रायसेन। जिले में समर्थन मूल्य पर चना उपार्जन का कार्य 15 मार्च से प्रारंभ किया जाएगा. भारत सरकार द्वारा विगत वर्षो से ही तेवड़ा मिश्रित चना उपार्जन प्रतिबंधित किया गया है. कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने किसान से खेत में चने की फसल से तेवड़ा के पौधे निंदाई करके हटाने की अपील की है, ताकि समर्थन मूल्य पर चना विक्रय में परेशानी न हो.
जिले में इस वर्ष 1.14 लाख हेक्टेयर में चने की बोआई की गई है. भारत सरकार की उपार्जन नीति अनुसार तेवड़ा मिश्रित चना उपार्जन पूर्व से ही प्रतिबंधित है. तेवड़ा मुक्त चना का उत्पादन हो सके, इसके लिए रबी वर्ष 2020-21 में मप्र शासन द्वारा तेवड़ा मुक्त चना बीज किसानों को उपलब्ध कराया गया है.
उप संचालक कृषि श्री एनपी सुमन ने बताया कि जिले में तेवड़ा के पौधे प्राकृतिक रूप से भी खेत में खरपतवार के रूप में उग आते हैं जिन्हें निंदाई करके चने के खेत से हटाया जा सकता है. खेतों में निंदाई के समय तेवड़ा के पौधे अलग नहीं किए जाने पर तेवड़ा और चने के बीज एक समान आकार के होने से छन्ने के माध्यम से अलग नहीं किया जा सकता है. शासन के निर्देशानुसार तेवड़ा मिश्रित चने का उपार्जन प्रतिबंधित होने से समर्थन मूल्य पर तेवड़ा मिश्रित चने का उपार्जन नहीं किया जा सकेगा.
उप संचालक कृषि सुमन द्वारा जिले के सभी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके अधीनस्थ मैदानी अमला अपने-अपने क्षेत्र के किसानों से सतत् सम्पर्क कर उन्हें चने के खेत से तेवड़ा की निंदाई कराने की सलाह दिया जाना सुनिश्चित करें.