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हीरा खदानों की हकीकत, लंबे समय तक करना पड़ता है एक हीरे के लिए इंतजार

पन्ना जिला हीरा के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन एक हीरा खोजने के लिए लंबा धैर्य और संघर्ष करना पड़ता है.

हीरा खदानों की हकीकत
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Published : Oct 4, 2019, 10:37 AM IST

Updated : Oct 4, 2019, 11:35 AM IST

पन्ना। हीरा है सदा के लिए जैसे स्लोगन और दमकता हुआ हीरा हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है. हर किसी की चाह होती है कि उसे हीरा मिल जाए जिससे वह रातों रात अमीर हो जाए पर हीरा मिलना इतना आसान काम नहीं है.उसके लिए सालों परिश्रम करना पड़ता है

हीरा खदानों की हकीकत

हीरा खदान लगाने वालों को खदानों का खर्च निकालना और परिवार भी चलाना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है इसके बाद लोगों को सिर्फ हताशा ही हाथ लगती है. पहाड़ों पर खदानों में लोगों को कई बार भूखा रहना पड़ता है, यहां तक पीने का पानी मिलना भी मुश्किल हो जाता है. लंबे समय के संघर्ष के बाद तब कहीं हीरा मिल पाता है.


पन्ना के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा हीरा पटी की हीरा खदान से मोती लाल प्रजापति को 9 अक्टूबर 2018 को 42.59 कैरेट का मिला था. मोतीलाल बताते हैं कि वे और उनके दादा लोग लंबे समय से खदान लगाते चले आ रहे हैं 40 साल से वे खुद खदान लगाए हुए हैं .लाखों रुपए का कर्ज होने के बाद उन्हें यह हीरा मिला था. जिससे उनकी किस्मत खुल गई .

पन्ना। हीरा है सदा के लिए जैसे स्लोगन और दमकता हुआ हीरा हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है. हर किसी की चाह होती है कि उसे हीरा मिल जाए जिससे वह रातों रात अमीर हो जाए पर हीरा मिलना इतना आसान काम नहीं है.उसके लिए सालों परिश्रम करना पड़ता है

हीरा खदानों की हकीकत

हीरा खदान लगाने वालों को खदानों का खर्च निकालना और परिवार भी चलाना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है इसके बाद लोगों को सिर्फ हताशा ही हाथ लगती है. पहाड़ों पर खदानों में लोगों को कई बार भूखा रहना पड़ता है, यहां तक पीने का पानी मिलना भी मुश्किल हो जाता है. लंबे समय के संघर्ष के बाद तब कहीं हीरा मिल पाता है.


पन्ना के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा हीरा पटी की हीरा खदान से मोती लाल प्रजापति को 9 अक्टूबर 2018 को 42.59 कैरेट का मिला था. मोतीलाल बताते हैं कि वे और उनके दादा लोग लंबे समय से खदान लगाते चले आ रहे हैं 40 साल से वे खुद खदान लगाए हुए हैं .लाखों रुपए का कर्ज होने के बाद उन्हें यह हीरा मिला था. जिससे उनकी किस्मत खुल गई .

Intro:पन्ना
एंकर :- हीरा से सदा के लिए जैसे स्लोगन और दमकता हुआ हीरा हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं इन चमकदार हीरो के पीछे की कहानी उतनी ही संघर्ष भरी है किसी को हीरा रातों रात करोड़पति नहीं बनाता बल्कि लंबे समय तक धैर्य व संघर्ष की कहानी छिपी होती है हीरा खदानों में जंगल जैसे वीरान क्षेत्रों में बेहद विपरीत परिस्थितियों में हीरा खदान लगाने वालों को काम करना होता है कार्यस्थल पर पीने के साफ पानी भोजन बिजली और सार्वजनिक परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी सालों साल काम करना होता है पत्थरों के बीच दिनभर हाड़ तोड़ मेहनत के बाद कई बार धैर्य जवाब देने लगता है लेकिन इस काम में लगे लोग हर दिन सुबह नई ऊर्जा के साथ खदानों में पहुंचते हैं।
Body:हीरा खदान लगाने वालों को खदानों का खर्च निकालना और परिवार भी चलाना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है इसके बाद लोगों को सिर्फ हताशा ही हाथ लगती है लेकिन जिन लोगों ने इस हताशा को पार कर लिया और अपने संघर्ष को जारी रखा कुदरत ने भी उन्हें नायाब तोहफे दिए।

Conclusion:पन्ना के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा हीरा पटी की हीरा खदान से मोती लाल प्रजापति को विगत 9 अक्टूबर 2018 को 42.59 कैरेट का मिला था। मोतीलाल बताते हैं कि वे और उनके दादा लोग लंबे समय से खदान लगाते चले आ रहे हैं 40 साल से वे खुद खदान लगाए हुए हैं तब कहीं जाकर लाखों रुपए का कर्ज होने के बाद उन्हें यह हीरा मिला था। हीरा अधिकारी बताते हैं कि काफी संघर्ष के बाद जब लोगों को हीरा मिलता है तो यह उनके लिए न सिर्फ एक खुशी का पल होता है बल्कि जिला और देश के लिए भी गौरव की बात होती है।
बाइट :- 1 मोती लाल (पट्टा धारक)
बाइट :- 2 हीरा अधिकारी।
Last Updated : Oct 4, 2019, 11:35 AM IST
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