पन्ना। पन्ना में भीषण जल संकट की आहट अब दिखाई देने लगी है. पूरे जिले में इस वर्ष बारिश कम होने की वजह से सभी तालाब, कुआ एवं बावड़ी खाली हो गए हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. लोगों की प्यास बुझाने के लिये मात्र 30 जून तक के लिए ही पानी बचा हुआ है. (Panna water crisis)
अतिक्रमण की चपेट में आए पुराने कुंए- तालाब: पन्ना में बीते एक दशक से गर्मियों में दिनों में पानी की समस्या होती है. प्राचीन समय में राजा महाराजाओं के द्वारा नगर में पानी की जलापूर्ति के लिए बड़े-बड़े तालाब और कुंए बनवाये गए थे, जिनमें धरम सागर तालाब, लोकपाल सागर तालाब और नृपत सागर तालाब प्रमुख है. इनके अलावा बेनीसागर तालाब, सिंह सागर तालाब, मठया तला, कमलाबाई का तालाब, जैसे अन्य छोटे छोटे तालाब भी नगर में पानी की जलापूर्ति करते थे. यह तालाब और कुंए अतिक्रमण की चपेट में आ गए और इनके जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) बंद हो गए.
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30 जून तक के लिए पानी उपलब्ध: इन्हीं तालाबों से नगर में पेय जल की सप्लाई की जाती है, मुख्य नगर पालिका अधिकारी की मानें तो उनके पास केवल 30 जून तक के लिए ही पानी उपलब्ध है. हालांकि इस वर्ष हालात और ज्यादा बिगड़ने वाले है क्योंकि नगर के सबसे बड़े लोकपाल सागर तालाब की जमीन 70 प्रतिशत दिखने लगी है और पानी नाममात्र के लिए बचा है. यही कारण है कि लागतार लोगों से पानी बचाने की अपील की जा रही है और बेवजह पानी बहाने वालों के लिए नगर पालिका द्वारा कार्रवाई करने के लिए एक फ्लाइंग स्क्वायर टीम बनाई गई है.