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दर-दर की ठोकरें खा रहा राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक, झोपड़ी में रहने को मजबूर

जिले के सिलवानी में रहने वाले राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित होमगार्ड सैनिक सदई लाल अपनी जिंदगी के बीते हुए पल बदहाली में गुजार रहे हैं. कई आवेदनों के बावजूद उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

दर-दर की ठोकरें खा रहा राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक
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Published : Sep 29, 2019, 9:49 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 10:36 AM IST

रायसेन। 1972 के युद्ध में भाग लेने वाले और राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित सिलवानी के होमगार्ड सैनिक सदई लाल बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं. हालात यह है कि सदई एक झोपड़ीनुमा घर में रहने को मजबूर है. राष्ट्रपति से सम्मानित सदई को शासन की योजनाओं का लाभ भी नही मिल पा रहा है. रिटायरमेंट के बाद जीवन यापन करने के लिए मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार का भरण पोषण किया, लेकिन वक्त के साथ अब शरीर ने भी काम करना बंद कर दिया है. जिसके चलते दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

दर-दर की ठोकर खा रहा राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक

सदई लाल को 1982 में डिवीजनल कमांडेंट होमगार्ड भोपाल में पदस्थापना के दौरान सम्मनित किया गया था. रिटायरमेंट के बाद स्टेट बैंक में गार्ड के रूप में कार्य किया, लेकिन अब बढ़ती उम्र के साथ शरीर ने भी काम करना बंद कर दिया. जैसा कि पूर्व की सरकारों द्वारा नगर सैनिकों को किसी प्रकार की पेंशन नहीं दी जाती थी, वहीं वर्तमान सरकार भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. सदई लाल का कहना है कि विगत कई महीनों से कलेक्ट्रेट, तहसील कार्यालय, नगर पंचायत सहित सभी जगहों पर सरकार से मदद की गुहार लगा चुका हुं, लेकिन सहायता का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.

मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश का कहना है कि नगर पंचायत द्वारा उन्हें नियम अनुसार पेंशन दी जा रही है. वहीं इस बार प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत उनका नाम भी आ गया है, जिससे उन्हें आवास मिल जाएगा.

रायसेन। 1972 के युद्ध में भाग लेने वाले और राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित सिलवानी के होमगार्ड सैनिक सदई लाल बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं. हालात यह है कि सदई एक झोपड़ीनुमा घर में रहने को मजबूर है. राष्ट्रपति से सम्मानित सदई को शासन की योजनाओं का लाभ भी नही मिल पा रहा है. रिटायरमेंट के बाद जीवन यापन करने के लिए मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार का भरण पोषण किया, लेकिन वक्त के साथ अब शरीर ने भी काम करना बंद कर दिया है. जिसके चलते दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

दर-दर की ठोकर खा रहा राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक

सदई लाल को 1982 में डिवीजनल कमांडेंट होमगार्ड भोपाल में पदस्थापना के दौरान सम्मनित किया गया था. रिटायरमेंट के बाद स्टेट बैंक में गार्ड के रूप में कार्य किया, लेकिन अब बढ़ती उम्र के साथ शरीर ने भी काम करना बंद कर दिया. जैसा कि पूर्व की सरकारों द्वारा नगर सैनिकों को किसी प्रकार की पेंशन नहीं दी जाती थी, वहीं वर्तमान सरकार भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. सदई लाल का कहना है कि विगत कई महीनों से कलेक्ट्रेट, तहसील कार्यालय, नगर पंचायत सहित सभी जगहों पर सरकार से मदद की गुहार लगा चुका हुं, लेकिन सहायता का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.

मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश का कहना है कि नगर पंचायत द्वारा उन्हें नियम अनुसार पेंशन दी जा रही है. वहीं इस बार प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत उनका नाम भी आ गया है, जिससे उन्हें आवास मिल जाएगा.

Intro:एंकर

रायसेन जिले के सिलवानी में राष्ट्रपति मेडल प्राप्त  एक बुजुर्ग झोपड़ी में अपनी पत्नी के साथ बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है। वर्ष 1972 की भारत  बांग्लादेश के लड़ाई के दौरान  राष्ट्रपति मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक रहै सदई लाल अपनी जिंदगी के आखिरी समय में आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं।रायसेन जिले के सिलबानी में सदई लाल झोपड़ीनुमा काली प्लास्टिक की पन्नी लगे घर में जीवन बसर कर रहे हैं। 

स्थिति यह है कि राष्ट्रपति मेडल प्राप्त इस व्यक्ति को शासन की किसी योजनाओं का लाभ भी नही मिल पा रहा है। रिटायरमेंट के वाद जीवन यापन के लिए  मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार का भरण पोषण किया ,अब शरीर उतना भी साथ नही देता ।

 सिलवानी  नगर में वार्ड नंबर 3 में रहने वाले सदई लाल कुम्हार ने अपने नगर सैनिक के कार्यकाल के दौरान कई पुरस्कार पाए। भारत सरकार द्वारा सन 1972 की भारत बांग्लादेश की लड़ाई में वह शामिल हुए थे। जिसके उपरांत उनको राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया था।  1982 में डिवीजनल कमांडेंट होमगार्ड भोपाल मे पदस्थापना के दौरान उनकी सेवा कार्य पूरी होने पर रिटायरमेंट हो गया और वह अपने घर सिलवानी वार्ड नंबर 3 में आ गए। इसके उपरांत उन्होंने यहां पर स्टेट बैंक में भी गार्ड का काम किया और स्टेट बैंक के बाद वह मेहनत मजदूरी करने लगे । जैसा कि पूर्व की सरकारों द्वारा नगर सैनिकों को किसी प्रकार की पेंशन नहीं दी जाती थी वही वर्तमान सरकार भी इस ओर किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया।

