रायसेन। जिले में 31 मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है, क्योंकि विगत माह से कोरोना की इस महामारी ने अपनी चपेट में अनेक लोगों को शिकार बना लिया. शासन और प्रशासन की गतिविधियां अनुसार लोगों को कुछ सुख सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. जिससे लोगों को आजीविका के लिए परेशान ना होना पड़े. इसी बीच किसानों की फसल विक्रय के बाद बैंक खातों में फसल का भुगतान किया जा रहा है. इस फसल के पैसे लेने के लिए किसानों को धूप में लाइन लगा कर इंतजार करना पड़ रहा है.
- धूप में खड़े रहकर कर रहे बारी का इंतजार
राज्य सरकार द्वारा गरीब असहाय मजदूरों को भी पेंशन सहित अन्य भुगतान भी बैंकों के माध्यम से ही किया जाता है, जिसके चलते बैंकों में भीड़ भी देखने को मिल रही है. जिलेभर की बैंकों के सामने चिलचिलाती धूप में किसान और कई हितग्राही भीड़ लगाएं बैंक के गेट के सामने घंटों अपनी बारी का इंतजार करते हैं. ना ही उन्हें बैठने के लिए कोई व्यवस्था की गई है और ना ही भीषण गर्मी में जल की व्यवस्था बैंक प्रबंधन द्वारा की जा रही है. और तो और किसानों को अपनी जान हथेली पर लेकर एक दूसरे से धक्का-मुक्की कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा हैं.
- कोई नियम बताने वाला नहीं
जिला मुख्यालय की बैंक ऑफ बड़ौदा, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, जिला सहकारी बैंक सहित कई शाखा के सामने लगभग 25 से 30 ग्राहक एक दूसरे से मिलते हुए धक्का-मुक्की खाते हुए खड़े होने पर मजबूर हो रहे है. ना तो गार्ड इनको लाइन में लगा रहे है और ना ही इन्हें एक तरफ दूर-दूर बैठने को कहा जा रहा है. साफ जाहिर होता है कि बैंक सिर्फ अपनी ही जान को सुरक्षित रखने में मगन मस्त है.
दबंगों से परेशान किसान, रास्ते से अतिक्रमण हटाने की मांग
- किस्तों के लिए भी बैंक के कर रही परेशान
विगत डेढ़ माह से लगातार लॉकडाउन के चलते व्यापार पूर्ण रूप से बंद है. लोग अपनी आजीविका चलाने में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. मिन्नतें करके उधार लेकर अपना काम चला रहे हैं. जिन व्यापारियों का कार्य बैंकों की लिमिट होम लोन बाइक लोन और दुकान पर लिए गए लोन की किस्त के लिए लगातार बैंक के परेशान कर रही हैं. जबकि बैंकों को मालूम है कि डेढ़ महीना से ज्यादा हो गया है लोग अपनी दुकानें बंद कर पूरा व्यापार चौपट करके घर में बैठे हुए हैं. इसके बाद भी बैंके फोन लगाकर किस्तें जमा करने को कह रही हैं.
- आरबीआई ही कर सकता है संसोधन
जिले के एलडीएम वीवी अय्यर ने कहा कि हमारे द्वारा लेटर देकर सभी बैंकों को व्यवस्थाएं करने के लिए कहा गया है. जिन बैंकों ने व्यवस्थाएं नहीं की है, उनको पुनः कलेक्टर द्वारा आदेशित कर व्यवस्थाएं करने को कहा जाएगा. बैंक की किस्त के मामले में आरबीआई ही संशोधन कर सकता है.