रायसेन। जिले में किसान टमाटर की फसल के उचित दाम न मिलने को लेकर परेशान हैं. लिहाजा किसान टमाटरों को सड़कों और नहरों में फेंकने के लिए मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि इस बार के सीजन में फसल को उगाने में लगी लागत तक वसूल नहीं हो पा रही है.
दक्षिण भारत के कई शहरों में जाता है टमाटर
किसानों ने बताया कि रायसेन से उत्तर और दक्षिण भारत के कई शहरों में टमाटर भारी मात्रा में जाता है. साथ ही देश में अधिक बारिश होने से पिछले बार टमाटर के दाम कई गुना बढ़ गए थे और इसे देखते हुए किसानों ने इस बार टमाटर की फसल ज्यादा लगाई थी. अब किसानों को टमाटर के खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं. कुछ किसानों का कहना है कि शुरुआत में टमाटर के खरीददारों की कोई कमी नहीं थी लेकिन अब जब फसल पूरी पककर तैयार है तो खरीददार नहीं हैं. किसानों द्वारा सड़कों पर फेंके गए टमाटरों को मवेशी खा रहे हैं.
22 किलो टमाटर के दाम 40 रुपए
टमाटर की मांग में कमी के चलते जिले के किसानों को 22 किलोग्राम टमाटर के कैरेट के दाम केवल 40 रुपए मिल रहे हैं. वहीं, जिले में 14 वर्षों से टमाटर की खेती कर रहे अकरम नाम के किसान का कहना है कि उन्होंने 15 एकड़ में टमाटर की खेती की है और टमाटर की मांग अचानक कम होने से उन्हें लगभग 6-7 लाख का नुकसान हो रहा है.
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दक्षिण भारत के किसानों ने शुरु की टमाटर की खेती
किसानों ने इस बार टमाटर की मांग घटने का कारण बताते हुए कहा है कि अब उत्तर और दक्षिण भारत के स्थानीय किसान भी बड़ी मात्रा में टमाटर की खेती करने लगे हैं, जिस वजह से फसल के खरीददार रायसेन तक नहीं पहुंच पा रहे.
सरकार कर रही किसानों को प्रोत्साहित
कई वर्षों से किसानों के सामने आने वाली इस समस्या को लेकर इस बार सरकार ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है. विभाग के मुताबिक, इस योजना के चलते फसलों के वैल्यू एडिशन को लेकर जोर दिया जा रहा है और प्रोसैसिंग यूनिट लगाने के लिए उनके पास कई आवेदन भी आ रहे हैं.