पन्ना। अवध विहारी जू मंदिर को 9 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार न्याय मिल ही गया है. मंदिर पर पूर्व पुजारियों सहित दबंगों ने कब्जा कर लिया था. जिसके बाद शहर के कुछ समाजसेवियों ने मंदिर को बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और आखिरकार भगवान अवध बिहारी जू को न्याय मिल ही गया. जिला अपर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए इस मंदिर को शासन संधारित मंदिर कर दिया है. अब पन्ना शहरवासियों खुश हैं, लोग मान रहे हैं कि जैसे अयोध्या में भगवान राम को लंबे समय के बाद न्याय मिल था, ठीक उसी तरहस पन्ना के भगवान अवध विहारी जू को लंबे समय बाद न्याय मिला है.
पन्ना शहर के बीचो-बीच स्थापित श्री अवध बिहारी जू मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है. यह मंदिर 130 वर्ष पुराना है, मंदिर में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी की सुंदर और भव्य प्रतिमाएं विराजमान हैं. राजा महाराजा के समय मंदिर में विधिवत पुजारी नियुक्त किए जाते थे, जो समय-समय पर भगवान की पूजा अर्चना आरती और धार्मिक आयोजन किया करते थे, लेकिन विडंबना यह कि जब बारी ही खेत को खाने लगे तो खेत का क्या हाल होगा. ऐसा ही मामला पन्ना के अवध बिहारी जू मंदिर में देखने को मिला. मंदिर में नियुक्त पुजारी के परिजनों ने भगवान सहित पूरा का पूरा मंदिर ही हड़प लिया था. घूसखोरी कर मंदिर सहित पूरी संम्पति का नामांतरण करवा लिया था. यहां तक कि भगवान के दर्शन भी श्रद्धालुओं को दुर्लभ हो गए थे.
इस मामले में समाजसेवियों ने मंदिर को बचाने के लिए साल 2011 में मंदिर से संबंधित सभी दस्तावेज और लिखित शिकायत तत्कालीन कलेक्टर से की. जिसकी जांच चलती रही और अनुविभागीय दंडाधिकारी पन्ना ने ये निर्णय लिया कि कूट रचित और षडयंत्र पूर्वक दस्तावेज तैयार कर इस मंदिर को हड़प लिया गया है, जबकि ये मंदिर और मंदिर से जुड़ी पूरी संपत्ति भगवान श्री अवध बिहारी जू की संपत्ति है.
निर्णय के अनुसार कलेक्टर पन्ना को मंदिर का प्रबंधक और मंदिर से जुड़ी संपत्ति मध्यप्रदेश शासन की घोषित की गई, लेकिन इतने पर भी दबंग नहीं माने और फैसले के खिलाफ राजस्व न्यायालय ग्वालियर, हाई कोर्ट जबलपुर और पन्ना की विभिन्न अदालतों में याचिका दायर की. जिसकी अंतिम स्वामित्व की अपील पन्ना के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में पुजारी द्वारा पेश की गई. जिसके बाद इस अपील को खारिच करते हुए न्यायाधीश ने फैसला यथावत रखा, फिर मंदिर और मंदिर से जुड़ी पूरी संपत्ति को भगवान श्री अवध बिहारी जी की माना. न्यायालय का फैसला आते ही पूरे नगर में खुशी का माहौल है.