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आस्था या अंधविश्वास! अजीबो-गरीब मान्यता से पूरी करते हैं मुराद

आस्था कहे या फिर अंधविश्वास रायसेन जिले में अजीबो-गरीब मान्यता वर्षों से चली आ रही है, जहां लोग मन्नत मांगने के लिए इमली के पेड़ पर पुराने कपड़े को बांध देते है.

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आस्था या अंधविश्वास
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Published : Mar 31, 2021, 2:26 PM IST

Updated : Mar 31, 2021, 5:28 PM IST

रायसेन। भारत एक ऐसा देश है, जहां विभिन्न समुदाय के लोग रहते हैं. उनकी मान्यताएं भी अजीबो-गरीब हैं. जिन पर विश्वास करना साधारण जन की बात नहीं है. आज चाहे हिंदुस्तान डिवेलपिंग कंट्री के रूप में ऊभर कर सामने आ रहा है. फिर भी अंधविश्वास पर आंखे मूंद कर विश्वास किया जाता है. शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर घने जंगल में एक इमली का पेड़ है, जिस के नीचे पत्थर की मूर्तियां विराजमान है. जो लोग यहां से निकलते है, वह इस इमली के पेड़ पर पुराने कपड़े को बांध देते है. मन्नत मांगते है. आज लोग इस इमली को चिथड़आउ इमली भी कहते है.

आस्था या अंधविश्वास!

फटे कपड़े लोगों की अस्था और मान्यता से जुड़े है

मान्यता कहें या फिर लोगों की आस्था. यह एक रोचक सत्य है कि इस रास्ते से निकलने वाले लोग सुरक्षित घर पहुंचने के लिए इमली के पेड़ पर पुराना कपड़ा बांधते हैं. इस इमली के पेड़ के नीचे देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई है, जहां लोग माथा टेकते है. यह पेड़ भर्तिपुर से बरेली जाने वाले घने जंगल में कच्चे रास्ते पर स्थित है. बुजुर्गों ने बताया कि पेड़ पर टंगे फटे कपड़े लोगों की अस्था और मान्यता से जुड़े है.

मन्नत पूरी होने पर दहकते अंगारों पर चलते श्रद्धालु, देखें वीडियो

राहगीर ने बताया कि यहां घना जंगल है. इधर से गुजरने में डर लगता है. इसलिए इमली के पेड़ पर पुराना कपड़ा बांध देते है, ताकि कोई दिक्कत न हों. 10 साल से इस रास्ते से गुजरने वाले नाथूराम ने बताया कि यहां पर बिजासन देवी का स्थान है. व्यक्ति की जो इक्छा होती है, वह मैया पूरी करती है. हम यहां 10 मिनट रुकते है. पुराने कपड़े का धागा बांधकर ही जाते है.

रायसेन। भारत एक ऐसा देश है, जहां विभिन्न समुदाय के लोग रहते हैं. उनकी मान्यताएं भी अजीबो-गरीब हैं. जिन पर विश्वास करना साधारण जन की बात नहीं है. आज चाहे हिंदुस्तान डिवेलपिंग कंट्री के रूप में ऊभर कर सामने आ रहा है. फिर भी अंधविश्वास पर आंखे मूंद कर विश्वास किया जाता है. शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर घने जंगल में एक इमली का पेड़ है, जिस के नीचे पत्थर की मूर्तियां विराजमान है. जो लोग यहां से निकलते है, वह इस इमली के पेड़ पर पुराने कपड़े को बांध देते है. मन्नत मांगते है. आज लोग इस इमली को चिथड़आउ इमली भी कहते है.

आस्था या अंधविश्वास!

फटे कपड़े लोगों की अस्था और मान्यता से जुड़े है

मान्यता कहें या फिर लोगों की आस्था. यह एक रोचक सत्य है कि इस रास्ते से निकलने वाले लोग सुरक्षित घर पहुंचने के लिए इमली के पेड़ पर पुराना कपड़ा बांधते हैं. इस इमली के पेड़ के नीचे देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई है, जहां लोग माथा टेकते है. यह पेड़ भर्तिपुर से बरेली जाने वाले घने जंगल में कच्चे रास्ते पर स्थित है. बुजुर्गों ने बताया कि पेड़ पर टंगे फटे कपड़े लोगों की अस्था और मान्यता से जुड़े है.

मन्नत पूरी होने पर दहकते अंगारों पर चलते श्रद्धालु, देखें वीडियो

राहगीर ने बताया कि यहां घना जंगल है. इधर से गुजरने में डर लगता है. इसलिए इमली के पेड़ पर पुराना कपड़ा बांध देते है, ताकि कोई दिक्कत न हों. 10 साल से इस रास्ते से गुजरने वाले नाथूराम ने बताया कि यहां पर बिजासन देवी का स्थान है. व्यक्ति की जो इक्छा होती है, वह मैया पूरी करती है. हम यहां 10 मिनट रुकते है. पुराने कपड़े का धागा बांधकर ही जाते है.

Last Updated : Mar 31, 2021, 5:28 PM IST
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