सीहोर। हॉकी के स्तंभकार और सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रहे बीजी जोशी का मंगलवार को काेरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया. जोशी मूलत: राजगढ़ जिले के रहने वाले थे, लेकिन उन्हें सीहोर इतना पसंद आया कि उन्होंने सेवा निवृत्त होने के बाद भी शहर को नहीं छोड़ा. जोशी ने शासकीय सेवा में रहते हुए शहज व सरल ईमानदार छवि के अधिकारी के रूप में अपनी पहचान कायम की. उन्हें तीन दिन पहले अचानक कोविड-19 के लक्षण नजर आए और वह साधारण रूप से जिला अस्पताल पहुंचे, जहां जांच के बाद उन्हें कोरोना संक्रमित बताते हुए आवासीय कोविड सेंटर में शिफ्ट कर दिया.
कोरोना संक्रमण से जोशी की मौत
जोशी ने कोविड सेंटर से अपने मित्र पुरषोत्तम कुईया को दिन में दो-दो बार फोन लगाकर हर गतिविधि की जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने बताया कि यहां उपचार की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. सोमवार को जब जोशी से कुईया ने बात कि तो उन्होंने बताया कि ब मुश्किल प्रमुख सचिव आरएस जुलानिया व आरईएस मनीष सिंह को फोन पर सूचित किया, तब जाकर मुझे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हुई, लेकिन मंगलवार को सुबह जब कुईया ने उनका हाल पूछने के लिए फोन लगाया तो उनकी पत्नी ने उठाया और बताया कि वह अब नहीं रहे, जिसके बाद खेल जगत में शोक की लहर छा गई.
जोशी के दिल के सबसे करीब था हॉकी
बता दें कि बीएल जोशी का हॉकी खेल के प्रति इतना अधिक रुझान था कि वह विगत 20 वर्षों से विभिन्न देश व विदेश की पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्र में बीजी जोशी के नाम से स्तभ लेखन कर रहे थे. प्रारंभ में उन्होंने नवदुनिया से अपने लेखन की शुरुआत की थी, जो देश भर में अपने लेखन से खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों के दिल में बसे रहे. जोशी का हॉकी के प्रति इतना अधिक रुझान था कि वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच के लाइव कवरेज के लिए मौके पर पहुंचते थे. उनका शौक ही था कि वह विदेश तक कवरेज करने गए.
MP में 18 वर्ष से ऊपर वालों को मुफ्त में लगेगी वैक्सीन, बीना में बनेगा 100 बेड का हाॅस्पिटल
अपने पास रखते थे सारे खिलाड़ियों का रिकॉर्ड कार्ड
पिछले 20 वर्षों में हॉकी के नामचीन देश व विदेश के खिलाड़ी रहे, उनके ऑटोग्राफ जोशी अपने पास रखते थे. कई देशों के कोच से भी संपर्क में भी रहते थे. इतना ही नहीं हॉकी टीम के खिलाड़ियों के चयन में भी उनका दखल रहता था. हर खिलाड़ी का बारीकि से अध्ययन कर समाचार पत्रों में लिखा करते थे. पिछले 20 वर्षो में उन्होंने हॉकी के 100 साल के इतिहास को सहेजकर रख रखा था, जिसके आधार पर वह लिखा करते थे. कब, कहां, किसका मैच हुआ, किस खिलाड़ी ने कितने मैच खेले और कितने गोल किए का साख्यकीय आंकड़ा उनके पास मौजूद था, जो देश के गिने चुने लोगों के पास ही था. इस कारण जब कभी भी हॉकी पर जिसने जब भी पुस्तक आदि में लेखन किया है तो जोशी का सहयोग जरूर लिया है. यही कारण है कि कई समीक्षकों ने जोशी को आंकड़े उपलब्ध कराने पर धन्यवाद पत्र दिए हैं. जोशी लगभग एक हजार से भी अधिक लेख लिख चुके हैं. खेल जगत में उनके निधन की खबर से शोक की लहर छा गई है.