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इस स्पॉट पर साल में एक बार गायब हो जाती है परछाईं, 21 जून को लगती है लोगों की भीड़ - Diwanganj

प्रदेश में भोपाल से 25 किलोमीटर दूर स्टेट हाईवे-18 पर रायसेन जिले के दीवानगंज और सलामतपुर के बीच 21 जून दोपहर के 12 बजे हर साल की तरह इस साल भी कर्क रेखा क्षेत्र को नो शेडो जोन देखा गया.

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Published : Jun 21, 2020, 7:19 PM IST

रायसेन। हम बचपन से यह कहावत सुनते चले आ रहे हैं कि कोई साथ हो न हो, आदमी का साया हमेशा उसके साथ रहता है, लेकिन 21 जून को कर्क रेखा क्षेत्र में आदमी का साया भी उसका साथ छोड़ देता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जहां से कर्क रेखा गुजरी है उस जगह पर 21 जून को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणे 90 डिग्री लंबबत पड़ती है, जिसके कारण खड़े व्यक्ति की परछाईं नहीं बनती है, इसलिए कर्क रेखा क्षेत्र को नो शेडो जोन भी कहा जाता है.

नो शेडो जोन

जिस कर्क रेखा को बचपन से भूगोल में पढ़ा है और ग्लोब पर जिसे देखा है, उस स्थान पर ठहरना अपने आप में एक अलग अनुभूति है. कर्क रेखा मध्यप्रदेश में भोपाल से 25 किलोमीटर दूर उत्तर से निकलती है, जहां से यह गुजरती है वह स्थान स्टेट हाईवे-18 पर रायसेन जिले के दीवानगंज और सलामतपुर के बीच में मौजूद है. कर्क रेखा को चिन्हांकित करने के लिए उस जगह पर राजस्थानी पत्थरों से चबूतरानुमा स्मारक बनाया गया है, यह स्थान रायसेन जिले का सबसे आर्कषक सेल्फी पाइंट है. यहां से निकलने वाला प्रत्येक व्यक्ति सेल्फी लिये बिना आगे नहीं बढ़ता.

कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा‎ के समानान्तर ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई एक काल्पनिक रेखा है. यह रेखा पृथ्वी पर उन पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक है, जो पृथ्वी के मानचित्र पर प्रदर्शित की जाती है. कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरीय अक्षांश रेखा है, जिस पर सूर्य दोपहर के समय लंबवत होता है. 21 जून को जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है, उत्तरी गोलार्ध में वह दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है. यहां इस दिन सबसे अधिक गर्मी (स्थानीय मौसम को छोड़कर) होती है.

कर्क रेखा के समानांनतर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है, जिसे मकर रेखा कहते हैं. सूर्य की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ने को उत्तरायण और कर्क रेखा से मकर रेखा को वापसी को दक्षिणायन कहते हैं. इस प्रकार वर्ष में 6-6 माह के दो आयन होते हैं. कर्क रेखा को चिह्नित करता स्मारक, मातेहुआला, सैन लुइस पोटोसी, मेक्सिको और भारत में कर्क रेखा उज्जैन शहर से निकलती है. इस कारण ही जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने यहां वैधशाला बनवाई जिसे जंतर-मंतर कहते हैं. यह खगोल-शास्त्र के अध्ययन के लिए है. इसी वजह से यह स्थान काल-गणना के लिए एकदम सटीक माना जाता है. अधिकतर हिन्दू पंचांग यहीं से निकलते हैं.

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नो शेडो जोन में सेल्फी लेते सैलानी

भारत के इन शहरों और राज्यों से गुजरती है कर्क रेखा

23.32 डिग्री उत्तरी अक्षांष कर्क रेखा मध्यप्रदेश के रायसेन, विदिशा, सागर, दमोह, कटनी, उमरिया, शहडोल, और जबलपुर जिलों से गुजरती है. जिन स्थानों से यह रेखा गुजरती है वहां गर्मी के मौसम की अवधि सर्दी के मौसम से ज्यादा होती है. दक्षिण अफ्रीका के सहारा मरूस्थल का अधिकांश हिस्सा कर्क रेखा पर होने के कारण यहां का तापमान सबसे अधिक होता है. कर्क रेखा मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मिजोरम राज्यों से निकलती है.

