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पन्ना: जिले में वन माफियाओं के हौसले बुलंद, वन विभाग की नाक के नीचे हो रही पेड़ों की अवैध कटाई - पेड़ों की अवैध कटाई

पन्ना में धड़ल्ले से वनों की कटाई जारी है. इसमें वन विभाग के ही अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है. हालांकि अब वन विभाग जांच की बात कह रहा है.

धड़ल्ले से वनों की कटाई जारी
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Published : Mar 28, 2019, 5:54 AM IST

Updated : Mar 28, 2019, 9:02 AM IST

पन्ना। जिले में वन माफिया धड़ल्ले से पेड़ों की अवैध कटाई कर रहे हैं. ये सारा खेल वन विभाग की नाक के नीचे हो रहा है. इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि वन्य प्राणियों के जीवन पर भी संकट गहरा गया है. वहीं सरकार को भी वित्तीय नुकसान हो रहा है. आशंका है कि वनों की कटाई वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से की जा रही है.

कुछ दिन पूर्व ही उत्तर वन मंडल के धरमपुर रेंज में वन माफियाओं द्वारा सैकड़ों की संख्या मे हरे-भरे पेड़ों का का सफाया कर दिया गया. यहां लगभग 300 पेड़ों के कटे हुए ठूंट मिले हैं. जिसमें उत्तर वन मंडल की अजयगढ़ रेंज में लगे लाखों रुपए के बेशकीमती चंदन के पेड़ भी शामिल हैं. इधर जंगलों की कटाई पर वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है.

धड़ल्ले से वनों की कटाई जारी

पेड़ों की कटाई पर वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने जांच की बात कही है. ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब वन विभाग के कार्यालय में बनी नर्सरी के पेड़ ही सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर पूरे जंगल के पेड़ की देखरेख केसे की जा रही होगी. जबकि पेड़ों की कटाई से जुड़ा हुआ यह पहला मामला नहीं है. यहां पहले भी पेड़ों की लगातार कटाई होती रही है.

इस पूरे मामले में उत्तर वन मंडल के डीएफओ ने ये बात स्वीकार की है कि वन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट जंगल चढ़ रहे हैं, जो बेहद गंभीर मामला है. हालांकि डीएफओ द्वारा पेड़ों की कटाई के मामले में संबधित बीट प्रभारियों और वन रक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई करने की बात कही गई है. पर्यावरण के जानकारों का भी कहना है कि वनों की कटाई से पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है, पन्ना टाईगर रिजर्व के जानवर भी खतरे में हैं. शासन को भी लाखों का चूना लग रहा है.

पन्ना। जिले में वन माफिया धड़ल्ले से पेड़ों की अवैध कटाई कर रहे हैं. ये सारा खेल वन विभाग की नाक के नीचे हो रहा है. इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि वन्य प्राणियों के जीवन पर भी संकट गहरा गया है. वहीं सरकार को भी वित्तीय नुकसान हो रहा है. आशंका है कि वनों की कटाई वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से की जा रही है.

कुछ दिन पूर्व ही उत्तर वन मंडल के धरमपुर रेंज में वन माफियाओं द्वारा सैकड़ों की संख्या मे हरे-भरे पेड़ों का का सफाया कर दिया गया. यहां लगभग 300 पेड़ों के कटे हुए ठूंट मिले हैं. जिसमें उत्तर वन मंडल की अजयगढ़ रेंज में लगे लाखों रुपए के बेशकीमती चंदन के पेड़ भी शामिल हैं. इधर जंगलों की कटाई पर वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है.

धड़ल्ले से वनों की कटाई जारी

पेड़ों की कटाई पर वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने जांच की बात कही है. ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब वन विभाग के कार्यालय में बनी नर्सरी के पेड़ ही सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर पूरे जंगल के पेड़ की देखरेख केसे की जा रही होगी. जबकि पेड़ों की कटाई से जुड़ा हुआ यह पहला मामला नहीं है. यहां पहले भी पेड़ों की लगातार कटाई होती रही है.