सदई  लाल को किसी भी प्रकार की शासन द्वारा मूलभूत योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से बीमारी के कारण भी अपनी गरीबी से जूझ रहे शासन के द्वारा बनने वाले  कार्ड भी उनको उपलब्ध नहीं हो पाए। वही अभी तक प्रधानमंत्री योजना के तहत बनने वाली कुटीर का भी लाभ उनको नहीं मिल पाया और वह एक कच्चे  मकान में टपकते हुए मकान पर काली पन्नी चढ़ाकर अपने परिवार के साथ रहे।

जब सदई लाल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि विगत कई महीनों से सिलवानी नगर पंचायत तहसील कलेक्ट्रेट सभी जगह घूम कर कर आवेदन कर थक हार चुके हैं कहीं से भी उनको किसी प्रकार की सहायता का रास्ता दिखाएं नहीं दे रहा है ।वह चाहते हैं कि उनके इस शासकीय सेवा के उपरांत विभिन्न योजनाओं में से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल सके जिससे कि वह अपने जीवित रहते एक मकान अपने परिवार के लिए छोड़ जाएं।


वही नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश राय से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि नगर पंचायत के द्वारा उनको एवं उनकी पत्नी को नियम अनुसार पेंशन दी जा रही है इस बार की सूची में आवास योजना के तहत उनका  नाम भी आ गया है जिसके उपरांत तुमको  आवास  दी जावेगी।


बाईट 1.सदई लाल

2.मुकेश राय नगरपालिका अध्यक्ष

3.सी जी गोस्वामी तहसीलदार सिलबानी Body:एंकर

रायसेन/सिलवानी ।जिले के सिलवानी में राष्ट्रपति मेडल प्राप्त  एक बुजुर्ग झोपड़ी में अपनी पत्नी के साथ बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है। वर्ष 1972 की भारत  बांग्लादेश के लड़ाई के दौरान  राष्ट्रपति मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक रहै सदई लाल अपनी जिंदगी के आखिरी समय में आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं।रायसेन जिले के सिलबानी में सदई लाल झोपड़ीनुमा काली प्लास्टिक की पन्नी लगे घर में जीवन बसर कर रहे हैं। 

स्थिति यह है कि राष्ट्रपति मेडल प्राप्त इस व्यक्ति को शासन की किसी योजनाओं का लाभ भी नही मिल पा रहा है। रिटायरमेंट के वाद जीवन यापन के लिए  मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार का भरण पोषण किया ,अब शरीर उतना भी साथ नही देता ।

 सिलवानी  नगर में वार्ड नंबर 3 में रहने वाले सदई लाल कुम्हार ने अपने नगर सैनिक के कार्यकाल के दौरान कई पुरस्कार पाए। भारत सरकार द्वारा सन 1972 की भारत बांग्लादेश की लड़ाई में वह शामिल हुए थे। जिसके उपरांत उनको राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया था।  1982 में डिवीजनल कमांडेंट होमगार्ड भोपाल मे पदस्थापना के दौरान उनकी सेवा कार्य पूरी होने पर रिटायरमेंट हो गया और वह अपने घर सिलवानी वार्ड नंबर 3 में आ गए। इसके उपरांत उन्होंने यहां पर स्टेट बैंक में भी गार्ड का काम किया और स्टेट बैंक के बाद वह मेहनत मजदूरी करने लगे । जैसा कि पूर्व की सरकारों द्वारा नगर सैनिकों को किसी प्रकार की पेंशन नहीं दी जाती थी वही वर्तमान सरकार भी इस ओर किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया।

सदई  लाल को किसी भी प्रकार की शासन द्वारा मूलभूत योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से बीमारी के कारण भी अपनी गरीबी से जूझ रहे शासन के द्वारा बनने वाले  कार्ड भी उनको उपलब्ध नहीं हो पाए। वही अभी तक प्रधानमंत्री योजना के तहत बनने वाली कुटीर का भी लाभ उनको नहीं मिल पाया और वह एक कच्चे  मकान में टपकते हुए मकान पर काली पन्नी चढ़ाकर अपने परिवार के साथ रहे।

जब सदई लाल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि विगत कई महीनों से सिलवानी नगर पंचायत तहसील कलेक्ट्रेट सभी जगह घूम कर कर आवेदन कर थक हार चुके हैं कहीं से भी उनको किसी प्रकार की सहायता का रास्ता दिखाएं नहीं दे रहा है ।वह चाहते हैं कि उनके इस शासकीय सेवा के उपरांत विभिन्न योजनाओं में से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल सके जिससे कि वह अपने जीवित रहते एक मकान अपने परिवार के लिए छोड़ जाएं।


वही नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश राय से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि नगर पंचायत के द्वारा उनको एवं उनकी पत्नी को नियम अनुसार पेंशन दी जा रही है इस बार की सूची में आवास योजना के तहत उनका  नाम भी आ गया है जिसके उपरांत तुमको  आवास  दी जावेगी।


बाईट 1.सदई लाल

2.मुकेश राय नगरपालिका अध्यक्ष

3.सी जी गोस्वामी तहसीलदार सिलबानी Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 10:36 AM IST
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