रायसेन। सियरमऊ एसबीआई बैंक के शाखा प्रबंधक हरीश मरमट ने मानवता की मिसाल पेश की. उन्होंने दुर्घटना में घायल हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाया. इसके बाद उनका इलाज करवाते हुए नकद राशि देकर आर्थिक मदद की. साथ ही घायलों का इलाज करवाने के बाद उन्हें रवाना किया. हरीश मरमट की उदारता और रहमदिली की प्रशंसा की जा रही है.
दरअसल पांडाझिर के पास बेगंगमज-सुल्तानगंज मार्ग पर रघुराज दांगी के मकान के सामने दो बाइकों की आमने-सामने टक्कर हो गई. जिसमें जसरथी निवासी 16 वर्षीय माया अहिरवार और 40 वर्षीय कंछेदी अहिरवार को गंभीर चोटें आई हैं. लोगों ने घायलों के लिए एम्बुलेंस को फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस के आने में काफी देर हो रही थी. तभी सियरमऊ से बेगमगंज आ रहे बैंक मैनेजर हरीश मरमट ने सड़क पर भीड़ देखी तो गाड़ी रुकवाई. मौके पर गए तो देखा कि दो लोग घायल हालत में पड़े हुए हैं, तब मरमट ने बिना देर किए दोनों घायलों को अपनी गाड़ी से बेगमगंज सिविल अस्पताल पहुंचाया और घायल कंछेदी लाल अहिरवार को दो हजार नकद अपनी तरफ से इलाज कराने के लिए दिए.
घायलों के लिए फरिश्ता बना बैंक मैनेजर, अपनी गाड़ी से पहुंचाया अस्पताल, कराया इलाज - Branch Manager Harish Marmat
सिलवानी जिले में एक बैंक प्रबंधक ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए दो घायलों को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया. साथ ही 2 हजार रूपए देकर उनकी आर्थिक मदद भी की.
रायसेन। सियरमऊ एसबीआई बैंक के शाखा प्रबंधक हरीश मरमट ने मानवता की मिसाल पेश की. उन्होंने दुर्घटना में घायल हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाया. इसके बाद उनका इलाज करवाते हुए नकद राशि देकर आर्थिक मदद की. साथ ही घायलों का इलाज करवाने के बाद उन्हें रवाना किया. हरीश मरमट की उदारता और रहमदिली की प्रशंसा की जा रही है.
दरअसल पांडाझिर के पास बेगंगमज-सुल्तानगंज मार्ग पर रघुराज दांगी के मकान के सामने दो बाइकों की आमने-सामने टक्कर हो गई. जिसमें जसरथी निवासी 16 वर्षीय माया अहिरवार और 40 वर्षीय कंछेदी अहिरवार को गंभीर चोटें आई हैं. लोगों ने घायलों के लिए एम्बुलेंस को फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस के आने में काफी देर हो रही थी. तभी सियरमऊ से बेगमगंज आ रहे बैंक मैनेजर हरीश मरमट ने सड़क पर भीड़ देखी तो गाड़ी रुकवाई. मौके पर गए तो देखा कि दो लोग घायल हालत में पड़े हुए हैं, तब मरमट ने बिना देर किए दोनों घायलों को अपनी गाड़ी से बेगमगंज सिविल अस्पताल पहुंचाया और घायल कंछेदी लाल अहिरवार को दो हजार नकद अपनी तरफ से इलाज कराने के लिए दिए.