रायसेन। लॉकडाउन के चलते गरीब मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, फंसे मजदूरों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि, वो दो-तीन महीने बैठकर जीवनयापन कर सकें. जिसके बाद बेसहारा मजदूरों ने घर पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चलना शुरू कर दिया है, इस दौरान रास्ते में इन्हें कई तरह की मुसीबतें भी झेलनी पड़ रही हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. एक ओर जहां मध्यप्रदेश सरकार कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए स्पेशल बस चला रही है, तो वहीं दूसरी तरफ इन मजदूरों की मजबूरी किसी को दिखाई नहीं पड़ रही है.
महाराष्ट्र के जलगांव से पैदल ही अपने घर उत्तर प्रदेश के बांदा शहर जाने के लिए 15 दिन पहले से निकले कई मजदूर परेशानी उठाकर 4 सौ किलोमीटर का सफर कर सिलवानी पहुंचे, जहां सभी मजदूरों से पुलिस ने पूछताछ कर भोजन की व्यवस्था की. वहीं बांदा पहुंचने में अभी 10 दिन से अधिक का समय और लगेगा.
मजदूरों ने बताया कि वे सभी बांदा के रहने वाले हैं जो जलगांव में सड़क निर्माण एजेंसी में काम करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सड़क निर्माण का काम बंद हो गया है, जमा पैसे भी खत्म हो गए. अब खाने के लाले पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रशासन के द्वारा सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है, जिसके बाद सभी ने पैदल गांव जाना तय किया.