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देवांश ने बनाया कमाल का ड्रोन, खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप

रायसेन के देवांश ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है जो प्रोग्राम बेस है. देवांश को ये मल्टीपर्पज ड्रोन बनाने में 2 साल का समय लगा है. देवांश कहते हैं कि उन्हें स्पॉन्सर मिलें तो वे और भी उच्च तकनीक के ड्रोन बना सकते हैं.

devansh drone
देवांश जैसी प्रतिभाओं को निखारने की कोशिश
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Published : Sep 24, 2021, 4:53 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 5:02 PM IST

रायसेन। भारत को दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में टॉप पर आना है तो छोटे शहरों और कस्बों की प्रतिभाओं को मौका मिलना जरूरी है. मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत (Atmnirbhar Bharat) के जरिए युवाओं को प्रोत्साहित कर रही है कि कुछ नया आविष्कार करें. रायसेन के एक छात्र ने ऐसी ही एक कोशिश की है. उसने एक ड्रोन(Drone) बनाया है. छात्र देवांश का कहना है कि ये ड्रोन मल्टीपर्पज यूटिलिटी का है.

देवांश का ड्रोन इसलिए है खास

एलएनसीटी कॉलेज के छात्र रायसेन निवासी देवांश तिवारी (Devansh Tiwari) ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो कई काम आ सकता हैं . देवांश का कहना है कि ये ड्रोन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के अलावा ऑब्जेक्ट डिटेक्शन के काम आ सकता है. इसका मतलब ये है कि ये पहचान सकता है कि सामने वाली ऑबजेक्ट कोई इंसान है, जानवर है या फिर कोई वस्तु है. ये ड्रोन सर्विलांस के लिए भी काम आ सकता है.

देवांश ने बनाया कमाल का ड्रोन, खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप

प्रोग्राम बेस है ये ड्रोन

देवांश ने बताया कि इस ड्रोन(Drone) की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे प्रोग्राम बेस (Programme Base Drone) बनाया गया है. यानि इसे जिस भी काम के लिए इस्तेमाल करना है उस प्रोग्राम के हिसाब से ये काम करेगा. लैंडिंग व्हील की जगह ड्रोन में टेनिस स्पंच बॉल का उपयोग किया गया है, जिससे जमीन पर लैंडिंग के समय ड्रोन को कोई नुकसान नहीं होता. ड्रोन करीब 20 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है.

स्पॉन्सर मिले तो बना सकते हैं हाई क्वालिटी ड्रोन

बाकी ड्रोन के मुकाबले ये ड्रोन किफायती है. देवांश बताते हैं कि इसे बनाने में 6-7 हजार रुपए की लागत आई है. जबकि बाजार में कम से कम 10 हजार रुपए से कम में कोई ड्रोन नहीं मिलता. देवांश का कहना है कि अगर उन्हें स्पॉन्सर मिले या किसी बड़ी संस्था का साथ मिले, तो वे इसे और बेहतर तकनीक के साथ बना सकते हैं. जो कम दाम में हाई क्वालिटी का काम करेगा.

सिंधिया का दावा नई ड्रोन पॉलिसी से मिलेगा रोजगार, देश में जल्द मिलेगा डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म, ग्वालियर चंबल पर की सौगातों की बौछार

ड्रोन को बनाने में 2 साल से ज्यादा का समय लगा है. कोरोना काल में जब स्कूल, कॉलेज बंद थे तब वो इस पर ज्यादा समय दे सके. इसे बनाने के लिए देवांश ने कई तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली है.

रायसेन। भारत को दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में टॉप पर आना है तो छोटे शहरों और कस्बों की प्रतिभाओं को मौका मिलना जरूरी है. मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत (Atmnirbhar Bharat) के जरिए युवाओं को प्रोत्साहित कर रही है कि कुछ नया आविष्कार करें. रायसेन के एक छात्र ने ऐसी ही एक कोशिश की है. उसने एक ड्रोन(Drone) बनाया है. छात्र देवांश का कहना है कि ये ड्रोन मल्टीपर्पज यूटिलिटी का है.

देवांश का ड्रोन इसलिए है खास

एलएनसीटी कॉलेज के छात्र रायसेन निवासी देवांश तिवारी (Devansh Tiwari) ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो कई काम आ सकता हैं . देवांश का कहना है कि ये ड्रोन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के अलावा ऑब्जेक्ट डिटेक्शन के काम आ सकता है. इसका मतलब ये है कि ये पहचान सकता है कि सामने वाली ऑबजेक्ट कोई इंसान है, जानवर है या फिर कोई वस्तु है. ये ड्रोन सर्विलांस के लिए भी काम आ सकता है.

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प्रोग्राम बेस है ये ड्रोन

देवांश ने बताया कि इस ड्रोन(Drone) की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे प्रोग्राम बेस (Programme Base Drone) बनाया गया है. यानि इसे जिस भी काम के लिए इस्तेमाल करना है उस प्रोग्राम के हिसाब से ये काम करेगा. लैंडिंग व्हील की जगह ड्रोन में टेनिस स्पंच बॉल का उपयोग किया गया है, जिससे जमीन पर लैंडिंग के समय ड्रोन को कोई नुकसान नहीं होता. ड्रोन करीब 20 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है.

स्पॉन्सर मिले तो बना सकते हैं हाई क्वालिटी ड्रोन

बाकी ड्रोन के मुकाबले ये ड्रोन किफायती है. देवांश बताते हैं कि इसे बनाने में 6-7 हजार रुपए की लागत आई है. जबकि बाजार में कम से कम 10 हजार रुपए से कम में कोई ड्रोन नहीं मिलता. देवांश का कहना है कि अगर उन्हें स्पॉन्सर मिले या किसी बड़ी संस्था का साथ मिले, तो वे इसे और बेहतर तकनीक के साथ बना सकते हैं. जो कम दाम में हाई क्वालिटी का काम करेगा.

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ड्रोन को बनाने में 2 साल से ज्यादा का समय लगा है. कोरोना काल में जब स्कूल, कॉलेज बंद थे तब वो इस पर ज्यादा समय दे सके. इसे बनाने के लिए देवांश ने कई तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली है.

Last Updated : Oct 12, 2021, 5:02 PM IST
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