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एक महीने देरी से शुरू हुआ तेंदूपत्ता संग्रहण, मजदूर बन रहे आत्मनिर्भर

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Published : May 22, 2020, 11:03 PM IST

Updated : May 23, 2020, 3:43 PM IST

पन्ना में मजदूर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. लॉकडाउन के समय में जब मजदूरों के पास काम नहीं है और वे पलायन कर रहे हैं ऐसे में जिले के मजदूर तेंदूपत्ता संग्रहण कर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं.

tendupatta collection
तेंदूपत्ता संग्रहण

पन्ना। जिले में हर साल गर्मी में गरीब तबके के लोग तेंदूपत्ता संग्रहण कर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से तेंदूपत्ता संग्रहण एक माह लेट शुरू हुआ है. ठेकेदार ने बताया कि सरकार की तरफ से इन्हें बोनस दिया जाता है, लेकिन पिछले 3 साल से इन्हें बोनस नहीं मिल पाया है.

तेंदूपत्ता संग्रहण

दरसल लोग तेंदू के पेड़ों की पत्तियां तोड़ते हैं जिसके बाद इन पत्तों की गड्डियां बनाई जाती है और इन्हें इक्कठा करके सैकड़ों के हिसाब से ठेकेदारों को बेच दिया जाता है. ठेकेदार इन तेंदूपत्ते की गड्डियों को खरीदते हैं और इन्हें बाहर बेच देते हैं जिसके बाद इन तेंदूपत्तों को सुखा कर इनकी बीड़ी बनाई जाती है.

बता दें कि पन्ना जिला पिछड़े क्षेत्र में आता है. यहां रोजगार के संसाधन नहीं होने की वजह से अधिकतर लोग पलायन करते हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के बीच यहां के गरीब मजदूर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. वे तेंदूपत्ता संग्रहण कर अपने लिए दो वक्त की रोटी कमा रहे हैं. तेंदूपत्ता संग्रहण का यह सीजन लगभग 2 सप्ताह चलता है. इस दौरान यह गरीब मजदूर प्रतिदिन कम से कम 200 से 300 रुपए कमा लेते हैं.

पन्ना। जिले में हर साल गर्मी में गरीब तबके के लोग तेंदूपत्ता संग्रहण कर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से तेंदूपत्ता संग्रहण एक माह लेट शुरू हुआ है. ठेकेदार ने बताया कि सरकार की तरफ से इन्हें बोनस दिया जाता है, लेकिन पिछले 3 साल से इन्हें बोनस नहीं मिल पाया है.

तेंदूपत्ता संग्रहण

दरसल लोग तेंदू के पेड़ों की पत्तियां तोड़ते हैं जिसके बाद इन पत्तों की गड्डियां बनाई जाती है और इन्हें इक्कठा करके सैकड़ों के हिसाब से ठेकेदारों को बेच दिया जाता है. ठेकेदार इन तेंदूपत्ते की गड्डियों को खरीदते हैं और इन्हें बाहर बेच देते हैं जिसके बाद इन तेंदूपत्तों को सुखा कर इनकी बीड़ी बनाई जाती है.

बता दें कि पन्ना जिला पिछड़े क्षेत्र में आता है. यहां रोजगार के संसाधन नहीं होने की वजह से अधिकतर लोग पलायन करते हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के बीच यहां के गरीब मजदूर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. वे तेंदूपत्ता संग्रहण कर अपने लिए दो वक्त की रोटी कमा रहे हैं. तेंदूपत्ता संग्रहण का यह सीजन लगभग 2 सप्ताह चलता है. इस दौरान यह गरीब मजदूर प्रतिदिन कम से कम 200 से 300 रुपए कमा लेते हैं.

Last Updated : May 23, 2020, 3:43 PM IST
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