इन देशों से होकर गुजरती है कर्क रेखा

संयुक्त राज्य अमेरिका (हवाई-केवल सागर, कोई भी द्वीप इस रेखा पर नहीं है), मैक्सिको में मजातलान (प्रशांत महासागर के उत्तर में ), बहामास, पश्चिमी सहारा (मोरोक्को द्वारा दावा किया गया) मौरीटानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, चाड, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, ओमान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन (मात्र गुआंगजोऊ के उत्तर से) और ताइवान से होकर निकलती है.

रायसेन। हम बचपन से यह कहावत सुनते चले आ रहे हैं कि कोई साथ हो न हो, आदमी का साया हमेशा उसके साथ रहता है, लेकिन 21 जून को कर्क रेखा क्षेत्र में आदमी का साया भी उसका साथ छोड़ देता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जहां से कर्क रेखा गुजरी है उस जगह पर 21 जून को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणे 90 डिग्री लंबबत पड़ती है, जिसके कारण खड़े व्यक्ति की परछाईं नहीं बनती है, इसलिए कर्क रेखा क्षेत्र को नो शेडो जोन भी कहा जाता है.

नो शेडो जोन

जिस कर्क रेखा को बचपन से भूगोल में पढ़ा है और ग्लोब पर जिसे देखा है, उस स्थान पर ठहरना अपने आप में एक अलग अनुभूति है. कर्क रेखा मध्यप्रदेश में भोपाल से 25 किलोमीटर दूर उत्तर से निकलती है, जहां से यह गुजरती है वह स्थान स्टेट हाईवे-18 पर रायसेन जिले के दीवानगंज और सलामतपुर के बीच में मौजूद है. कर्क रेखा को चिन्हांकित करने के लिए उस जगह पर राजस्थानी पत्थरों से चबूतरानुमा स्मारक बनाया गया है, यह स्थान रायसेन जिले का सबसे आर्कषक सेल्फी पाइंट है. यहां से निकलने वाला प्रत्येक व्यक्ति सेल्फी लिये बिना आगे नहीं बढ़ता.

कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा‎ के समानान्तर ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई एक काल्पनिक रेखा है. यह रेखा पृथ्वी पर उन पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक है, जो पृथ्वी के मानचित्र पर प्रदर्शित की जाती है. कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरीय अक्षांश रेखा है, जिस पर सूर्य दोपहर के समय लंबवत होता है. 21 जून को जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है, उत्तरी गोलार्ध में वह दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है. यहां इस दिन सबसे अधिक गर्मी (स्थानीय मौसम को छोड़कर) होती है.

कर्क रेखा के समानांनतर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है, जिसे मकर रेखा कहते हैं. सूर्य की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ने को उत्तरायण और कर्क रेखा से मकर रेखा को वापसी को दक्षिणायन कहते हैं. इस प्रकार वर्ष में 6-6 माह के दो आयन होते हैं. कर्क रेखा को चिह्नित करता स्मारक, मातेहुआला, सैन लुइस पोटोसी, मेक्सिको और भारत में कर्क रेखा उज्जैन शहर से निकलती है. इस कारण ही जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने यहां वैधशाला बनवाई जिसे जंतर-मंतर कहते हैं. यह खगोल-शास्त्र के अध्ययन के लिए है. इसी वजह से यह स्थान काल-गणना के लिए एकदम सटीक माना जाता है. अधिकतर हिन्दू पंचांग यहीं से निकलते हैं.

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नो शेडो जोन में सेल्फी लेते सैलानी

भारत के इन शहरों और राज्यों से गुजरती है कर्क रेखा

23.32 डिग्री उत्तरी अक्षांष कर्क रेखा मध्यप्रदेश के रायसेन, विदिशा, सागर, दमोह, कटनी, उमरिया, शहडोल, और जबलपुर जिलों से गुजरती है. जिन स्थानों से यह रेखा गुजरती है वहां गर्मी के मौसम की अवधि सर्दी के मौसम से ज्यादा होती है. दक्षिण अफ्रीका के सहारा मरूस्थल का अधिकांश हिस्सा कर्क रेखा पर होने के कारण यहां का तापमान सबसे अधिक होता है. कर्क रेखा मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मिजोरम राज्यों से निकलती है.

इन देशों से होकर गुजरती है कर्क रेखा

संयुक्त राज्य अमेरिका (हवाई-केवल सागर, कोई भी द्वीप इस रेखा पर नहीं है), मैक्सिको में मजातलान (प्रशांत महासागर के उत्तर में ), बहामास, पश्चिमी सहारा (मोरोक्को द्वारा दावा किया गया) मौरीटानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, चाड, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, ओमान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन (मात्र गुआंगजोऊ के उत्तर से) और ताइवान से होकर निकलती है.

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