों को जड़ सहित उखाड़कर जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल करने या गड्ढे में डालकर कार्बनिक खाद तैयार करने की सलाह दी गई है.
इसी प्रकार थोड़ी देर से बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए खुरपी या हैण्ड हो से फसल में निराई-गुड़ाई करना चाहिए. श्रमिक उपलब्ध न होने पर जब खरपतवार 2-4 पत्ती के हैं, तो चौड़ी पत्ती वालों के लिए 4 ग्राम मेटसल्फ्युरोंन मिथाइल या 650 मिलीलीटर 2,4-डी प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें. संकरी पत्ती वालों के लिए 60 ग्राम क्लोडिनेफोप प्रोपरजिल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़के. दोनों तरह के खरपतवारों के लिए उपरोक्त को मिलाकर या बाजार में उपलब्ध इनके रेडी-मिक्स उत्पादों को छिड़कें. छिड़काव के लिए स्प्रयेर में फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें.