रायसेन। इंसान जब अपराध करता हैं या उसपर जुल्म होता है, तो अदालत अपराधी को दंड और फरियादी को न्याय देती है. जब कोई जीव इंसान पर जुल्म करे या इंसान जीव पर जुल्म करे तो उसे न्याय देने के लिए भी एक अदालत है. एक ऐसी अदालत जहां कोई वकील नही होता और न ही कोई गवाह, लेकिन न्याय सटीक मिलता है. यह है नागों की अदालत जहां शेषनाग के सामने होता है न्याय.
यहां लगती है नागों की अदालत
रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के श्रीराम रसियाधाम सीहोरा खुर्द में नागपंचमी के अवसरपर नागों की अदालत लगती है. मान्यता है कि इस अदालत में आने वाला कोई भी इंसान बिना न्याय के वापस नहीं जाता है. नागपंचमी के अवसर पर हर साल यहां नागों की अदालत लगती है. यह आयोजन हर साल होता है. इस दौरान सर्पदंश से पीड़ित रहे लोगों के शरीर में नागों की आत्मा प्रवेश कर सर्पदंश का कारण बताती है. कहा जाता है कि नागों द्वारा सताए गए लोग यहां पहुंचते हैं.
दूर-दूर से सीहोरा खुर्द आते हैं लोग
अपने तरह के अनोखे और चमत्कारिक आयोजन को देखने के लिए दूरदराज से लोग बड़ी संख्या में ग्राम सीहोरा खुर्द आते हैं. सीहोरा में नागदेव का चबूतरा है. यहां रायसेन जिले के सिलवानी, बरेली, उदयपुरा, सुल्तानपुर, औबेदुल्लागंज, बेगमगंज सहित अन्य स्थानों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इसके अलावा सीहोर, भोपाल और सागर जिले से भी लोग यहां पहुंचते हैं.
लोगों के शरीर में आकर नाग बताता है काटने का कारण
इस आयोजन में ऐसे लोग पहुंचते हैं जिन्हें पिछले सालों में सांप ने काटा होता है. ये लोग बारी-बारी से मंदिर के पंडादी अजब सिंह के सामने पेशी देती हैं. कहा जाता है कि इस दौरान नागों की आत्मा 10-12 लोगों के शरीर में प्रवेश कर उन लोगों को काटने के कारण बताती है. दावा किया जाता है कि इस दौरान नाग से वचन दिलवाया जाता है कि वो फिर किसी व्यक्ति को नहीं काटेंगे.
नाग देवता के स्थान के प्रति लोगों में है आस्था
मौके पर मौजूद सर्पदंश से पीड़ित रहे व्यक्तियों के परिजन गंगाराम, वेदप्रकाश, लक्ष्मीबाई, आदेश और जयराम ने बताया कि उनके परिजनों को अलग-अलग समय पर सांप ने काटा था जिन्हें वे यहां लेकर आए थे और यहां से धागा बंधवाने पर उन्हे आराम मिला था. इसके बाद वे नागपंचमी के अवसर यहां आयोजित नागों की अदालत में यहां पहुंचे हैं.
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सांप के काटने पर पहले जाएं अस्पताल
आधुनिक युग में अंधविश्वासों को तोड़कर विज्ञान ने काफी प्रगति की है. सर्पदंश जैसी स्थिति में लोगों को अस्पताल जाकर इलाज करवाने की सलाह दी जाती है. ऐसे में इस तरह के आयोजनों में इतने लोगों का मौजूद रहना उनकी आस्था को दर्शाता हैं. हालांकि ईटीवी भारत इस तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.