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पुआर की झाड़ बनी ग्रामीणों के लिए रोजगार का साधन

रायसेन की सिलवानी तहसील में लोगों ने रोजगार के लिए एक नया तरीका मिल गया है . जंगली क्षेत्र में लगने वाली पुआर की झाड़ों को बेचकर वहां के लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

पुआर की झाड़ रोजगार का नया साधन
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Published : Nov 22, 2019, 1:31 PM IST

रायसेन। जिले की सिलवानी तहसील के जंगली क्षेत्र में लगने वाली पुआर की झाड़ को वहां के लोग काटकार बेच रहे हैं, जो कि उनकी आमदनी का अच्छा जरिया बन गया है. पहले सड़क के साइडों में उगने वाली पुआर को साफ सफाई के चलते सरकार ही काटवा देती थी. जब से पुआर का इस्तेमाल दवा बनाने में होने लगा है, तब से लोग इसे काटकर बाजार में बेच देते हैं. पुआर को काटकर और बेचकर लोगों को काफी हद तक रोजगार मिल रहा है.

पुआर की झाड़ रोजगार का नया साधन


वहीं पुआर को काटने वाले युवकों ने बताया कि वो सुबह से शाम तक लगभग 20 से 25 किलो पुआर काट लेते हैं. जिसके बाद इसे सड़क पर बिछा देते हैं और वाहनों के आवागमन से इसका दावन हो जाता है, जिससे पुआर मिल जाती है. जिसके बाद पुआर को साफ कर बाजार में बेच देते हैं. बाजार में पुआर 10 से 15 किलों तक बिकती है, जिसे बेच कर 250 से 300 रुपए तक की कमाई हो जाती है.

रायसेन। जिले की सिलवानी तहसील के जंगली क्षेत्र में लगने वाली पुआर की झाड़ को वहां के लोग काटकार बेच रहे हैं, जो कि उनकी आमदनी का अच्छा जरिया बन गया है. पहले सड़क के साइडों में उगने वाली पुआर को साफ सफाई के चलते सरकार ही काटवा देती थी. जब से पुआर का इस्तेमाल दवा बनाने में होने लगा है, तब से लोग इसे काटकर बाजार में बेच देते हैं. पुआर को काटकर और बेचकर लोगों को काफी हद तक रोजगार मिल रहा है.

पुआर की झाड़ रोजगार का नया साधन


वहीं पुआर को काटने वाले युवकों ने बताया कि वो सुबह से शाम तक लगभग 20 से 25 किलो पुआर काट लेते हैं. जिसके बाद इसे सड़क पर बिछा देते हैं और वाहनों के आवागमन से इसका दावन हो जाता है, जिससे पुआर मिल जाती है. जिसके बाद पुआर को साफ कर बाजार में बेच देते हैं. बाजार में पुआर 10 से 15 किलों तक बिकती है, जिसे बेच कर 250 से 300 रुपए तक की कमाई हो जाती है.

Intro:पुआर बनी रोजगार का साधन
250-300 रूपये तक हो जाती है कमाई

सिलवानी। सिलवानी जंगली क्षेत्र या कहा जाए कि पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से इस पूरे क्षेत्र में काफी संख्या में पुआर जो कहीं भी सड़क के साइडों में पैदा हो जाती है ।कुछ सालों से कहा जाए तो इस पुआरी की खपत अचानक से बढ़ गई और यह जहां पहले काफी संख्या में खेतों में खेतों की मेड़ों पर सड़की की साइड में पैदा होती थी ।जिसे शासन द्वारा कटवा कर साफ सफाई करवाई जाती थी और जलाया जाता था। लेकिन जव से दवा बनने लगी तब से लोग ही इसे काट कर बाजार में बेच रहे हैं । इस पुआर से लोगों को काफी हद तक रोजगार भी मिल रहा है।
ग्राम सोडरपुर के सरवन ने बताया कि हम सुबह से शाम तक लगभग 20से25 किलो पुआर काट लेते है जिसके बाद हम इसे सड़क पर बिछा देते हैं और वाहनों द्वारा इसकी दावन हो जाती है जिससे हमें पुआर प्राप्त हो जाती है और उसे हम साफ कर बाजार में बेच देते हैं इसे में ढाई सौ से 300 रूपए तक प्राप्त हो जाते हैं
वही सीताराम ने बताया कि वह भी रोज सड़क की साइडों में लगी हुई पवार एवं खाली जंगलों की पौधों को काटकर सड़क पर डाल देता है जिससे वाहनों के आवागमन से उसकी दावन हो जाती है और शाम तक हमें भी 3 से 4 पसेरी पवार आराम से मिल जाती है जो कि मार्केट के अंदर 10 से ₹15 किलो तक बिक रही है इसे हमें ढाई सौ से ₹300 तक प्राप्त हो जाते हैं।
बाइट =शरवन
बाइट = सीतारामBody:पुआर बनी रोजगार का साधन
250-300 रूपये तक हो जाती है कमाई

सिलवानी। सिलवानी जंगली क्षेत्र या कहा जाए कि पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से इस पूरे क्षेत्र में काफी संख्या में पुआर जो कहीं भी सड़क के साइडों में पैदा हो जाती है ।कुछ सालों से कहा जाए तो इस पुआरी की खपत अचानक से बढ़ गई और यह जहां पहले काफी संख्या में खेतों में खेतों की मेड़ों पर सड़की की साइड में पैदा होती थी ।जिसे शासन द्वारा कटवा कर साफ सफाई करवाई जाती थी और जलाया जाता था। लेकिन जव से दवा बनने लगी तब से लोग ही इसे काट कर बाजार में बेच रहे हैं । इस पुआर से लोगों को काफी हद तक रोजगार भी मिल रहा है।
ग्राम सोडरपुर के सरवन ने बताया कि हम सुबह से शाम तक लगभग 20से25 किलो पुआर काट लेते है जिसके बाद हम इसे सड़क पर बिछा देते हैं और वाहनों द्वारा इसकी दावन हो जाती है जिससे हमें पुआर प्राप्त हो जाती है और उसे हम साफ कर बाजार में बेच देते हैं इसे में ढाई सौ से 300 रूपए तक प्राप्त हो जाते हैं
वही सीताराम ने बताया कि वह भी रोज सड़क की साइडों में लगी हुई पवार एवं खाली जंगलों की पौधों को काटकर सड़क पर डाल देता है जिससे वाहनों के आवागमन से उसकी दावन हो जाती है और शाम तक हमें भी 3 से 4 पसेरी पवार आराम से मिल जाती है जो कि मार्केट के अंदर 10 से ₹15 किलो तक बिक रही है इसे हमें ढाई सौ से ₹300 तक प्राप्त हो जाते हैं।
बाइट =शरवन
बाइट = सीतारामConclusion:
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