पन्ना। पन्ना शहर के सिविल लाइन की बेशकीमती नहर पट्टी की जमीन के बहुचर्चित मामले में एनजीटी का फैसला आ गया है. इसमें फरियादी की याचिका खारिज कर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. बता दें कि उक्त जमीन में पाथवे निर्माण जारी रहेगा. बेशकीमती जमीन पर कांग्रेस पार्टी की पूर्व जिला अध्यक्ष दिव्या रानी सिंह एवं उनकी मां द्वारा फलदार वृक्ष लगाने के नाम पर कब्जा किया गया था, जबकि मौके पर एक भी फलदार वृक्ष नहीं है.
लंबे समय तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर : गौरतलब है कि उक्त जमीन को पूर्व जिला अध्यक्ष से मुक्त करवाकर पाथवे निर्माण के दौरान यहां हाईप्रोफाइल ड्रामा देखने को मिला था. इसके बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर लंबे समय तक चलता रहा. फिर मामला एनजीटी तक जा पहुंचा. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर भी अपने कार्यकाल में फलदार वृक्ष लगाने के नाम पर पट्टा दिलाने के आरोप लगे थे. उक्त मामले में भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी समय तक आरोप-प्रत्यारोप की जंग चलती रही. एनजीटी में फरियादी महेश पाल की याचिका में दावा किया गया था कि आराजी क्रमांक 387, 388, 389 में प्रशासन पाथवे निर्माण कर रहा है. इसमें बड़ी संख्या में फलदार वृक्ष काटकर वन्यजीवों का ठिकाना नष्ट करते हुए पर्यावरण को क्षति पहुंचाई जा रही है.
याचिका में लगाए गए आरोप निराधार मिले : इस मामले को संज्ञान में लेते हुए एनजीटी की भोपाल खंडपीठ ने सुनवाई की और कई स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों से मौके पर जांच कराई गई. प्रशासन ने अपना पक्ष रखते हुए एक भी पेड़ न काटे जाने का दावा मय सबूत कोर्ट के सामने रखा. इस पर संपूर्ण सुनवाई के बाद एक भी पेड़ काटे जाने के सबूत सामने नहीं आए. साथ ही मौके पर फलदार वृक्ष भी नहीं मिले. पाथवे निर्माण के लिए झाड़ियां हटाने और उनकी सफाई की बात सुनवाई के दौरान सिद्ध हुई. इस तरह याचिका में लगाए गए आरोप निराधार पाए जाने पर एनजीटी ने अपना फैसला सुनाया. एनजीटी ने याचिका खारिज कर मुकदमे पर खर्च 25 हजार रुपये की राशि की वसूली के आदेश दिए गए हैं. (NGT fined on petitioner)
(Pathway work will continue in Panna)