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कौमी एकता की मिसाल, एक ही पंडाल में गजानन और ताजिया

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Published : Sep 11, 2019, 8:47 AM IST

रायसेन जिले के उदयपुरा में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिल रही है. यहां एक ही पंडाल में भगवान गणेश और ताजिया रखे गए हैं.

एक ही पंडाल में गजानन और ताजिया

रायसेन। देश में जहां हिंदू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति चरम सीमा पर है, वहीं जिले के उदयपुरा में कई सालों से अनोखी परंपरा चली आ रही है. जब भी गणेश उत्सव और मोहर्रम साथ होता है, तो एक ही पंडाल में भगवान गणेश की प्रतिमा और ताजिया रखे जाते हैं. गांधी चौक पर गणेश पंडाल में ताजिया रखा जाना गंगा-जमुनी तहजीब का बेहतरीन उदाहरण है. इस पंडाल में 10 फीट के गणेश जी विराजमान होते हैं, तो 10 फीट बुर्राख भी इसी में रखा जाता है.

एक ही पंडाल में गजानन और ताजिया

देश में जहां धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है, वहीं ऐसी सद्भावना की मिसाल पेश करने वाली तहजीब उदयपुरा में कई वर्षों से अनवरत जारी है. 2018 से पहले 1998 और 1978 में और इससे पहले भी जब गणेश उत्सव और नवरात्रि के साथ मोहर्रम आया है, उदयपुरा निवासियों ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है.

गांधी चबूतरा पर गणेश स्थापना के साथ ही ताजियों के लिए उसी साज-सज्जा में जगह बनाकर छोड़ दी गई थी, ताकि ताजिया रखे जा सकें. हिंदू-मुस्लिम एक साथ एक ही पंडाल के नीचे दोनों के धर्मों का इस्तकबाल कर रहे हैं.

रायसेन। देश में जहां हिंदू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति चरम सीमा पर है, वहीं जिले के उदयपुरा में कई सालों से अनोखी परंपरा चली आ रही है. जब भी गणेश उत्सव और मोहर्रम साथ होता है, तो एक ही पंडाल में भगवान गणेश की प्रतिमा और ताजिया रखे जाते हैं. गांधी चौक पर गणेश पंडाल में ताजिया रखा जाना गंगा-जमुनी तहजीब का बेहतरीन उदाहरण है. इस पंडाल में 10 फीट के गणेश जी विराजमान होते हैं, तो 10 फीट बुर्राख भी इसी में रखा जाता है.

एक ही पंडाल में गजानन और ताजिया

देश में जहां धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है, वहीं ऐसी सद्भावना की मिसाल पेश करने वाली तहजीब उदयपुरा में कई वर्षों से अनवरत जारी है. 2018 से पहले 1998 और 1978 में और इससे पहले भी जब गणेश उत्सव और नवरात्रि के साथ मोहर्रम आया है, उदयपुरा निवासियों ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है.

गांधी चबूतरा पर गणेश स्थापना के साथ ही ताजियों के लिए उसी साज-सज्जा में जगह बनाकर छोड़ दी गई थी, ताकि ताजिया रखे जा सकें. हिंदू-मुस्लिम एक साथ एक ही पंडाल के नीचे दोनों के धर्मों का इस्तकबाल कर रहे हैं.

Intro:रायसेन-जहां हिंदू मुस्लिम धर्म के नाम पर राजनीति चरम सीमा पर है तो वही जिले के उदयपुरा में कई वर्षों से अनोखी परंपरा अनवरत जारी है जहां आजादी से लेकर आज तक कोई मतभेद नहीं रहा और जब भी गणेश उत्सव मोहर्रम जब-जब साथ होता है तो एक ही पांडाल में गणेश जी और ताजिया रखे जाते हैं सार्वजनिक स्थान गांधी चौक पर गणेश पांडाल में ताजियों का रखा जाना यानी गंगा जमुना तहजीब का अनोखा उदाहरण है इस पांडाल में 10 फीट के गणेश जी विराजमान होते हैं तो 10 फिट बुर्रराख भी एक पांडाल में रखी जाती है और हिंदू मुसलमान एक साथ अखाड़ा खेलते हैं।


Body:आज जहां देश में धार्मिक भावनाओं के लिए आहत करने घटनाक्रम देखे जा रहे हैं तो वही भारत के किसी राज्य में ऐसी सद्भावना की मिसाल देखने को नहीं मिलती है लेकिन मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के उदयपुरा में गंगा जमुना तहजीब की मिसाल आज से नहीं कई वर्षों से अनवरत जारी है 2018 से पहले 1998 में और उससे पहले 1978 में और इससे पहले भी जब गणेश उत्सव नवरात्रि और मोहर्रम साथ-साथ पड़ा है हिंदू मुस्लिम एक ही पांडाल में हिंदू मुस्लिम धर्मों को एक साथ सजा करते है वही नगर के सभी मार्गों से मोहर्रम में ताजियों के साथ और अखाड़े में हिंदू मुस्लिम साथ रहे। गांधी चबूतरा पर गणेश जी के पांडाल में गणेश जी की मूर्ति पहले ही स्थापित थी और ताजियों के लिए जगह उसी साज-सज्जा में बनाकर छोड़ दी गई थी ताकि मुस्लिम भाइयों के ताजिया रखें जा सके।आज हिंदू मुस्लिम एक साथ एक ही पांडाल के नीचे दोनों के धर्मों का इस्तकबाल कर रहे थे यह अनोखी मिसाल कई वर्षों से अनवरत जारी है

Byte-स्थानीय हिन्दू,मुस्लिम।


Conclusion:यह गंगा जमुनी तहजीब देश के अन्य प्रदेशों के हिंदू मुस्लिम भाइयों को भी संदेश देती है कि हिंदू मुस्लिम भाई भाई हैं और हम एक दूसरे के धर्मों का पालन करते हैं
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