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बदहाली के आंसू रोता रायसेन का दुनाए गांव, क्षेत्र की समस्याओें से जनप्रतिनिधियों ने फेरी नजरें

रायसेन जिले के दुनाए गांव में लोग पानी, बिजली और सड़कों के बिना जीवन गुजर बसर करने को मजबूर है. गांव में पानी की समस्या इस कदर हावी हो गई है कि ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

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Published : May 3, 2019, 2:43 AM IST

रायसेन। देश का हर आम नागरिक अपना बहुमूल्य वोट जनप्रतिनिधियों को इसलिए देता है. ताकि वह जीतकर क्षेत्र में बुनियादी जरुरतों को पूरा कर सके. लेकिन रायसेन जिले का दुनाए गांव बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है. यहां पीने की पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. यहां के पारंपारिक जलस्त्रोत भीषण गर्मी के चलते सूख गए हैं. बावजूद इसके यहां कोई भी जनप्रतिनिधि क्षेत्रीय लोगों की समस्या सुनने के लिए तैयार नहीं है.

विकास से दूर दुनाए गांव

राजधानी भोपाल से करीब 45 किलोमीटर दूर रायसेन के दुनाए गांव में सरकार की योजनाएं दूर की कौड़ी साबित होती दिख रही हैं. गांव में ना तो पानी की व्यवस्था है और ना ही बच्चों के लिए स्कूल. बिजली भी कभी कभार ही आती है. इन सब के बीच आज तक दुनाए गांव सभी मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर है.

दुनाए गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी आते ही गांव में पानी की समस्या खड़ी हो जाती है. गांव के सभी पारंपारिक जल स्त्रोत सूख जाते हैं. शहर के ओर जाने वाली सड़क के लिए कई बार आवेदन देने के बावजूद भी उस पर आज तक सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है. ग्रामीण ने कहा कि गांव में बिजली की लाइन ही नहीं डल पाई है. जिसके कारण गांव में अंधेरा पसरा रहता है.

कहने के लिए तो पूर्व मंत्री और विधायक सुरेंद्र पटवा इसी क्षेत्र से विधायक है. इसके बाद भी उनके विधानसभा क्षेत्र के दुनाए गांव की दशा दयनीय है. अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव के बाद जीनने वाला प्रत्याशी गांव की अव्यवस्थाओं को ठीक कर पायेंगे या नहीं.

रायसेन। देश का हर आम नागरिक अपना बहुमूल्य वोट जनप्रतिनिधियों को इसलिए देता है. ताकि वह जीतकर क्षेत्र में बुनियादी जरुरतों को पूरा कर सके. लेकिन रायसेन जिले का दुनाए गांव बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है. यहां पीने की पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. यहां के पारंपारिक जलस्त्रोत भीषण गर्मी के चलते सूख गए हैं. बावजूद इसके यहां कोई भी जनप्रतिनिधि क्षेत्रीय लोगों की समस्या सुनने के लिए तैयार नहीं है.

विकास से दूर दुनाए गांव

राजधानी भोपाल से करीब 45 किलोमीटर दूर रायसेन के दुनाए गांव में सरकार की योजनाएं दूर की कौड़ी साबित होती दिख रही हैं. गांव में ना तो पानी की व्यवस्था है और ना ही बच्चों के लिए स्कूल. बिजली भी कभी कभार ही आती है. इन सब के बीच आज तक दुनाए गांव सभी मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर है.

दुनाए गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी आते ही गांव में पानी की समस्या खड़ी हो जाती है. गांव के सभी पारंपारिक जल स्त्रोत सूख जाते हैं. शहर के ओर जाने वाली सड़क के लिए कई बार आवेदन देने के बावजूद भी उस पर आज तक सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है. ग्रामीण ने कहा कि गांव में बिजली की लाइन ही नहीं डल पाई है. जिसके कारण गांव में अंधेरा पसरा रहता है.

कहने के लिए तो पूर्व मंत्री और विधायक सुरेंद्र पटवा इसी क्षेत्र से विधायक है. इसके बाद भी उनके विधानसभा क्षेत्र के दुनाए गांव की दशा दयनीय है. अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव के बाद जीनने वाला प्रत्याशी गांव की अव्यवस्थाओं को ठीक कर पायेंगे या नहीं.

Intro:मध्य प्रदेश सरकार अनेकों योजनाएं चलाती है ग्रामीण क्षेत्र हो या शहर में सड़कों का जाल बुनने की बात करती है ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क पानी बिजली स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा का स्तर बढ़ाने की बात करती है तो वही रायसेन जिले के नगर सुल्तानपुर के वार्ड 15 में आने वाला ग्राम दुनाए शासन की मिलने वाली योजनाओं एवं मूलभूत सुविधाओं से आजादी से लेकर आज तक वंचित है।


Body:रायसेन जिले के सुल्तानपुर के वार्ड 15 में आने वाला ग्राम दुनाए पिछले 60 सालों से आज तक शासन की योजनाओं से कोसों दूर है इस गांव में ना तो पानी की व्यवस्था है ना तो बच्चों के पढ़ाई लिखाई के लिए स्कूल भवन है और ना ही बिजली और ना सड़क की व्यवस्था है इन दिनों गर्मियों में ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं पीने के लिए उपयोग में नदी का पानी लिया जाता है तो अब नदी के सूख जाने पर पानी नहीं मिल रहा है शासन द्वारा यहां नलकूप की कोई व्यवस्था नहीं की गई है वहीं दूसरी ओर इस गांव में बिजली भी नहीं है जहां गांव में अंधेरा पसरा रहता है इस कारण बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं वही बात आती है सड़क की तो यह गांव सड़क की सुविधा से भी पूरी तरह वंचित है यहां रोड निर्माण भी नहीं किया गया है बारिश में इस गांव का संपर्क नगर सुल्तानपुर से टूट जाता है कीचड़ ज्यादा हो जाने के कारण ग्रामीणों का सुल्तानपुर आना जाना बंद हो जाता है अगर कोई ग्रामीण बीमार हो जाए तो उसको इलाज के लिए लाना बड़ा मुश्किल होता है और कई बार तो लोग सड़क ना होने के कारण गांव में ही बीमारी से दम तोड़ चुके हैं अगर बात करें शमसान की तो यहा अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक की व्यवस्था नहीं है मृतक का अंतिम संस्कार भी खेतों में ही करना पड़ता है जबकि यह भाजपा का गढ़ कहा जाने बाला क्षेत्र है पिछले 25 सालों से इस सीट पर भाजपा राज करती आई है वहीं दूसरी और यहां पर पूर्व पर्यटन एवं सांस्कृतिक मंत्री और वर्तमान में 15 साल से विधायक सुरेंद्र पटवा है उसके बावजूद इस गांव की दशा दयनीय है अब देखने वाली बात ये होगी जहा 25 साल में इस गांव का विकास नहीं हुआ क्या अब नई सरकार इस गांव को विकास की ओर ले जाएगी या नहीं।

Byte-पीड़ित ग्रामीण।


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