रायसेन । विश्व जल दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में केन-बेतवा लिंक परियोजना पर करार हुआ. इसी के साथ दोनों राज्यों के बीच पानी को लेकर चले आ रहा विवाद भी खत्म हो गया. इस परियोजना से बुंदेलखंड के 40 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा. साथ ही दोनों राज्यों को सिंचाई और बिजली के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा. बेतवा नदी से लगे खेतों में काम करने वाले किसानों का कहना है कि मंडीदीप और सेहतगंज की बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पानी उनके लिए बड़ी समस्या है.
बेतवा में आ रहा फैक्ट्रियों से गंदा पानी
किसानों का कहना है कि फैक्ट्रियों से गंदा पानी सीधा बेतवा नदी में मिलता है. इससे किसानों की फसल तो खराब होती ही है. कई तरह की बीमारियां भी किसानों और मवेशियों को घेर लेती हैं. इस इलाके की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या बेतवा के पानी पर निर्भर है. इसलिए परियोजना शुरु करने से पहले फैक्ट्रियों से गंदा पानी नदी में आने से रोका जाए.
विवाद का 'THE END' : खत्म होगा बुंदेलखंड का सूखा
नदी को शुद्ध करना बड़ी चुनौती
केन बेतवा लिंक परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने का साकार करेगी. इसमें नदियों में आने वाले अतिरिक्त पानी को सूखे या कम पानी वाले इलाकों में पहुंचाया जाएगा. इसके लिए नदियों को आपस में जोड़ा जाना है. फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी को बेतवा में मिलने से रोकना और लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सरकार के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहने वाला है.