इस पूरे मामले में उत्तर वन मंडल के डीएफओ ने ये बात स्वीकार की है कि वन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट जंगल चढ़ रहे हैं, जो बेहद गंभीर मामला है. हालांकि डीएफओ द्वारा पेड़ों की कटाई के मामले में संबधित बीट प्रभारियों और वन रक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई करने की बात कही गई है. पर्यावरण के जानकारों का भी कहना है कि वनों की कटाई से पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है, पन्ना टाईगर रिजर्व के जानवर भी खतरे में हैं. शासन को भी लाखों का चूना लग रहा है.

                                     स्लग:- वनो की  कटाई

1. पन्ना मे लगातार जारी है वनो की अवैध कटाई।

2. वन विभाग के द्वारा अवैध कटाई राकने नही उठाये जा रहे कोई ठोस कदम।

3. वनो की लगातार अवैध कटाई के कारण पर्यावरण, वन्यप्रणियो और शासनक को हो रहा वित्तिय नुकसान।


 
एंकर - एक ओर जहां वन विभाग के द्वारा नन्हे-मुन्हे बच्चो और स्कूली छात्र-छात्राओ को वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जा रहा है इतना ही नही शासन के द्वारा करोडो रूपये वृक्षारोपण के नाम पर खर्च भी किये जा रहे है......... वही दुसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियो की मिली भगत से ही बेशकीमती वृक्षो को सफाया किया जा रहा है.............जिस वजह से न केवल पर्यापरण को हानि हो रही है बल्कि वन्य प्राणियो और शासन को भी वित्तिय नुकसान हो रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व ही उत्तर वन मंडल के धरमपुर रेंज मे वन माफियाओ के द्वारा सैकडो की संख्या मे हरे पेडो का सफाया कर दिया था बताया जा रहा है कि वहां से लगभग 300 पेड के कटे हुये मिले इससे पूर्व मे भी उत्तर वन मंडल की अजयगढ रेंजर मे लाखों रुपए के बेशकीमती चंदन के पेड़ो को जो रेंज कार्यालय  मे बनी नर्सरी मे लगे हुये थे वन कर्मचारियो और अधिकारियो की मिली भगत से रातों रात काट दिये गये थे............इसके अलावा सकरिया वीट मेब नी नर्सरी से भी दर्जनो आवंलो के पेडो को काट दिया गया था और मडला और दहलानचैकी जैसे क्षैत्रो से सैकडो की संख्या मे पेडो की कटाई मामले सामने आये थे लेकिन उच्च अधिकारियो के द्वारा सिर्फ जाचं की बात कर मामले मे लीपापोती कर दी जाती है...अब इस बात का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि जब वन विभाग के कार्यालय मे बनी नर्सरी मे लगे पेड सुरक्षित नही है तो ये वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी वनो की सुरक्षा कैसे करेंगे।



बीओ:- 1 पर्यावरण जानकारो का भी कहना है कि पन्ना मे पन्ना टाईगर रिजर्व होने की वजह से वनो की कटाई से पर्यावरण को तो नुकसान है ही साथ ही साथ वनो की कटाई के कारण यहां के टाईगर भी अन्य जिलो मे पलायन कर रहे है....इसके साथ ही शासन को वित्तिय नुकसान भी हो रहा है।
बाईट:- 1 राजेश दीक्षित (पर्यावरण विध)

बीओ:- 2 खुद उत्तर वन मंडल के डीएफओ ने भी कैमरे के सामने ये बात स्वीकार की जो दायित्व वन अधिकारियो और कर्मचारियो के द्वारा अपने दायित्वो को पालन नही किया जा रहा है और अत्यंत ही दुखःद पहलू है और चिंतनिय बात भी है कि वन चैकियो के आस-पास ही इस तरीके की अवैध कटाई के मामले सामने आ रहे है हालाकि डीएफओ के द्वारा पेडो के कटाई के मामले मे संबधित वीट प्रभारियो और वन रक्षको पर निलंबन की कार्यवाही करने की बात भी कही गई.......लेकिन अगर कार्यवाहिया हो रही है तो वनो की कटाई पर अंकुश क्यो नही लग पा रहा है यह एक बडा सवाल है। 
बाइट - 2 नरेश यादव ( डीएफओ उत्तर वन मंडल )

मुकेश कुमार
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Last Updated : Mar 28, 2019, 9:02 AM IST
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