रायसेन| इंसान को सजा और न्याय दोनों ही अदालत में मिलते हैं. लेकिन कोई जीव इंसान पर जुल्म करे या फिर इंसान जीव पर जुल्म करे तो उसे नागों की 'अदालत' में न्याय और सजा मिलती है.
रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के श्रीराम रसियाधाम सीहोरा खुर्द में नागपंचमी के अवसर पर नागों की अदालत लगती है. इस अदालत में ना तो कोई वकील होता है और न ही कोई गवाह. लेकिन मान्यता है कि इस अदालत में आने वाला कोई भी इंसान बिना न्याय के वापस नहीं जाता है. नागों की अदालत में सर्पदंश से पीड़ित रहे लोगों के शरीर में नागों की आत्मा प्रवेश कर काटने का कारण बताती है. लोग नागों द्वारा सताने के बाद सीहोरा दरबार में पहुंचते हैं. इस अनोखे और चमत्कारिक आयोजन को देखने के लिए दूर दराज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
नागों की अदालत में पहुंची एक महिला के पति ने बताया कि 4 साल से उसे सांप काटते थे और वो ठीक हो जाती थी. वो महिला भी नागों की अदालत में शेषनाग के सामने बोली कि वो नागिन थी, जिसकी मौत हो गई थी और उसे मनुष्य जन्म मिला. लेकिन उसने अपने पति और तीन बेटियों को छोड़कर किसी दूसरे से शादी कर ली. और वो वर्तमान जन्म में नाग और नागिन से परेशान थी जिसे यहां न्याय मिला.
आधुनिक युग में जहां अंधविश्वासों को तोड़कर विज्ञान ने काफी प्रगति की है तथा गंभीर रोगों के अत्याधुनिक इलाज की खोज हुई हैं. इन स्थितियों में भी लोगों की आस्था इस प्रकार के अनोखे आयोजनों से जुड़ी है. हालांकि ईटीवी भारत इस तरह के अंधविश्वासों को बढ़ावा नहीं देता है.