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जीवन को जल की तलाश: तेज हुई गर्मी, जानवर भी परेशान, पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों को ऐसे उपलब्ध कराया जा रहा है पानी

मानसून में हुई कम बारिश और भीषण गर्मी के चलते इन दिनों आम आदमी से साथ साथ जंगली जानवरों को भी पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है. टाइगर रिजर्व के फिल्ड डायरेक्टर की मानें तो बफर और कोर एरिया में जानवरों के लिए अलग अलग तरह से पानी की व्यवस्था की जा रही है. (Panna water crisis)

Panna water crisis
पन्ना जल संकट
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Published : Apr 23, 2022, 10:38 PM IST

पन्ना। पन्ना में भीषण जल संकट की आहट अब दिखाई देने लगी है. पूरे जिले में इस साल बारिश कम होने की वजह से सभी तालाब, कुआं और बावड़ी खाली हो गए हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. लोगों की प्यास बुझाने के लिये मात्र 31 जून तक के लिए ही पानी बचा हुआ है. वहीं पानी की कमी के चलते वन्यजीवों को भी इसका सामना करना पड़ रहा है. (Panna water crisis)

पन्ना बफर जोन जल स्रोत

जल को तरस रहे जानवर: मानसून में हुई कम बारिश और भीषण गर्मी के चलते इन दिनों आम आदमी को तो परेशानी हो ही रही है. इसके अलावा जंगली जानवरों को भी पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिले में लोग बूंद बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व में कुछ दिन पहले ही एक बाघ पानी की तलाश में तीतरी टावर के पास तक पहुंच गया था. पानी की तलाश में अब जानवर शहर की ओर भी विचरण करने लगे हैं. पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने की वजह से जंगलों के जलस्त्रोत समय से पहले ही सूखने लगे हैं.

बफर और कोर एरिया में पानी की व्यवस्था: टाइगर रिजर्व के फिल्ड डायरेक्टर की मानें तो बफर और कोर एरिया में अलग अलग तरह से पानी की व्यवस्था की जाती है. फिल्ड डायरेक्टर ने बताया कि कोर क्षेत्र में एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार 2/2 के 4 किलोमीटर स्क्वायर के ग्रिड में वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है. पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन टैंकरों के माध्यम से इन ग्रिडों को भरता है, और यहां आकर बाघ और अन्य वन्य जीव पानी पीते हैं. इसके साथ ही जहां पानी के प्राकृतिक स्रोत नहीं होते हैं, वहां आर्टिफिशियल वाटर सोलर बनाए जाते हैं. इसे टैंकरों के माध्यम से भरा जाता है.

बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण, 50 से 60 फीट गहरे कुएं में उतरकर लाना पड़ रहा है पीने का पानी

प्राकृतिक जल स्रोतों पर सतत निगरानी: बफर क्षेत्र में कोर एरिया से विपरीत पानी की व्यवस्था की जाती है. फिल्ड डायरेक्टर ने बताया कि बफर क्षेत्रों में हमें इन बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है कि कोई जानवर पानी की तलाश में गांवों में ना प्रवेश कर जाए. टाइगर रिजर्व प्रबंधन नवंबर माह से ही वन्यजीवों के लिए पानी की उचित व्यवस्था करना शुरू कर देता है. ताकि प्यास की वजह से कोई जानवर अपनी जान ना खो दे. इसके साथ ही टीम के द्वारा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने प्राकृतिक जल स्रोतों पर सतत निगरानी भी की जाती है.

पन्ना। पन्ना में भीषण जल संकट की आहट अब दिखाई देने लगी है. पूरे जिले में इस साल बारिश कम होने की वजह से सभी तालाब, कुआं और बावड़ी खाली हो गए हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. लोगों की प्यास बुझाने के लिये मात्र 31 जून तक के लिए ही पानी बचा हुआ है. वहीं पानी की कमी के चलते वन्यजीवों को भी इसका सामना करना पड़ रहा है. (Panna water crisis)

पन्ना बफर जोन जल स्रोत

जल को तरस रहे जानवर: मानसून में हुई कम बारिश और भीषण गर्मी के चलते इन दिनों आम आदमी को तो परेशानी हो ही रही है. इसके अलावा जंगली जानवरों को भी पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है. जिले में लोग बूंद बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व में कुछ दिन पहले ही एक बाघ पानी की तलाश में तीतरी टावर के पास तक पहुंच गया था. पानी की तलाश में अब जानवर शहर की ओर भी विचरण करने लगे हैं. पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने की वजह से जंगलों के जलस्त्रोत समय से पहले ही सूखने लगे हैं.

बफर और कोर एरिया में पानी की व्यवस्था: टाइगर रिजर्व के फिल्ड डायरेक्टर की मानें तो बफर और कोर एरिया में अलग अलग तरह से पानी की व्यवस्था की जाती है. फिल्ड डायरेक्टर ने बताया कि कोर क्षेत्र में एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार 2/2 के 4 किलोमीटर स्क्वायर के ग्रिड में वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है. पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन टैंकरों के माध्यम से इन ग्रिडों को भरता है, और यहां आकर बाघ और अन्य वन्य जीव पानी पीते हैं. इसके साथ ही जहां पानी के प्राकृतिक स्रोत नहीं होते हैं, वहां आर्टिफिशियल वाटर सोलर बनाए जाते हैं. इसे टैंकरों के माध्यम से भरा जाता है.

बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण, 50 से 60 फीट गहरे कुएं में उतरकर लाना पड़ रहा है पीने का पानी

प्राकृतिक जल स्रोतों पर सतत निगरानी: बफर क्षेत्र में कोर एरिया से विपरीत पानी की व्यवस्था की जाती है. फिल्ड डायरेक्टर ने बताया कि बफर क्षेत्रों में हमें इन बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है कि कोई जानवर पानी की तलाश में गांवों में ना प्रवेश कर जाए. टाइगर रिजर्व प्रबंधन नवंबर माह से ही वन्यजीवों के लिए पानी की उचित व्यवस्था करना शुरू कर देता है. ताकि प्यास की वजह से कोई जानवर अपनी जान ना खो दे. इसके साथ ही टीम के द्वारा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने प्राकृतिक जल स्रोतों पर सतत निगरानी भी की जाती है.

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